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बैंक अकाउंट हो सकते हैं फ्रीज! बैंक संघ ने RBI से मांगी मंजूरी

फेक अकाउंट्स और साइबर फ्रॉड पर नकेल कसने को लेकर इंडियन बैंक एसोसिएशन ने RBI को भेजा अहम प्रस्ताव, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चुनाव आयोग के डेटा का होगा इस्तेमाल… जानिए कैसे बदल सकता है आपका बैंकिंग अनुभव।

By Saloni uniyal
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बैंक अकाउंट हो सकते हैं फ्रीज! बैंक संघ ने RBI से मांगी मंजूरी
बैंक अकाउंट हो सकते हैं फ्रीज! बैंक संघ ने RBI से मांगी मंजूरी

देश में बैंकिंग सिस्टम (Banking System) को और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) ने एक अहम प्रस्ताव भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भेजने की तैयारी कर ली है। यह प्रस्ताव ऐसे ग्राहकों के बैंक खातों की जब्ती से जुड़ा है, जो फर्जी अकाउंट्स (Fake Accounts) के जरिए साइबर क्राइम (Cyber Crime) या साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) जैसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं।

आईबीए की एक वर्किंग ग्रुप रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसे संदिग्ध बैंक खातों पर तुरंत कार्रवाई की अनुमति बैंकों को दी जाए ताकि तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन फ्रॉड्स पर अंकुश लगाया जा सके। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning) जैसे आधुनिक तकनीकों को ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़कर इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सकता है।

कोर्ट या एजेंसी की मंजूरी के बिना खाता फ्रीज करने की मांग

वर्तमान में किसी भी ग्राहक का बैंक खाता जब्त करने के लिए बैंकों को कोर्ट (Court) या कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies – LEA) से औपचारिक मंजूरी लेनी होती है। यह प्रक्रिया काफी लंबी और समय-खपत वाली होती है, जिससे अपराधियों को फायदा मिलता है और वे नए अकाउंट्स के जरिए अपराध को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं।

बैंकों का मानना है कि यदि उन्हें कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में खुद खाता जब्त करने की छूट मिले, तो वे तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं और अवैध लेनदेन (Illegal Transactions) को रोका जा सकता है। धन शोधन रोधक अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के अंतर्गत अभी यह अनुमति नहीं है, लेकिन बदलते परिदृश्य में इसके नियमों में संशोधन की जरूरत बताई गई है।

एआई और मशीन लर्निंग से ट्रांजैक्शन पर निगरानी

IBA की रिपोर्ट में यह प्रमुख सुझाव सामने आया है कि Artificial Intelligence (AI) और Machine Learning (ML) जैसे तकनीकी टूल्स को ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग सिस्टम में एकीकृत किया जाए। इससे संदिग्ध लेनदेन को रियल टाइम में ट्रैक किया जा सकेगा और तुरंत अलर्ट जनरेट किया जा सकेगा।

वर्किंग ग्रुप का मानना है कि अगर तकनीकी निवेश (Tech Investment), स्टाफ की ट्रैनिंग और स्टेकहोल्डर्स के साथ सहयोग को प्राथमिकता दी जाए, तो फाइनेंशियल सेक्टर को साइबर खतरों से बचाया जा सकता है। हर साल हजारों फर्जी बैंक खातों को फ्रीज किया जाता है, लेकिन तकनीक की मदद से इस संख्या को और बढ़ाया जा सकता है और समय की बचत की जा सकती है।

चुनाव आयोग के डेटा के इस्तेमाल का प्रस्ताव

एक अन्य महत्वपूर्ण सुझाव में यह कहा गया है कि ऐसे खातों के लिए, जिनके पास पैन कार्ड (PAN Card) नहीं है, वोटर आईडी (Voter ID) और फॉर्म 60 (Form 60) का इस्तेमाल कर खोलने वाले ग्राहकों के वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) के डेटा का उपयोग किया जाए। इससे ग्राहक की पहचान की पुष्टि बेहतर तरीके से की जा सकेगी और फर्जी खातों को बनने से रोका जा सकेगा।

बैंकों ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि इन प्रकार के खातों से होने वाले लेनदेन की सीमा (Transaction Limit) तय की जाए। इससे यदि कोई फर्जी खाता बन भी जाता है, तो वह एक सीमा से अधिक राशि का लेनदेन नहीं कर सकेगा और संभावित फ्रॉड को समय रहते रोका जा सकेगा।

साइबर फ्रॉड के लिए बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग

IBA की रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि साइबर अपराधी लगातार बैंकिंग सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर अवैध तरीके से धन की हेराफेरी कर रहे हैं। वे एक खाता फ्रीज होने के बाद आसानी से दूसरा फर्जी खाता बना लेते हैं। यही वजह है कि सिस्टम को और सख्त और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की जरूरत है।

साल दर साल साइबर फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। भारत में डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ फर्जी अकाउंट्स के जरिए की जाने वाली धोखाधड़ी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। इस पर नियंत्रण पाने के लिए बैंक अपनी शक्तियों में वृद्धि चाहते हैं।

आईबीए की रिपोर्ट से बढ़ी उम्मीदें

आईबीए द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक को भेजा जाएगा। इसमें नियमों को लचीला बनाने, बैंकों को तुरंत खाता जब्त करने की सीमित शक्तियाँ देने, और ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग को और प्रभावी बनाने की सिफारिश की गई है।

RBI यदि इस रिपोर्ट पर सहमत होता है और आवश्यक बदलाव करता है, तो भारत में साइबर सुरक्षा (Cyber Security) के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम माना जाएगा। इससे न केवल बैंकों को मजबूती मिलेगी, बल्कि ग्राहकों की संपत्ति और डेटा भी अधिक सुरक्षित रहेंगे।

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