![Income Tax Bill 2025: नए नियमों के तहत आपकी संपत्ति पर कैसे लगेगा टैक्स?](https://newzoto.com/wp-content/uploads/2025/02/Income-Tax-Bill-2025-1024x576.jpg)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और इसे संसद की प्रवर समिति के पास भेजने का आग्रह किया। इस विधेयक में आयकर की नई नीतियों और नियमों को शामिल किया गया है, जिससे करदाताओं को स्पष्ट दिशा-निर्देश मिलेंगे। विशेष रूप से, गृह संपत्ति आय के नियमों को नया रूप दिया गया है, जिससे कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और सुगम होगी।
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गृह संपत्ति आय की गणना के नए नियम
विधेयक में गृह संपत्ति आय की गणना की प्रक्रिया को संशोधित किया गया है। वार्षिक मूल्य की गणना अब साल-दर-साल उचित अपेक्षित किराए या प्राप्त किराए में से जो भी अधिक हो, उसके आधार पर की जाएगी। यदि संपत्ति किराए पर नहीं दी गई है, तो खाली रहने की अवधि के दौरान मिलने वाले संभावित किराए के आधार पर वार्षिक मूल्य निर्धारित किया जाएगा। यह बदलाव उन मकान मालिकों के लिए राहत लेकर आया है, जो अपनी संपत्तियों के लिए किरायेदार नहीं खोज पा रहे थे।
स्व-कब्जे और किराए की संपत्तियों पर ब्याज कटौती
स्व-कब्जे वाली संपत्तियों पर करदाताओं को ब्याज कटौती का लाभ मिलेगा, लेकिन इसकी सीमा 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक सीमित कर दी गई है। यह कटौती केवल तभी मिलेगी जब संपत्ति का निर्माण या अधिग्रहण उधार लेने के पांच साल के भीतर पूरा हो जाए।
हालांकि, यदि संपत्ति किराए पर दी गई है, तो ब्याज कटौती की कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी। इस तरह, निवेशकों और किराएदारों को अतिरिक्त कर लाभ मिल सकेगा। इसके अतिरिक्त, अगर कोई किराया प्राप्त होता है या किसी वर्ष में बकाया किराया एकत्र किया जाता है, तो इसे उसी वर्ष की आय में शामिल किया जाएगा और कर योग्य माना जाएगा।
बिना बिके फ्लैट्स पर कर छूट
डेवलपर्स के लिए एक बड़ी राहत यह है कि बिना बिके फ्लैट्स या वाणिज्यिक संपत्तियों का वार्षिक मूल्य उनके पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की तारीख से दो साल तक शून्य माना जाएगा। यह नियम उन डेवलपर्स को राहत देगा, जिनके पास बिना बिके स्टॉक पड़ा हुआ है और वे अतिरिक्त कर बोझ से बच सकेंगे।
सह-स्वामित्व वाली संपत्तियों पर कर नियम
यदि किसी संपत्ति के सह-मालिकों के पास निर्धारित स्वामित्व प्रतिशत है, तो उन पर उनके हिस्से के अनुसार कर लगाया जाएगा। लेकिन यदि स्वामित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है, तो उन पर सामूहिक रूप से कर लगाया जाएगा। यह नियम सह-स्वामित्व वाली संपत्तियों पर कर विवादों को कम करेगा और कर प्रशासन को सरल बनाएगा।
हाउस प्रॉपर्टी से नुकसान की सेट-ऑफ
इस विधेयक के तहत, गृह संपत्ति से होने वाले नुकसान को अन्य आय स्रोतों के खिलाफ प्रति वर्ष अधिकतम 2 लाख रुपये तक समायोजित किया जा सकता है। यदि किसी वर्ष में हाउस प्रॉपर्टी से नुकसान होता है, तो उसे आठ वर्षों तक आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग केवल भविष्य में गृह संपत्ति से प्राप्त आय के खिलाफ ही किया जा सकेगा। इससे करदाताओं को अपनी वित्तीय योजनाओं को अधिक व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
पूंजीगत लाभ छूट पर नए नियम
करदाताओं को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर छूट तब मिलेगी जब वे संपत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि को दो वर्षों के भीतर नई संपत्ति की खरीद में या तीन वर्षों के भीतर नए निर्माण में निवेश करेंगे। हालांकि, यदि खरीदी गई संपत्ति तीन वर्षों के भीतर बेच दी जाती है, तो छूट की गई राशि को बिक्री के वर्ष में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में कर योग्य माना जाएगा।
पुनर्निवेश पर कर छूट की सीमा
अत्यधिक कर से बचने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए, पुनर्निवेश के माध्यम से पूंजीगत लाभ पर दी जाने वाली छूट की सीमा 10 करोड़ रुपये तक सीमित कर दी गई है। इस नए नियम का उद्देश्य बड़े करदाताओं द्वारा कर बचाने के लिए किए जाने वाले अनावश्यक पुनर्निवेश को नियंत्रित करना है।