
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में एयर डिफेंस गन (Air Defence Gun) तैनात किए जाने की खबरों ने देशभर में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ तस्वीरों और वीडियो में दावा किया गया कि स्वर्ण मंदिर के पास भारी हथियार तैनात किए गए हैं। इस खबर के सामने आते ही लोगों की प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया और इसे लेकर सिख समुदाय में आक्रोश भी देखा गया।
यह भी देखें: चीन बार-बार बोल रहा ‘चोमोलुंगमा’, नेपाल के सामने खड़ा हुआ बड़ा कूटनीतिक संकट
हालांकि, इस पूरे मामले पर न केवल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने स्थिति स्पष्ट की, बल्कि भारतीय सेना (Indian Army) ने भी अपने स्तर पर जवाब देते हुए बताया कि हकीकत क्या है। इस पूरे विवाद के बाद अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि यह एक सामान्य सैन्य अभ्यास का हिस्सा था और इसका स्वर्ण मंदिर परिसर से कोई लेना-देना नहीं था।
वायरल वीडियो और तस्वीरों से शुरू हुआ विवाद
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के निकट एक स्थान पर सेना के जवान और भारी सैन्य उपकरण, विशेष रूप से एयर डिफेंस गन, दिखाई दे रहे थे। इस वीडियो को लेकर यह भ्रम फैल गया कि भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा के लिए भारी हथियार तैनात किए हैं। कुछ यूज़र्स ने इसे 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार से जोड़ते हुए सवाल उठाए।
वीडियो में दिखाया गया क्षेत्र स्वर्ण मंदिर के पास का प्रतीत हो रहा था, जिससे भ्रम की स्थिति बनी। कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस पर नाराजगी जताई और केंद्र सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।
यह भी देखें: 10 सरकारी बैंक दे रहे हैं सस्ता होम लोन, जानिए ₹30 लाख के लोन पर कितनी होगी EMI
SGPC ने किया स्पष्ट इंकार
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इस विवाद पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि स्वर्ण मंदिर परिसर या उसके भीतर किसी प्रकार का सैन्य हस्तक्षेप नहीं हुआ है। SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह पूरी तरह भ्रामक खबर है और इससे सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है।
धामी ने कहा, “स्वर्ण मंदिर सिखों की आस्था का केंद्र है और यहां किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि स्वीकार्य नहीं है। हमने स्थानीय प्रशासन से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है और सिख संगत से शांति बनाए रखने की अपील की है।”
भारतीय सेना का आधिकारिक बयान
विवाद बढ़ने के बाद भारतीय सेना ने भी एक आधिकारिक बयान जारी किया जिसमें बताया गया कि यह एक नियमित सैन्य अभ्यास था जो सेना की प्रशिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा है। बयान के अनुसार, “यह एयर डिफेंस अभ्यास (Air Defence Exercise) सेना के स्थानीय मुख्यालय के तहत किया गया था और इसका उद्देश्य सैनिकों की तैयारी को परखना था। इसका स्वर्ण मंदिर परिसर या धार्मिक स्थल से कोई संबंध नहीं है।”
यह भी देखें: भारत ने बांग्लादेश से कुछ सामानों के इंपोर्ट पर लगाया बैन, जानिए सरकार के इस फैसले की वजह
सेना ने कहा कि जिस स्थान पर अभ्यास हुआ वह सेना की अधिकृत जमीन है और वहां पर समय-समय पर इस तरह के अभ्यास होते रहते हैं। सेना ने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों को अनावश्यक रूप से धार्मिक भावनाओं से न जोड़ें।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की यादें ताजा
हालांकि सेना और SGPC दोनों की सफाई के बावजूद इस घटना ने 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार की कड़वी यादें ताजा कर दीं। उस समय भारतीय सेना ने आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई की थी, जिससे व्यापक आक्रोश फैला था। इस पृष्ठभूमि को देखते हुए, लोगों की संवेदनशील प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय से सवाल किए कि आखिर इस तरह का अभ्यास धार्मिक स्थल के पास क्यों किया गया। पंजाब सरकार ने भी इस मामले पर केंद्र से रिपोर्ट मांगी है।
यह भी देखें: आयुष्मान भारत योजना में बड़ा बदलाव, माता-पिता के कार्ड पर अब इतने साल तक के बच्चों को ही मिलेगा इलाज
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वे सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान करें और धार्मिक स्थलों के पास सैन्य गतिविधियों को नियंत्रित करें।
सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें और जिम्मेदारी
इस पूरे मामले में एक बार फिर सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल उठे हैं। भ्रामक जानकारी और आधे-अधूरे वीडियो के आधार पर बड़े दावे किए गए, जिससे लोगों में भ्रम और भय का माहौल बना। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में सूचना की पुष्टि किए बिना साझा करना गैर-जिम्मेदाराना हरकत है।