
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। इस फैसले के बाद देश के लगभग सभी बड़े और छोटे बैंक अपने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), लोन और सेविंग अकाउंट (Saving Account) की ब्याज दरों में कमी कर रहे हैं। अब देश के प्रमुख निजी बैंकों में से एक, कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) ने भी अपने सेविंग अकाउंट की ब्याज दरों में कटौती करने का ऐलान कर दिया है।
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कोटक महिंद्रा बैंक की सेविंग अकाउंट ब्याज दरों में कटौती एक बड़ी खबर है, खासकर उन ग्राहकों के लिए जो अपने बचत खाते में बड़ी रकम जमा रखते हैं। जबकि ब्याज दरों में गिरावट से उधारकर्ता वर्ग को राहत मिल सकती है, निवेशक वर्ग को अपने निवेश विकल्पों पर पुनर्विचार करना आवश्यक हो गया है। आने वाले समय में बाजार की परिस्थितियों और आरबीआई की नीतियों के आधार पर और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
सेविंग अकाउंट (Saving Account) की ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती
कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने सेविंग अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत यानी 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। अब बैंक के ग्राहक अपने खाते में जमा राशि पर पहले से कम ब्याज अर्जित कर पाएंगे। गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी महीने में भी कोटक महिंद्रा बैंक ने सेविंग अकाउंट की ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती की थी।
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नई ब्याज दरें (Interest Rates) क्या होंगी?
कटौती के बाद अब कोटक महिंद्रा बैंक के सेविंग अकाउंट में 50 लाख रुपये तक की जमा राशि पर 2.75 प्रतिशत सालाना ब्याज मिलेगा। वहीं, जिन ग्राहकों का सेविंग अकाउंट बैलेंस 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें 3.25 प्रतिशत तक की ब्याज दर का लाभ मिलेगा। इसका सीधा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो बैंक में बड़ी रकम सेविंग अकाउंट में रखते हैं।
आरबीआई (RBI) के फैसले का असर बैंकों पर
आरबीआई द्वारा रेपो रेट (Repo Rate) में की गई 0.25 प्रतिशत की कटौती का सीधा असर बैंकों की फंडिंग लागत पर पड़ा है। बैंकों के लिए अब लोन सस्ता हुआ है, लेकिन इसके साथ ही जमा पर मिलने वाला रिटर्न भी घटा है। यही वजह है कि कोटक महिंद्रा बैंक सहित कई अन्य बैंक भी सेविंग अकाउंट, एफडी (FD) और ऋण दरों में बदलाव कर रहे हैं।
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MSMEs और बीमा (Insurance) का महत्व बढ़ा
भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। हालांकि, बीमा के प्रति जागरूकता की कमी के कारण अधिकांश छोटे कारोबार बिना बीमा के चलते हैं, जो संकट के समय उन्हें अत्यधिक जोखिम में डालता है। वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में बीमा (Insurance) का महत्व MSMEs के लिए और भी बढ़ गया है। एक सही बीमा पॉलिसी उन्हें अप्रत्याशित जोखिमों से बचा सकती है और वित्तीय स्थिरता प्रदान कर सकती है।
बाजार में ब्याज दरों में गिरावट का प्रभाव
ब्याज दरों में गिरावट का प्रभाव निवेशकों और आम ग्राहकों दोनों पर पड़ रहा है। सेविंग अकाउंट, एफडी और अन्य सुरक्षित निवेश साधनों से मिलने वाला रिटर्न घट रहा है। निवेशकों को अब ऐसे विकल्पों की तलाश करनी होगी जो बेहतर रिटर्न प्रदान कर सकें, जैसे कि आईपीओ-IPO, म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) या रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) प्रोजेक्ट्स में निवेश। हालांकि, जोखिम का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है।