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गर्मी में कौन सा AC है बेस्ट? 1 टन vs 1.5 टन में क्या है फर्क, खरीदने से पहले जरूर जानें

AC लेने से पहले ये ज़रूर पढ़ें! जानिए किस साइज का एसी आपके कमरे और बजट के लिए है सही, वरना न ठंडक मिलेगी, न बिजली का बिल बचेगा!

By Saloni uniyal
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गर्मी में कौन सा AC है बेस्ट? 1 टन vs 1.5 टन में क्या है फर्क, खरीदने से पहले जरूर जानें
गर्मी में कौन सा AC है बेस्ट? 1 टन vs 1.5 टन में क्या है फर्क, खरीदने से पहले जरूर जानें

गर्मी का मौसम शुरू होते ही बाजार में Air Conditioner की मांग तेजी से बढ़ जाती है। लेकिन जब बात एसी खरीदने की आती है, तो सबसे बड़ी उलझन होती है – 1 टन AC खरीदें या 1.5 टन AC? यह सवाल बहुत सामान्य है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहली बार एयर कंडीशनर खरीदने जा रहे हैं या फिर घर में एक नया यूनिट लगाना चाहते हैं। सही एसी का चुनाव सिर्फ ठंडक ही नहीं, बल्कि बिजली के बिल और दीर्घकालिक प्रदर्शन पर भी असर डालता है।

1 टन AC की कूलिंग कैपेसिटी कितनी होती है?

एक 1 टन एसी की कूलिंग कैपेसिटी लगभग 12,000 BTU प्रति घंटा होती है। यह कूलिंग कैपेसिटी आमतौर पर 120 वर्ग फीट तक के कमरे के लिए उपयुक्त मानी जाती है। यदि आपका कमरा छोटा है, उसमें कम खिड़कियां हैं और सीलिंग ऊँची नहीं है, तो 1 टन का एसी काफी हद तक बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

छोटे फ्लैट, सिंगल बेडरूम, बच्चों के कमरे या फिर स्टडी रूम के लिए 1 टन एसी एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है। यह बिजली की भी बचत करता है और इन्वर्टर तकनीक से लैस होने पर बिजली की खपत और भी कम हो जाती है।

1.5 टन AC क्यों माना जाता है ज्यादा असरदार?

वहीं दूसरी ओर, 1.5 टन एसी की कूलिंग कैपेसिटी 18,000 BTU प्रति घंटा होती है। यह एसी 150 से 200 वर्ग फीट के कमरों को ठंडा करने में सक्षम होता है। यदि आपके कमरे में ज्यादा खिड़कियां हैं, धूप सीधे आती है या तापमान 40 डिग्री से ऊपर चला जाता है, तो ऐसे में 1 टन एसी की तुलना में 1.5 टन एसी ज्यादा प्रभावी साबित होगा।

इन्वर्टर तकनीक से लैस 1.5 टन एसी ना सिर्फ तेजी से कूलिंग करता है, बल्कि ओवरऑल परफॉर्मेंस और लॉन्ग टर्म बिजली बचत में भी योगदान देता है।

गर्म इलाकों में कौन सा AC ज्यादा असरदार?

जिन इलाकों में गर्मी चरम पर होती है और पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है, वहां 1 टन एसी अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली हो सकता है। ऐसे में एसी को कमरे को ठंडा करने में अधिक समय लग सकता है, जिससे न सिर्फ बिजली ज्यादा खर्च होगी बल्कि कूलिंग का अनुभव भी संतोषजनक नहीं होगा।

अगर आप किसी गर्म प्रदेश जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश या हरियाणा के ऐसे शहर में रहते हैं, जहां पर गर्मियों में पारा काफी ऊपर चला जाता है, तो 1.5 टन या 2 टन AC ज्यादा उपयुक्त रहेगा। यह बड़े कमरों में भी तेज़ी से ठंडक देता है और लगातार चलने की स्थिति में भी तापमान को संतुलित बनाए रखता है।

बिजली की खपत में क्या फर्क पड़ता है?

बिजली की खपत भी एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आमतौर पर 1 टन एसी कम बिजली खपत करता है, लेकिन यह निर्भर करता है कि एसी कितनी देर तक चल रहा है और कमरे में कूलिंग बरकरार रखने के लिए उसे कितनी मेहनत करनी पड़ रही है।

अगर आपने 1 टन का एसी बड़े कमरे में लगा रखा है, तो वह अपनी क्षमता से अधिक काम करेगा और ज्यादा बिजली खपत करेगा। इसके विपरीत, यदि कमरे के आकार के हिसाब से 1.5 टन एसी लगाया गया है, तो वह जल्दी और कुशलता से ठंडक देगा और ओवरऑल बिजली खर्च भी कम होगा।

इन्वर्टर तकनीक वाले AC बिजली की खपत को लगभग 30% से 40% तक कम कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक उपयोग में भारी बचत होती है।

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क्या 1 टन AC सस्ता और किफायती विकल्प है?

अगर बात बजट की करें, तो निश्चित रूप से 1 टन एसी की कीमत 1.5 टन AC की तुलना में कम होती है। यदि आपका बजट सीमित है और कमरा छोटा है, तो 1 टन एसी एक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है। साथ ही, इन्वर्टर मॉडल होने पर आप बिजली बिल में भी बचत कर सकते हैं।

खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?

AC खरीदते समय सिर्फ टन क्षमता ही नहीं, बल्कि इन्वर्टर तकनीक, ISEER रेटिंग, ब्रांड की विश्वसनीयता, वारंटी और AFTER-SALES SERVICE जैसी बातों पर भी ध्यान देना जरूरी है। कूलिंग से पहले अगर आपका कमरा अच्छी तरह इंसुलेटेड नहीं है या खिड़कियां बिना पर्दों के हैं, तो एसी की परफॉर्मेंस भी प्रभावित हो सकती है।

Air Conditioner की परफॉर्मेंस कई फैक्टर पर निर्भर करती है – कमरे का आकार, तापमान, खिड़की की स्थिति, धूप का असर और एसी का स्थान। इसलिए खरीदने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें या ऑनलाइन AC कैलकुलेटर की मदद से अपना उपयुक्त टन साइज चुनें।

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