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1 अप्रैल से बदल जाएंगे Income Tax के ये 10 बड़े नियम – फाइनेंशियल प्लानिंग से पहले जरूर जानें ये अपडेट

न्यू टैक्स रिजीम, स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 87A की रिबेट, TDS में राहत और ITR फाइलिंग की डेडलाइन तक आ रहे हैं बड़े बदलाव जो टैक्सपेयर्स की जेब और प्लानिंग दोनों को देंगे नई दिशा।

By Saloni uniyal
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1 अप्रैल से बदल जाएंगे Income Tax के ये 10 बड़े नियम – फाइनेंशियल प्लानिंग से पहले जरूर जानें ये अपडेट
1 अप्रैल से बदल जाएंगे Income Tax के ये 10 बड़े नियम – फाइनेंशियल प्लानिंग से पहले जरूर जानें ये अपडेट

1 अप्रैल 2025 से फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की शुरुआत के साथ ही इनकम टैक्स-Income Tax के नियमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बार केंद्रीय बजट में टैक्स सिस्टम से जुड़े कई अहम ऐलान किए गए थे, जो अब लागू हो जाएंगे। ये नए नियम आम टैक्सपेयर्स, सैलरीड क्लास, पार्टनरशिप फर्म्स और स्टार्टअप्स के लिए बेहद अहम हैं। खास बात यह है कि न्यू टैक्स रिजीम-New Tax Regime को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए छूट की सीमा बढ़ाई गई है और साथ ही टैक्स फाइलिंग से जुड़े नियमों में भी ढील दी गई है। यहां हम आपको इन बदलावों की पूरी जानकारी दे रहे हैं, ताकि आप समय रहते इसकी तैयारी कर सकें।

न्यू इनकम टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव

फाइनेंशियल ईयर 2025-26 के लिए न्यू टैक्स रिजीम के अंतर्गत इनकम टैक्स स्लैब में अहम बदलाव किया गया है। अब 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स छूट मिलेगी, जिससे मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलने वाली है। पहले यह छूट 7 लाख रुपये तक की इनकम पर मिलती थी। इस बदलाव का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये या उससे कम है। साथ ही, यह बदलाव सरकार के टैक्स सरलीकरण की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।

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सैलरीड क्लास को मिलेगा 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन

सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए एक और खुशखबरी है। अब न्यू टैक्स रिजीम में भी 75,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होगा। पहले यह सुविधा केवल ओल्ड टैक्स रिजीम के अंतर्गत मिलती थी। यह कदम नौकरीपेशा वर्ग के हाथ में अधिक पैसा बचाने में मदद करेगा और साथ ही टैक्स बोझ को कम करेगा।

सेक्शन 87A के तहत टैक्स रिबेट में बढ़ोतरी

न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर्स को आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट की सीमा को बढ़ाया गया है। पहले जहां यह रिबेट अधिकतम 25,000 रुपये तक मिलती थी, अब इसे बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया है। इस संशोधन के बाद बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को पूर्ण टैक्स छूट का लाभ मिलेगा।

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अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न की समयसीमा 48 महीने

सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR-U) फाइल करने की समयसीमा को 12 महीने से बढ़ाकर अब 48 महीने कर दिया है। यानी अब कोई भी टैक्सपेयर अगर किसी कारणवश अपनी आय को सही तरीके से रिपोर्ट नहीं कर पाया है, तो उसे 4 साल तक का समय मिलेगा उसे सुधारने का। यह बदलाव टैक्स कंप्लायंस बढ़ाने के लिहाज से एक बड़ा कदम है।

TDS नियमों में राहत, सीनियर सिटीजन्स को मिलेगा फायदा

1 अप्रैल से TDS यानी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स के नियमों में भी बदलाव होगा। सरकार ने सीनियर सिटीजन्स के लिए इंटरेस्ट इनकम पर TDS की लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब 1 लाख रुपये तक की ब्याज आय पर TDS नहीं कटेगा। इससे बुजुर्गों को अतिरिक्त आय का फायदा होगा और उन्हें टैक्स डिडक्शन की चिंता से राहत मिलेगी।

स्टार्टअप्स को टैक्स में अतिरिक्त छूट

सरकार ने स्टार्टअप कंपनियों के लिए टैक्स छूट की अवधि को भी बढ़ा दिया है। अब मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को 3 में से किसी भी 10 असेसमेंट ईयर में टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। इससे उद्यमियों को अपने कारोबार को स्थापित करने में ज्यादा समय और पूंजी मिलने की संभावना बढ़ेगी।

पार्टनरशिप फर्म्स के लिए टैक्स में स्पष्टता

पार्टनरशिप फर्म्स के लिए आय की गणना और टैक्स भुगतान में अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता लाई गई है। अब इन फर्म्स को अपने लाभ और हिस्सेदारों की इनकम के ब्यौरे को और बेहतर तरीके से रिपोर्ट करना होगा, जिससे टैक्स चोरी की संभावनाएं कम होंगी।

टैक्स डिडक्शन की डिजिटल सुविधा को बढ़ावा

सरकार ने डिजिटल भुगतान और टैक्स डिडक्शन को और अधिक सरल और प्रभावी बनाने के लिए तकनीकी सुधारों की घोषणा की है। अब विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए टैक्स कटौती और भुगतान को ट्रैक करना पहले से ज्यादा आसान होगा।

रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को टैक्स में प्रोत्साहन

बजट 2025-26 में Renewable Energy सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई टैक्स इंसेंटिव्स की घोषणा की गई है। अब इस क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों और स्टार्टअप्स को टैक्स में अतिरिक्त छूट मिलेगी, जिससे भारत की हरित ऊर्जा-नीति को बल मिलेगा।

टैक्स चोरी रोकने के लिए डेटा इंटीग्रेशन

सरकार ने टैक्स चोरी को रोकने के लिए विभिन्न विभागों के डेटा को एकीकृत करने का निर्णय लिया है। अब पैन-आधार, बैंकिंग, जीएसटी और इनकम टैक्स डेटा को एकसाथ जोड़कर टैक्स रिटर्न की सटीकता को सुनिश्चित किया जाएगा। यह कदम टैक्स सिस्टम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को मजबूत करेगा।

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