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बांग्लादेश बना रहा हमले की योजना? म्यांमार पर हमला तय, अमेरिका से मिला इशारा! भारत क्या करेगा?

बांग्लादेश कर सकता है म्यांमार पर हमला, अमेरिका दे रहा है समर्थन, और बन सकता है एक नया ईसाई देश जो भारत की सीमाओं से लगेगा! शेख हसीना ने जिस साजिश का खुलासा किया था, अब वही हकीकत बन रही है। चीन-रूस भी शामिल? जानिए इस पूरे खेल का भारत पर क्या होगा असर!

By Saloni uniyal
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बांग्लादेश बना रहा हमले की योजना? म्यांमार पर हमला तय, अमेरिका से मिला इशारा! भारत क्या करेगा?
बांग्लादेश बना रहा हमले की योजना? म्यांमार पर हमला तय, अमेरिका से मिला इशारा! भारत क्या करेगा?

भारत के पड़ोस में एक बड़ा भू-राजनीतिक खेल शुरू हो चुका है, जिसमें बांग्लादेश, म्यांमार और अमेरिका मुख्य खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। यह योजना म्यांमार के रखाइन और चिन राज्यों को काटकर एक नया ईसाई देश बनाने की है। इस कथित योजना का खाका अमेरिका ने तैयार किया है और इसका क्रियान्वयन बांग्लादेश के माध्यम से किया जा रहा है। अगर यह योजना सफल होती है, तो भारत को एक और नए पड़ोसी का सामना करना पड़ेगा, जिसकी सीमा मिजोरम और मणिपुर से लगेगी।

शेख हसीना के बयान से उठी थी हलचल, अब परिदृश्य बदल चुका है

मई 2024 में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक सनसनीखेज बयान दिया था। उन्होंने दावा किया था कि बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक ईसाई देश बनाने की योजना चल रही है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्हें बांग्लादेशी भूमि पर विदेशी एयरबेस की अनुमति देने को कहा गया, साथ ही वादा किया गया कि बदले में उन्हें सत्ता में बने रहने दिया जाएगा। हसीना ने इसे पश्चिमी शक्तियों की साजिश बताते हुए विरोध जताया था। लेकिन उनके इस बयान के कुछ ही महीनों बाद उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया गया और देश छोड़ना पड़ा।

बांग्लादेश की सेना बनी अमेरिका की प्रमुख साझेदार

अब वही बांग्लादेश, जिसे कभी शेख हसीना ने विदेशी साजिशों से दूर रखने का वादा किया था, अमेरिकी ग्रेट गेम का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है। वर्तमान प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को अमेरिका का करीबी माना जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश की सेना की तीन डिवीजन – 10वीं, 17वीं और 24वीं डिवीजन – इस अभियान का हिस्सा बनने को तैयार हैं।

सैन्य तैयारी जोरों पर, ड्रोन बेस और आर्टिलरी यूनिट तैयार

कॉक्स बाजार में ड्रोन बेस बन चुका है और टेकनाफ के पास सिलखाली में आर्टिलरी यूनिट तैयार की जा रही है। यही नहीं, नाफ नदी के पार अमेरिका द्वारा एक विशाल सप्लाई और लॉजिस्टिक्स डिपो तैयार किया गया है, जिसकी कुल क्षेत्रफल 11,000 हेक्टेयर से अधिक है। इसके साथ ही बांग्लादेश की ओर से एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एंटी-GM) और हैवी आर्टिलरी की तैनाती की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है।

अमेरिका की अगुवाई, चीन-रूस से संतुलन साधने की कोशिश

यह पूरा ऑपरेशन केवल बांग्लादेश और अमेरिका तक सीमित नहीं है। अराकान आर्मी और चिन नेशनल फ्रंट जैसे म्यांमार के विद्रोही गुट भी इस योजना में शामिल हैं। हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ढाका पहुंचे थे, जहां इन विद्रोही गुटों के नेताओं से मुलाकात हुई।

साथ ही बांग्लादेश अमेरिका के साथ-साथ चीन और रूस से भी सामंजस्य बनाने की कोशिश में है। मोहम्मद यूनुस के चीन दौरे के तुरंत बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख रूस गए। इससे साफ है कि बांग्लादेश इस योजना में चीन और रूस को नाराज नहीं करना चाहता।

म्यांमार की आंतरिक स्थिति गंभीर, गृहयुद्ध की आंच बढ़ी

म्यांमार पहले ही गृहयुद्ध की चपेट में है। देश के कई हिस्सों में सैन्य शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह जारी है। चिन और रखाइन राज्यों में जातीय और धार्मिक तनाव चरम पर है, जिनका इस्तेमाल कर यह नया देश बनाए जाने की रणनीति तैयार की गई है। म्यांमार की सेना के पास रूस से लिए गए आधुनिक हथियार हैं, और उसका झुकाव चीन की तरफ है।

भारत को रहना होगा सतर्क, सीमाओं पर असर तय

इस पूरे घटनाक्रम का सीधा प्रभाव भारत पर पड़ सकता है, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों पर। मिजोरम और मणिपुर की सीमाएं चिन राज्य से मिलती हैं। अगर यह नया देश बनता है या वहां युद्ध शुरू होता है, तो भारत को शरणार्थियों की आमद, उग्रवाद की घुसपैठ, और सीमा सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि अभी उसकी बांग्लादेश के साथ रिश्तों में तनाव है, और म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह के जरिये भारत पूर्वोत्तर तक पहुंच बनाता है। अगर यह मार्ग अस्थिर होता है, तो भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को गंभीर झटका लग सकता है।

भारत को क्या करना चाहिए?

डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी के अनुसार, यह मामला फिलहाल बांग्लादेश और म्यांमार का आंतरिक है और भारत को इसमें प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। लेकिन साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि म्यांमार की स्थिति भारत को यह सिखाती है कि “अनेकता में एकता” को लेकर लापरवाही किसी भी देश को कमजोर कर सकती है।

भारत को वर्तमान परिदृश्य में राजनयिक सतर्कता, इंटेलिजेंस मॉनिटरिंग, और सीमा पर तैयारियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके हित न केवल सुरक्षित रहें बल्कि भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए भी तैयार हों।

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