
सरकार आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में एक बड़ी पहल के तहत सभी केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) की गहन समीक्षा करने जा रही है। इस रिव्यू का मकसद यह तय करना है कि कौन-सी योजनाएं अपने उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर रही हैं और किन योजनाओं को या तो मिलाया जा सकता है, संशोधित किया जा सकता है या फिर चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत खर्च की गुणवत्ता, फंड्स का सही उपयोग और योजनाओं से जुड़े परिणामों की भी बारीकी से जांच की जाएगी।
यह समीक्षा प्रक्रिया हर पांच वर्षों में एक बार होती है और यह नया रिव्यू अगले वित्त आयोग की सिफारिशों से पहले किया जा रहा है। यह पहल सरकारी संसाधनों के कुशलतम उपयोग और कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है।
सरकार क्यों कर रही है ये रिव्यू?
सरकार की यह समीक्षा प्रक्रिया इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह मूल्यांकन किया जा सकेगा कि क्या योजनाएं अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर रही हैं या नहीं। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कहीं केंद्र और राज्य स्तर पर समान प्रकार की योजनाएं तो नहीं चल रही हैं, जिससे संसाधनों की दोहराव या बर्बादी हो रही हो।
इसके अतिरिक्त यह भी अध्ययन किया जाएगा कि किन योजनाओं को आपस में जोड़ा जा सकता है ताकि उनका दायरा और प्रभाव दोनों बढ़ाया जा सके। कुछ ऐसी छोटी योजनाएं भी हो सकती हैं जिन्हें चरणबद्ध रूप से बंद करने की आवश्यकता महसूस की जा सकती है।
अप्रैल से सामने आ सकती है रिपोर्ट
इस प्रक्रिया में व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने विभिन्न नोडल मंत्रालयों से सुझाव भी मांगे हैं, खासकर उन मंत्रालयों से जो सामाजिक क्षेत्र (Social Sector) की योजनाएं संचालित करते हैं। वहीं नीति आयोग (NITI Aayog) से भी यह अनुरोध किया गया है कि वे उन क्षेत्रों की पहचान करें जहां राज्यों की योजनाएं केंद्र प्रायोजित योजनाओं के साथ ओवरलैप कर रही हैं।
नीति आयोग अप्रैल 2025 तक अपनी रिपोर्ट पेश कर सकता है, जिसमें यह बताया जाएगा कि किन योजनाओं को उनके मौजूदा स्वरूप में जारी रखा जाए, किन्हें संशोधित किया जाए और किन्हें समाप्त करने की सिफारिश की जाए। इस रिपोर्ट को आगे वित्त आयोग (Finance Commission) के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
किन-किन पैरामीटर पर होगी योजनाओं की जांच?
सरकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण पैरामीटर तय किए गए हैं। इसमें सबसे पहले यह देखा जाएगा कि क्या कोई योजना अपने घोषित उद्देश्यों को पूरा कर पा रही है या नहीं। इसके अलावा यह भी मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या किसी योजना की समानांतर राज्य-स्तरीय योजना पहले से मौजूद है।
यह जांच इस आधार पर भी होगी कि राज्यों ने किस प्रकार से योजनाओं के कार्यान्वयन (Implementation) में प्रदर्शन किया है। केंद्र सरकार इस रिव्यू के जरिये यह भी देखेगी कि किस योजना पर कितना बजट खर्च हो रहा है और उसका लाभ कितने लोगों को मिल रहा है।
2025-26 के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं का बजट
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय योजनाओं और CSS के लिए कुल 5.41 लाख करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए यह आंकड़ा 5.05 लाख करोड़ रुपए था जिसे संशोधित कर 4.15 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया।
कुछ शीर्ष योजनाओं के लिए निर्धारित बजट इस प्रकार है: मनरेगा (MGNREGA) के लिए 86,000 करोड़ रुपए, जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के लिए 67,000 करोड़ रुपए, पीएम किसान (PM-Kisan) के लिए 63,500 करोड़ रुपए और पीएम आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-Gramin) के लिए 54,832 करोड़ रुपए।
इसके अलावा समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha) को 41,250 करोड़, नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) को 37,227 करोड़ और पीएम आवास योजना-अर्बन (PMAY-Urban) को 23,294 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है।
CSS योजनाओं की संख्या और दायरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च 2015 में गठित मुख्यमंत्रियों के उप-समूह ने केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (CSS) की संख्या को 130 से घटाकर 75 कर दिया था, ताकि फंड्स का उपयोग अधिक रणनीतिक और प्रभावी ढंग से हो सके।
इन योजनाओं में आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), जल जीवन मिशन (JJM) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) प्रमुख हैं।
रिव्यू का प्रभाव क्या हो सकता है?
यदि इस रिव्यू में यह सामने आता है कि कुछ योजनाएं अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रही हैं या उनका असर सीमित है, तो उन्हें या तो दूसरी योजनाओं में मिलाया जा सकता है या बंद भी किया जा सकता है। इससे सरकार को फंड्स की बचत होगी और अधिक प्रभावशाली योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलेगा।
यह समीक्षा सरकार की एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कवायद है, जिसका दूरगामी असर सामाजिक विकास, गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की योजनाओं पर पड़ेगा।