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भ्रष्टाचार में फंसा सरकारी कर्मचारी तो नौकरी खत्म, फिर मंत्री क्यों बन सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और चुनाव आयोग से पूछा जवाब

क्या अब राजनीति से अपराधियों का सफाया होगा? सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा बयान, दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध की उठी मांग! जानिए इस महत्वपूर्ण फैसले का पूरा मामला और इसके दूरगामी प्रभाव!

By Saloni uniyal
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण को गंभीर मुद्दा मानते हुए सवाल उठाया है कि जब कोई व्यक्ति आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जा चुका है, तो वह संसद या विधानसभा में कैसे लौट सकता है? इस अहम सवाल पर कोर्ट ने सोमवार, 10 फरवरी 2025 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और भारत के निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट की यह प्रतिक्रिया एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग की गई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

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दोषी नेता संसद में कैसे वापस आ सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारत के अटॉर्नी जनरल से यह स्पष्ट करने को कहा है कि एक बार किसी जनप्रतिनिधि को अपराध में दोषी ठहराया जाता है और दोषसिद्धि बनी रहती है, तो उसे संसद या विधानसभा में दोबारा प्रवेश करने की अनुमति क्यों मिलती है? कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से हितों का टकराव है, क्योंकि ऐसे दोषी नेता कानून बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर सवाल

कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट का कहना है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार या किसी गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे सेवा के लिए अयोग्य माना जाता है। लेकिन एक ही अपराध में दोषी ठहराया गया व्यक्ति मंत्री कैसे बन सकता है? यह विरोधाभास क्यों है?

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मामले को बड़ी पीठ के समक्ष रखने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखने का निर्देश दिया है, ताकि इसे बड़ी पीठ द्वारा सुना जा सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि पहले ही तीन जजों की बेंच ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर फैसला दिया था, इसलिए दो जजों की बेंच इस मामले को दोबारा नहीं खोल सकती।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की न्याय मित्र के रूप में सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के लगातार निर्देशों के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक मामले लंबित हैं। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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राजनीति में अपराधीकरण पर क्या होगा अगला कदम?

अब इस मामले को बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाएगा, जिससे यह तय किया जा सके कि दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं। यह फैसला भारतीय राजनीति के भविष्य को प्रभावित कर सकता है और राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

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