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Land Registration New Rules 2025: भूमि रजिस्ट्रेशन में बड़ा बदलाव! अब सभी खरीदार और विक्रेता को मानने होंगे ये नए नियम

बिना रजिस्ट्री के संपत्ति खरीदने का बड़ा खतरा! जानिए स्टांप ड्यूटी, शुल्क और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया।

By Saloni uniyal
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जब कोई भी अचल संपत्ति एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित की जाती है, तो इस प्रक्रिया को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए संपत्ति का पंजीकरण आवश्यक होता है। यह प्रक्रिया न केवल संपत्ति के मालिकाना हक को प्रमाणित करती है, बल्कि संपत्ति विवादों और धोखाधड़ी से बचाने में भी सहायक होती है।

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संपत्ति रजिस्ट्रेशन का कानूनी ढांचा

भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के तहत संपत्ति रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया गया है। इस अधिनियम के अनुसार, 100 रुपये से अधिक मूल्य की सभी अचल संपत्तियों का पंजीकरण आवश्यक है। यह नियम उपहार में दी गई संपत्तियों पर भी लागू होता है, भले ही उसके बदले में कोई धनराशि न ली गई हो। यदि संपत्ति को 12 महीने से अधिक समय के लिए किराए पर दिया गया हो, तो उसका भी रजिस्ट्रेशन आवश्यक होता है।

भूमि और संपत्ति पंजीकरण की अनिवार्यता

संपत्ति रजिस्ट्रेशन का मुख्य उद्देश्य संपत्ति के स्वामित्व को प्रमाणित करना और कानूनी विवादों से बचाव करना है। यदि किसी संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक है, तो उसे नए मालिक के नाम पर पंजीकृत कराना अनिवार्य है। इसमें स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान भी शामिल होता है।

संपत्ति पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

  1. अचल संपत्ति के उपहार से संबंधित दस्तावेज।
  2. बिक्री विलेख (Sale Deed)।
  3. अचल संपत्ति का वार्षिक या उससे अधिक अवधि के लिए पट्टा।
  4. किराए या लीज समझौता (11 महीने से अधिक के लिए)।
  5. पावर ऑफ अटॉर्नी, यदि लागू हो।
  6. संपत्ति कर रसीदें।
  7. स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान प्रमाण पत्र।
  8. खरीदार और विक्रेता का आधार कार्ड और पैन कार्ड।
  9. दो गवाहों की पहचान प्रमाण और पते का प्रमाण।

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संपत्ति रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

  1. संपत्ति रजिस्ट्रेशन के लिए सबसे पहले विक्रेता और खरीदार को आवश्यक दस्तावेज तैयार करने होंगे।
  2. संपत्ति का बाजार मूल्य निर्धारित करके स्टांप शुल्क का भुगतान किया जाता है।
  3. दस्तावेजों को उप-पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता है।
  4. खरीदार, विक्रेता और गवाहों की पहचान की पुष्टि की जाती है।
  5. सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग और सत्यापन के बाद रजिस्ट्रेशन पूरा किया जाता है।
  6. रजिस्ट्रेशन के बाद दस्तावेजों की प्रति संबंधित व्यक्ति को सौंप दी जाती है।

2024 में संपत्ति रजिस्ट्रेशन: शुल्क और समय-सीमा

संपत्ति दस्तावेजों का पंजीकरण चार्ज संपत्ति मूल्य का 1% है, जो अधिकतम 30,000 रुपये तक हो सकता है। दस्तावेजों को निष्पादन की तारीख से 4 माह के भीतर प्रस्तुत करना आवश्यक है। यदि समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो 4 माह के अंदर देरी की माफी के लिए आवेदन किया जा सकता है, जिसमें मूल शुल्क का 10 गुना तक जुर्माना लग सकता है।

ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण

आजकल कई राज्य ऑनलाइन संपत्ति रजिस्ट्रेशन की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत खरीदार स्टांप शुल्क भर सकते हैं और पंजीकरण के लिए समय निर्धारित कर सकते हैं। हालांकि, अंतिम सत्यापन के लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाना आवश्यक होता है।

संपत्ति रजिस्ट्रेशन न कराने के जोखिम

यदि संपत्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता, तो:

  • संपत्ति स्वामित्व विवादित हो सकता है।
  • कानूनी रूप से संपत्ति का दावा करना मुश्किल हो सकता है।
  • बिना रजिस्ट्री वाली संपत्ति को न्यायालय में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
  • सरकारी अधिग्रहण की स्थिति में मुआवजे का दावा नहीं किया जा सकता।

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संपत्ति रजिस्ट्रेशन से संबंधित हालिया संशोधन

तमिलनाडु राज्य ने संपत्ति पंजीकरण में पारदर्शिता लाने के लिए नए प्रावधान लागू किए हैं। इनमें फर्जी दस्तावेजों को रद्द करने का अधिकार पंजीकरण महानिरीक्षक को दिया गया है। इसके अलावा, दस्तावेज तैयार करने वाले वकीलों और लेखकों को अपने फोटो और हस्ताक्षर भी देने होंगे।

एनआरआई के लिए संपत्ति रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया

एनआरआई भारत में संपत्ति खरीद सकते हैं और उसे कानूनी रूप से रजिस्टर कर सकते हैं। यदि वे भारत में उपस्थित नहीं हो सकते, तो वे पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) के माध्यम से संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

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