
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया, जिसमें टैक्स रेजिडेंसी के मानकों को फिर से परिभाषित किया गया है। इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव अनिवासी भारतीयों (NRI) पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जो भारत में 15 लाख रुपये या उससे अधिक की आय अर्जित करते हैं लेकिन टैक्स नहीं भरते। सरकार का यह कदम टैक्स चोरी को रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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अब NRI स्टेटस से नहीं बच पाएंगे करदाता
नए नियम के तहत, 15 लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित करने वाले एनआरआई को भारत का करदाता माना जाएगा और उन्हें अपनी भारतीय आय पर टैक्स देना अनिवार्य होगा। यह प्रावधान उन लोगों के लिए विशेष रूप से लागू होगा जो एक टैक्स ईयर में कम से कम 182 दिन भारत में बिताते हैं या चार वर्षों में कुल 365 दिन से अधिक भारत में रह चुके हैं।
कौन होंगे प्रभावित और किसे मिलेगी छूट?
हालांकि, कुछ लोगों को इस नियम से छूट दी गई है। अगर कोई व्यक्ति इंडियन एयरलाइन या शिप के क्रू मेंबर के रूप में भारत छोड़ता है या विदेश में नौकरी करने जाता है, तो 60 दिन की सीमा उसके लिए लागू नहीं होगी। इसी तरह, जो एनआरआई भारत में 15 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उनके लिए 60 दिन की सीमा बढ़ाकर 120 दिन कर दी गई है। इससे सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि वास्तविक अनिवासी भारतीयों को अनावश्यक परेशानी न हो, लेकिन वे लोग जो केवल टैक्स से बचने के लिए विदेश में रहते हैं, वे इस दायरे में आ जाएं।
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भारत का टैक्स सिस्टम और इसका नया दृष्टिकोण
भारत का टैक्स सिस्टम नागरिकता पर आधारित नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति की भारत में भौतिक उपस्थिति पर आधारित है। वर्तमान नियमों के अनुसार, एनआरआई को केवल भारत में अर्जित आय पर टैक्स देना पड़ता है, जबकि विदेश में हुई कमाई टैक्स-फ्री होती है। लेकिन कई लोग इसी नियम का दुरुपयोग कर रहे थे। नए बिल के तहत, अब टैक्स चोरी के इन तरीकों पर लगाम लगेगी और निष्पक्ष कर प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।