
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि जब तक सड़कों की हालत में सुधार नहीं होता, तब तक टोल टैक्स (Toll Tax) की वसूली नहीं की जा सकती। यह निर्णय पठानकोट-उधमपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) पर टोल वसूली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक राजमार्ग का निर्माण कार्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो जाता, तब तक दो टोल प्लाजा पर केवल 20 प्रतिशत टोल ही वसूला जा सकता है।
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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट का यह फैसला जनता के अधिकारों की रक्षा और बेहतर बुनियादी ढांचे की मांग को मजबूती प्रदान करता है। यह निर्णय न केवल पठानकोट-उधमपुर मार्ग के यात्रियों के लिए राहत भरा है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम करता है कि जब तक सुविधाएं पूरी तरह से मुहैया नहीं कराई जातीं, तब तक शुल्क वसूली अनुचित है।
खराब सड़कों पर टोल वसूली को बताया अवैध
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि सड़कें खराब हालत में हैं, तो टोल वसूलना जनता के अधिकारों का हनन है। सुविधा के बदले शुल्क लिया जाता है, लेकिन जब सुविधा का अभाव हो, तो शुल्क लेना अनुचित है। कोर्ट ने कहा कि जब तक राजमार्ग का निर्माण कार्य पूरी तरह से समाप्त नहीं होता, तब तक 20 प्रतिशत टोल ही लिया जा सकता है, वह भी केवल जरूरी रखरखाव के लिए।
जनता की शिकायतों से उभरा मुद्दा
यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों और यात्रियों ने पठानकोट-उधमपुर मार्ग की जर्जर हालत को लेकर शिकायतें दर्ज कराईं। इस राजमार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे, अधूरी मरम्मत और खराब रखरखाव के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। यात्रियों ने अदालत में दलील दी कि ऐसी स्थिति में टोल वसूली न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह जनता के साथ धोखा भी है।
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टोल वसूली पर कड़ी टिप्पणी
हाईकोर्ट ने टोल वसूलने वाली एजेंसियों और संबंधित प्राधिकरणों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि वे जनता से टोल टैक्स वसूलते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी है कि वे बेहतर सड़कों की सुविधा भी प्रदान करें। अदालत ने कहा, “यदि आप शुल्क ले रहे हैं, तो आपको सेवा भी देनी होगी। खराब सड़कों पर टोल वसूलना गैरकानूनी और अनैतिक है।”
20 प्रतिशत टोल वसूली की शर्तें
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि 20 प्रतिशत टोल वसूली केवल आवश्यक रखरखाव के लिए की जा सकती है। अदालत ने कहा कि यह राशि सड़कों की मरम्मत और सुरक्षा उपायों के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने संबंधित प्राधिकरण को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द सड़क की मरम्मत और निर्माण कार्य पूरा करें।
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दुर्घटनाओं और देरी का मुख्य कारण जर्जर सड़कें
पठानकोट-उधमपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर जर्जर सड़कों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे और अधूरी मरम्मत के कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ड्राइवरों का कहना है कि सड़क की हालत इतनी खराब है कि वाहनों को नुकसान हो रहा है और यात्रा में कई घंटों की देरी हो रही है।
यात्रियों की राय: टोल वसूली है अन्यायपूर्ण
यात्रियों ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह आम जनता के हितों की रक्षा करने वाला निर्णय है। उनका कहना है कि जब सड़कें खस्ताहाल हैं और यात्रा कठिन है, तो टोल वसूली अनुचित है। स्थानीय लोगों ने अदालत के इस निर्णय को न्यायसंगत बताते हुए कहा कि यह फैसला प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाएगा।
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प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्यवाही
अदालत के इस आदेश के बाद, संबंधित प्राधिकरण और टोल वसूलने वाली एजेंसियों पर दबाव बढ़ गया है। उन्हें अब जल्द से जल्द सड़क की मरम्मत और निर्माण कार्य पूरा करना होगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे अदालत के आदेश का पालन करेंगे और राजमार्ग को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।