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Railway Ticket Rule Update: वेटिंग टिकट वालों को तगड़ा झटका! अब नहीं मिलेगी ट्रेन में एंट्री, जानें नया नियम

अब वेटिंग टिकट पर नहीं मिलेगी ट्रेन में जगह: रेलवे के नये नियम ने बदली यात्रा की परिभाषा! AC और Sleeper में वेटिंग टिकट हुए अमान्य, Advance Booking की सीमा घटी, ATM से पैसे निकालना हुआ महंगा 1 मई से बदल गया है सबकुछ, जानिए कैसे तैयार हों ये बदलाव झेलने के लिए।

By Saloni uniyal
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Railway Ticket Rule Update: वेटिंग टिकट वालों को तगड़ा झटका! अब नहीं मिलेगी ट्रेन में एंट्री, जानें नया नियम
Railway Ticket Rule Update: वेटिंग टिकट वालों को तगड़ा झटका! अब नहीं मिलेगी ट्रेन में एंट्री, जानें नया नियम

1 मई, 2025 से Railway Ticket Booking Rules में व्यापक बदलाव लागू हो चुके हैं। रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से कई अहम निर्णय लिए हैं, जिनमें सबसे बड़ा फैसला वेटिंग टिकट (Waiting Ticket) को लेकर किया गया है। अब स्लीपर (Sleeper Coach) और एसी कोच (AC Coach) में वेटिंग टिकट धारकों को यात्रा की अनुमति नहीं होगी। इस नए नियम के अनुसार, केवल जनरल कोच (General Coach) में ही वेटिंग टिकट वैध माने जाएंगे।

यात्रियों के लिए सख्त हुआ वेटिंग टिकट का नियम

रेलवे द्वारा लिए गए इस फैसले का सीधा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो यात्रा की भीड़ में वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन पकड़ते हैं। पहले यात्रियों को वेटिंग टिकट होने पर भी उम्मीद होती थी कि वे स्लीपर या एसी कोच में चढ़कर यात्रा कर सकेंगे, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। केवल कन्फर्म टिकट (Confirmed Ticket) वालों को ही इन कोचों में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। यह बदलाव यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा दोनों को ध्यान में रखकर लागू किया गया है। रेलवे का मकसद है कि बिना आरक्षण यात्रा करने वाले यात्री अब जनरल डिब्बों तक सीमित रहें, ताकि कन्फर्म टिकट वालों को समुचित स्थान मिल सके।

एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) घटा, अब केवल 60 दिन पहले तक बुक होगी टिकट

रेलवे ने Advance Reservation Period (ARP) को भी संशोधित किया है। पहले यह अवधि 120 दिन की हुआ करती थी, लेकिन अब इसे घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। यानी अब यात्री केवल दो महीने पहले तक की टिकट ही बुक कर सकेंगे। यह निर्णय भीड़ को नियंत्रित करने और सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

बढ़ सकते हैं टिकट कैंसलेशन चार्ज, रिफंड नियमों में बदलाव की संभावना

रेलवे द्वारा संकेत दिए गए हैं कि जल्द ही टिकट रद्द करने से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया जा सकता है। रिफंड पॉलिसी में संशोधन के साथ-साथ तीन प्रमुख चार्जेस में वृद्धि की संभावना है। इससे टिकट रद्द करने की लागत बढ़ सकती है। ऐसे में यात्रियों को अब टिकट बुक करते समय अधिक सतर्कता बरतनी होगी, खासकर उन लोगों को जो लास्ट मिनट में टिकट बुक करते हैं या यात्रा की योजना बदलते रहते हैं।

यात्रियों को यात्रा योजना में लानी होगी सटीकता

इन सभी बदलावों का सीधा असर यात्रा की योजना पर पड़ने वाला है। अब यात्रियों को न केवल समय से पहले टिकट बुक करनी होगी, बल्कि उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी टिकट कन्फर्म हो। लंबी दूरी की यात्रा करने वालों के लिए यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अब बिना कन्फर्म टिकट के यात्रा करना कठिन हो जाएगा।

ATM लेनदेन पर भी बढ़ा शुल्क, ग्राहकों को देना होगा अतिरिक्त भुगतान

1 मई, 2025 से केवल रेलवे ही नहीं, बैंकिंग सेक्टर में भी अहम बदलाव देखने को मिले हैं। Reserve Bank of India (RBI) के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब ATM लेनदेन पर शुल्क की दरें बढ़ा दी गई हैं। मुफ्त लेनदेन की सीमा पार होने पर अब ग्राहकों को कैश निकासी (Cash Withdrawal), बैलेंस चेक (Balance Check), और अन्य गैर-वित्तीय लेनदेन (Non-Financial Transactions) पर अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

अब कैश निकालने पर प्रति ट्रांजैक्शन 23 रुपये का शुल्क लिया जाएगा। बैलेंस चेक पर अब 7 रुपये देने होंगे, जबकि पहले यह 6 रुपये था। PNB जैसे कुछ बैंकों ने गैर-वित्तीय ट्रांजैक्शन पर 11 रुपये तक चार्ज करना शुरू कर दिया है। इससे उन ग्राहकों को कठिनाई हो सकती है जो अक्सर ATM का उपयोग करते हैं।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय, देश में अब रहेंगे सिर्फ 28 RRB

केंद्र सरकार की ‘एक राज्य, एक RRB’ नीति के तहत 1 मई से देश के 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks – RRB) का विलय शुरू हो गया है। इससे देश में RRB की कुल संख्या घटकर अब 43 से 28 रह जाएगी। इस विलय का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को अधिक कुशल बनाना, परिचालन लागत को घटाना और डिजिटल व कस्टमर सर्विस को सुदृढ़ बनाना है।

हालांकि ग्राहकों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी क्योंकि बैंक शाखाओं की संख्या में कोई कटौती नहीं की गई है। केवल बैंक का नाम बदलेगा और सेवाएं पहले से ज्यादा संगठित और बेहतर होंगी। खाताधारकों को अपने खाते में किसी प्रकार के बदलाव की जरूरत नहीं होगी।

बदलावों के पीछे की सोच और संभावित प्रभाव

इन सभी बड़े बदलावों से स्पष्ट है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं अब यात्रियों और ग्राहकों को अधिक अनुशासित और योजनाबद्ध प्रणाली की ओर ले जाना चाहती हैं। चाहे वह रेलवे टिकट बुकिंग हो, बैंकिंग सेवाएं हों या ग्रामीण बैंकिंग ढांचा — हर क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी दक्षता लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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