
नई दिल्ली: सरकार देश के सभी नागरिकों के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लाने पर विचार कर रही है। इस योजना का उद्देश्य हर नागरिक को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। सूत्रों के अनुसार, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है। यह योजना स्वैच्छिक और अंशदायी होगी, यानी इसमें भाग लेने का निर्णय व्यक्ति के ऊपर होगा, और पेंशन पाने के लिए योगदान देना अनिवार्य होगा। यह योजना रोजगार से जुड़ी नहीं होगी, जिससे कोई भी इसमें भाग ले सकता है और पेंशन का लाभ उठा सकता है। सरकार इस योजना को ईपीएफओ (EPFO) के तहत लागू करने की योजना बना रही है।
पेंशन योजना में हो सकता है पुरानी योजनाओं का विलय
सूत्रों के अनुसार, इस नई पेंशन योजना में पहले से चल रही प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) और राष्ट्रीय पेंशन योजना व्यापारियों एवं स्व-रोजगार करने वालों के लिए (NPS-Traders) को शामिल किया जा सकता है।
इन योजनाओं के तहत 60 वर्ष की आयु के बाद हर माह ₹3,000 की पेंशन दी जाती है। इसके लिए लाभार्थियों को ₹55 से ₹200 प्रति माह तक का योगदान देना पड़ता है, जो उनकी उम्र पर निर्भर करता है। सरकार भी इसमें उतनी ही राशि का योगदान करती है, जितना लाभार्थी जमा करता है।
इसके अलावा, अटल पेंशन योजना को भी इस यूनिवर्सल पेंशन स्कीम में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। वर्तमान में यह योजना पीएफआरडीए (PFRDA) के अंतर्गत आती है। वहीं, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम (BoCW Act) के तहत एकत्र किया गया सेस भी इस योजना में जोड़ा जा सकता है, जिससे निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन दी जा सकेगी।
राज्यों को भी किया जा सकता है शामिल
सरकार इस योजना में राज्य सरकारों को भी शामिल करने की योजना बना रही है, जिससे उनकी पेंशन योजनाओं को इसमें विलय किया जा सके। इससे सरकारी अंशदान पूरे देश में समान रूप से वितरित होगा और पेंशन की राशि बढ़ेगी।
कौन हो सकता है इस स्कीम का लाभार्थी?
इस योजना में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति योगदान कर सकता है। 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद उन्हें नियमित पेंशन का लाभ मिलेगा। खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, व्यापारियों और स्व-रोजगार करने वालों के लिए यह योजना बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत
भारत में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, 2036 तक 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 227 मिलियन हो जाएगी, जो कि देश की कुल आबादी का 15% होगी। वहीं, 2050 तक यह संख्या 347 मिलियन तक पहुंच सकती है, जो कुल आबादी का 20% होगी।
अमेरिका, यूरोप, कनाडा, रूस और चीन जैसे कई देशों में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली मौजूद है, जिसमें पेंशन, स्वास्थ्य और बेरोजगारी बीमा जैसी सुविधाएं शामिल हैं। भारत में हालांकि सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था मुख्य रूप से निधि और वृद्धावस्था पेंशन पर आधारित है। सरकार गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वास्थ्य बीमा भी उपलब्ध कराती है।
इसलिए, यूनिवर्सल पेंशन स्कीम सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। इससे हर नागरिक को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।