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BPL लिस्ट में नाम जुडने के बदले नियम! पंचायत प्रधानों की हो गई छुट्टी – अब ऐसे जुड़ेगा BPL में नाम

राज्य सरकार ने BPL सूची में पारदर्शिता लाने के लिए पंचायत प्रधानों की भूमिका खत्म कर दी है। नई गाइडलाइन में कौन करेगा जांच, कौन होगा पात्र, और कब तक करना होगा आवेदन जानें इस बड़े बदलाव से जुड़ी हर जरूरी जानकारी, जो सीधे आपके हक को प्रभावित कर सकती है।

By Saloni uniyal
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BPL लिस्ट में नाम जुडने के बदले नियम! पंचायत प्रधानों की हो गई छुट्टी – अब ऐसे जुड़ेगा BPL में नाम
BPL लिस्ट में नाम जुडने के बदले नियम! पंचायत प्रधानों की हो गई छुट्टी – अब ऐसे जुड़ेगा BPL में नाम

हिमाचल प्रदेश सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line – BPL) जीवन यापन करने वाले परिवारों की सूची तैयार करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब पंचायत प्रधानों की भूमिका इस प्रक्रिया से पूरी तरह खत्म कर दी गई है। नए नियमों के तहत अब BPL सूची तैयार करने का अधिकार केवल एसडीएम (Sub-Divisional Magistrate) और बीडीओ (Block Development Officer) को होगा। इस बदलाव का उद्देश्य BPL लाभ केवल उन्हीं परिवारों तक पहुंचाना है जो वास्तव में इसके पात्र हैं।

शिकायतों के बाद लिया गया फैसला, पारदर्शिता पर जोर

पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने जानकारी दी कि बीपीएल सूची तैयार करने में लगातार अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ रही थीं। पूर्ववर्ती प्रक्रिया के तहत पंचायत प्रधान बीपीएल सूची तैयार करता था, लेकिन कई बार कोरम पूरा न होने पर भी नाम जोड़ दिए जाते थे। सरकार ने इन विसंगतियों को गंभीरता से लिया और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमों में बदलाव किया। मंत्री ने कहा कि अब पात्रता का निर्धारण एक व्यवस्थित और निष्पक्ष प्रक्रिया से किया जाएगा, जिससे अपात्र लोगों के नाम सूची में शामिल होने की संभावना नगण्य हो जाएगी।

नई आय सीमा निर्धारित, केवल जरूरतमंदों को मिलेगा लाभ

सरकार ने बीपीएल सूची में शामिल होने की पात्रता के लिए सालाना आय सीमा भी निर्धारित की है। नए नियमों के अनुसार केवल वे परिवार ही बीपीएल सूची में शामिल किए जाएंगे जिनकी वार्षिक आय ₹50,000 से कम होगी। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य सरकार की प्राथमिकता सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सही और योग्य लाभार्थियों तक पहुंचाना है।

आवेदन की प्रक्रिया और तिथि

बीपीएल सूची में शामिल होने के इच्छुक परिवारों को 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 के बीच आवेदन करना होगा। आवेदन में आवश्यक दस्तावेज संलग्न करने होंगे और इसे संबंधित ग्राम पंचायत या सीधे बीडीओ कार्यालय में जमा करना होगा। यह कदम राज्य के हर नागरिक को इस प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर देता है, साथ ही सीधे आवेदन प्रणाली भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाने का काम करेगी।

त्रिस्तरीय समिति करेगी जांच

प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार 15 अप्रैल तक हर उपमंडल में एसडीएम की अगुवाई में एक त्रिस्तरीय सत्यापन समिति गठित की जाएगी। इस समिति में पंचायत सचिव, पटवारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल होंगे। ये अधिकारी प्रत्येक आवेदन की बारीकी से जांच करेंगे और पात्र परिवारों की सूची तैयार करेंगे। यह त्रिस्तरीय प्रणाली पारदर्शिता के साथ-साथ जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए भी अहम मानी जा रही है।

सूची का प्रकाशन और आपत्तियों का समाधान

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पंचायत स्तर पर तैयार की गई बीपीएल सूची को 15 जून 2025 तक सभी ग्राम पंचायतों के नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक किया जाएगा। इससे आम नागरिकों को सूची की समीक्षा करने और यदि कोई गड़बड़ी हो तो उसकी शिकायत दर्ज कराने का अवसर मिलेगा। आपत्तियां जुलाई में आयोजित ग्राम सभा की बैठक में दर्ज कराई जा सकेंगी, जहां उनका समाधान किया जाएगा।

15 अक्टूबर 2025 तक पूरी होगी प्रक्रिया

सरकार ने पूरी प्रक्रिया को 15 अक्टूबर 2025 तक पूरा करने के निर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य है कि राज्य की नई बीपीएल सूची समयबद्ध रूप से तैयार हो और इसके माध्यम से पात्र लाभार्थियों को केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके। इस प्रक्रिया से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, बल्कि सही लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ मिलना भी सुनिश्चित होगा।

पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम

बीपीएल सूची की प्रक्रिया में पंचायत प्रधानों की भूमिका समाप्त करना राज्य सरकार का एक साहसिक और निर्णायक कदम है। इससे जहां एक ओर राजनीतिक हस्तक्षेप में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी। राज्य सरकार की यह नीति ग्रामीण स्तर पर सामाजिक कल्याण की पारदर्शिता और जवाबदेही को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है।

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