
भारत-पाकिस्तान की जंग की खबरें भले ही इस वक्त सुर्खियों में हों, लेकिन एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को कहीं ज़्यादा खतरनाक खतरे की चेतावनी दे दी है—तीसरे विश्व युद्ध (World War 3) की संभावित तारीख अब चर्चा में आ गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, केवल भारत-पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि अमेरिका, रूस और पश्चिमी यूरोप जैसे वैश्विक ताकतवर देश भी एक ऐसे टकराव की दिशा में बढ़ रहे हैं, जो मानव इतिहास की सबसे बड़ी तबाही बन सकता है। और इस बार सिर्फ परंपरागत हथियार नहीं, बल्कि न्यूक्लियर हथियारों (Nuclear Weapons) के इस्तेमाल की आशंका भी जताई गई है।
अमेरिका और यूरोप में गहराता डर, सर्वे में सामने आया चौंकाने वाला सच
YouGov द्वारा कराए गए इस सर्वे में सामने आया कि अमेरिका और यूरोप के करोड़ों लोग अगले पांच से दस वर्षों के भीतर तीसरे विश्व युद्ध की संभावना को गंभीरता से देख रहे हैं। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के 41% से 55% लोगों ने कहा कि वे इस बात को “काफी संभव” या “बहुत संभावित” मानते हैं। अमेरिका में भी 45% लोगों ने यही डर जताया है।
और ये डर महज़ युद्ध तक सीमित नहीं है। सर्वे में 68% से 76% प्रतिभागियों ने माना कि यह युद्ध परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के साथ होगा, जिससे जानमाल की हानि 1939 से 1945 के वर्ल्ड वॉर II से भी ज़्यादा हो सकती है। हर चार में से एक व्यक्ति को यह भी लगता है कि इस युद्ध से दुनिया की बड़ी आबादी खत्म हो सकती है।
रूस को सबसे बड़ा खतरा माना गया, अमेरिका पर भी भरोसा नहीं
इस सर्वे के निष्कर्षों में सबसे अहम बात यह रही कि रूस को तीसरे विश्व युद्ध का सबसे बड़ा संभावित कारण माना गया है। पश्चिमी यूरोप के 72% से 82% और अमेरिका के 69% लोगों ने इसे वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। खास बात यह है कि यूरोप के लोग अमेरिका को लेकर भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।
स्पेन के 58%, जर्मनी के 55% और फ्रांस के 53% नागरिकों का मानना है कि अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव यूरोप की शांति को और खतरे में डाल सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका की भूमिका को लेकर भी वैश्विक नजरिए में असमंजस बना हुआ है।
हम युद्ध में शामिल होंगे, पर हमारी सेनाएं तैयार नहीं
सर्वे में शामिल इटली से लेकर ब्रिटेन तक के 66% से 89% लोगों को यह विश्वास है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है, तो उनका देश उसमें शामिल होगा। मगर सवाल उठता है, क्या वे इसके लिए तैयार हैं?
इस पर लोगों की राय बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। फ्रांस में केवल 44% और इटली में महज 16% लोगों को अपनी सेना पर भरोसा है कि वह युद्ध के समय देश की रक्षा कर सकेगी। इसके विपरीत, अमेरिका में 71% लोगों को अपनी सैन्य ताकत पर पूरा विश्वास है। इससे जाहिर होता है कि अमेरिका अब भी एक सैन्य महाशक्ति के रूप में वैश्विक मानस में मजबूती से स्थापित है।
इतिहास से सबक लेने की जरूरत, WWII की पढ़ाई पर ज़ोर
फ्रांस (72%), जर्मनी (70%) और ब्रिटेन (66%) के नागरिकों ने कहा कि उन्हें वर्ल्ड वॉर II (WWII) के बारे में अच्छी जानकारी है। स्पेन में यह प्रतिशत केवल 40% रहा। फ्रांस में 77% लोगों को स्कूल में WWII की शिक्षा दी गई, जबकि ब्रिटेन में यह आंकड़ा 48% और स्पेन में केवल 34% रहा।
80% से ज़्यादा लोगों ने यह भी माना कि WWII आज भी प्रासंगिक है और इसे स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियां इतिहास की गलतियों से सीख सकें।
नाज़ी जैसे अपराध फिर हो सकते हैं? डर अभी भी कायम
सर्वे के अनुसार, अमेरिका के 52% नागरिकों को लगता है कि उनके देश में नाजी जर्मनी जैसे अपराध दोबारा हो सकते हैं। यूरोप में भी स्पेन से लेकर जर्मनी तक 31% से 50% लोगों ने यही चिंता जताई। कुल मिलाकर 59% लोगों ने माना कि किसी और यूरोपीय देश में भी ऐसे अपराध दोहराए जा सकते हैं।
दूसरे विश्व युद्ध में सबसे बड़ा योगदान किसका था—इस पर भी लोगों की राय बंटी रही। अमेरिका को 40% से 52% लोगों ने सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना। सोवियत संघ को केवल 17% से 28% और ब्रिटेन को 5% से 11% लोगों ने प्रमुख भूमिका निभाने वाला बताया। ब्रिटेन के अंदर 41% लोगों ने अपने देश को मुख्य योगदानकर्ता माना।
NATO को युद्ध के बाद शांति बनाए रखने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाला संगठन माना गया, जिसे 52% से 66% लोगों ने सराहा। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र (UN) और यूरोपीय संघ (EU) को भी शांति के रक्षक के रूप में देखा गया।