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एक महिला के दो पति…तो गुजारा भत्ता किससे मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला!

क्या आपका तलाक नहीं हुआ, फिर भी दूसरी शादी कर ली? अब जानिए, किसे मिलेगा गुजारा भत्ता और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने दिया चौंकाने वाला फैसला! ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी हो सकती है!

By Saloni uniyal
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एक महिला के दो पति...तो गुजारा भत्ता किससे मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला!

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई महिला अपने पहले पति से सहमति से अलग हो जाती है, लेकिन कानूनी रूप से तलाक नहीं लेती और किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाह कर लेती है, तो वह अपने दूसरे पति से भी गुजारा भत्ता मांगने की हकदार होगी। इस फैसले ने कई महिलाओं के लिए एक नई राह खोल दी है, जो पारिवारिक विवादों में उलझी हुई हैं और कानूनी अस्पष्टता के कारण आर्थिक असुरक्षा का सामना कर रही हैं।

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गुजारा भत्ता की पात्रता पर उठा बड़ा सवाल

अक्सर महिलाओं के सामने यह प्रश्न खड़ा होता है कि यदि उन्होंने अपने पहले पति से कानूनी रूप से तलाक नहीं लिया है, तो क्या वे अपने दूसरे पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती हैं? कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना था कि ऐसी स्थिति में महिला को दूसरे पति से भत्ता मिलने का अधिकार नहीं होगा, क्योंकि उसकी पहली शादी अब भी कानूनी रूप से मान्य है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और महिला के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया गलत

तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारतीय दंड संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत महिला को दूसरे पति से गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता, क्योंकि उसकी पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं हुई थी। हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया और अंततः हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने महिला को दिया अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि अगर किसी पुरुष को यह पता था कि महिला पहले से शादीशुदा है, फिर भी उसने उससे संबंध बनाए और उसे अपनी पत्नी की तरह अपनाया, तो ऐसे में वह महिला को गुजारा भत्ता देने से इंकार नहीं कर सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति का यह नैतिक और कानूनी कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी और संतान की देखभाल करे, चाहे उसकी शादी कानूनी रूप से मान्य हो या नहीं।

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पूरा मामला क्या था?

इस मामले में अपीलकर्ता महिला ने अपने पहले पति से कानूनी रूप से तलाक लिए बिना ही दूसरे पुरुष से विवाह कर लिया था। यह जानते हुए भी कि महिला पहले से शादीशुदा है, उसके दूसरे पति ने उसके साथ विवाह किया और दोनों ने कुछ समय तक साथ भी बिताया। इस दौरान उनका एक बच्चा भी हुआ, लेकिन बाद में आपसी मतभेदों के कारण वे अलग हो गए। इसके बाद महिला ने गुजारा भत्ता के लिए CrPC की धारा 125 के तहत आवेदन किया।

फैमिली कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया और उसे गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। हालांकि, तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए कहा कि चूंकि पहली शादी कानूनी रूप से खत्म नहीं हुई थी, इसलिए महिला को दूसरे पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को अस्वीकार कर दिया और महिला के हक में निर्णय सुनाया।

महिलाओं के लिए यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

इस फैसले से उन महिलाओं को बड़ा राहत मिलेगी जो पारिवारिक और कानूनी उलझनों में फंसकर आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती हैं। कई बार महिलाएं सामाजिक और पारिवारिक दबाव में बिना तलाक लिए ही दूसरे व्यक्ति के साथ विवाह कर लेती हैं। ऐसे में अगर रिश्ते में दरार आ जाए, तो उनके पास आर्थिक सुरक्षा का कोई विकल्प नहीं रहता। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने उन महिलाओं के हक को मजबूती दी है और यह सुनिश्चित किया है कि वे अपने अधिकारों से वंचित न रहें।

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न्याय का नया अध्याय

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि विवाह, तलाक और गुजारा भत्ता से जुड़े मामलों में केवल कानूनी तकनीकीताओं को नहीं, बल्कि वास्तविक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह फैसला न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है और महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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