![सावधान! ChatGPT और DeepSeek के इस्तेमाल पर रोक, जानें सरकार ने क्यों लिया बड़ा फैसला!](https://newzoto.com/wp-content/uploads/2025/02/Ban-on-ChatGPT-and-DeepSeek-1024x576.jpg)
भारत के वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें आधिकारिक सरकारी उपकरणों पर AI-आधारित टूल्स और एप्लिकेशन, जैसे ChatGPT और DeepSeek, के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह सर्कुलर 29 जनवरी 2025 को जारी किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी डेटा को साइबर खतरों से सुरक्षित रखना है।
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सरकारी उपकरणों पर AI टूल्स के उपयोग पर प्रतिबंध क्यों?
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी इस आदेश पर संयुक्त सचिव प्रदीप कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए हैं। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि AI-आधारित एप्लिकेशन सरकारी सिस्टम में सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकते हैं। मंत्रालय ने सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने आधिकारिक उपकरणों पर AI टूल्स के उपयोग से बचने का सख्त आदेश दिया है। यह आदेश वित्त सचिव की मंजूरी के बाद राजस्व, आर्थिक मामलों, व्यय, सार्वजनिक उद्यम, DIPAM और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख सरकारी विभागों को भेजा गया है।
वैश्विक स्तर पर AI टूल्स पर प्रतिबंध की प्रवृत्ति
AI टूल्स को लेकर पूरी दुनिया में सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं। कई सरकारें और निजी कंपनियां अपने संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के लिए AI टूल्स के उपयोग को सीमित कर रही हैं। AI मॉडल, जैसे ChatGPT, यूजर डेटा को एक्सटर्नल सर्वर पर प्रोसेस करते हैं, जिससे डेटा लीक होने और अनधिकृत एक्सेस का खतरा रहता है। वैश्विक स्तर पर कई कंपनियों ने भी AI टूल्स के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि गोपनीय डेटा सुरक्षित रह सके।
क्या यह प्रतिबंध निजी उपकरणों पर भी लागू होगा?
सरकार द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या कर्मचारी अपने निजी उपकरणों पर AI टूल्स का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार AI तकनीक के प्रति सतर्क है और डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। निकट भविष्य में सरकार इस विषय पर एक स्पष्ट नीति बना सकती है।
AI टूल्स पर प्रतिबंध लगाने के मुख्य कारण
1. डेटा लीक का खतरा
AI टूल्स जैसे ChatGPT और DeepSeek, उपयोगकर्ता द्वारा इनपुट किए गए डेटा को बाहरी सर्वर पर प्रोसेस करते हैं। यदि सरकारी कर्मचारी संवेदनशील जानकारी इन टूल्स पर दर्ज करते हैं, तो वह डेटा लीक हो सकता है और साइबर अपराधियों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। सरकारी विभाग अत्यधिक गोपनीय वित्तीय डेटा, नीतिगत मसौदे और आंतरिक संचार का प्रबंधन करते हैं, जिससे अनजाने में भी डेटा लीक होने पर गंभीर सुरक्षा जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
2. AI मॉडल पर नियंत्रण की कमी
सरकार पारंपरिक सॉफ़्टवेयर पर नियंत्रण रख सकती है, लेकिन AI टूल्स आमतौर पर क्लाउड-आधारित होते हैं और निजी कंपनियों के स्वामित्व में होते हैं। उदाहरण के लिए, ChatGPT का मालिक Open AI है और भारत सरकार के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि वह डेटा को कैसे प्रोसेस और स्टोर करता है। इससे विदेशी हस्तक्षेप और साइबर हमलों का खतरा बढ़ सकता है।
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3. डेटा संरक्षण कानूनों के अनुरूपता
भारत सरकार डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023 जैसे सख्त डेटा गोपनीयता कानूनों पर कार्य कर रही है। बिना नियमों के AI टूल्स का उपयोग करने से डेटा सुरक्षा नीति का उल्लंघन हो सकता है और सरकारी सिस्टम साइबर हमलों के प्रति असुरक्षित हो सकते हैं।
भविष्य में AI उपयोग को लेकर संभावनाएँ
वर्तमान में सरकार AI टूल्स को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए है, लेकिन यह संभावना बनी हुई है कि भविष्य में एक विनियमित नीति तैयार की जा सकती है। फिलहाल, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को पारंपरिक तरीकों से काम करने की सलाह दी गई है, जिससे सरकारी डेटा को सुरक्षित रखा जा सके।