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उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और पेट्रोल पंप स्थापना के नियमों को सरल बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना और पेट्रोल पंपों की स्थापना प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाना है।
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बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं: ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नीति लागू
राज्य में दोपहिया वाहन चालकों के लिए ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नीति सख्ती से लागू की गई है। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने सभी पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिया है कि बिना हेलमेट पहने हुए वाहन चालकों को पेट्रोल न दिया जाए। यह कदम सड़क दुर्घटनाओं में हेलमेट न पहनने के कारण होने वाली मौतों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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इस नीति के तहत, पेट्रोल पंपों पर ‘हेलमेट नहीं, तेल नहीं’ के बोर्ड लगाए जाएंगे ताकि वाहन चालकों को जागरूक किया जा सके। साथ ही, पेट्रोल पंप कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे बिना हेलमेट वाले चालकों को ईंधन न दें और बार-बार उल्लंघन करने वालों की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें।
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पेट्रोल पंप स्थापना के नियमों में संशोधन
उत्तर प्रदेश सरकार ने नए पेट्रोल पंप खोलने के लिए भूमि संबंधी मानकों में भी संशोधन किया है। पहले, पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए न्यूनतम 500 वर्गमीटर भूमि की आवश्यकता थी, जिसमें नौ मीटर चौड़ा मार्ग अनिवार्य था। अब, नए नियमों के अनुसार, 20×20 मीटर (400 वर्गमीटर) के भूखंड पर भी पेट्रोल पंप स्थापित किया जा सकता है, और आने-जाने के मार्ग की चौड़ाई साढ़े सात मीटर निर्धारित की गई है।
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इस संशोधन का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेट्रोल पंपों की स्थापना को प्रोत्साहित करना है, जिससे ईंधन की उपलब्धता बढ़े और लोगों को सुविधा हो। साथ ही, दो पंपों के बीच की न्यूनतम दूरी को भी कम करने का प्रस्ताव है, ताकि अधिक पंप स्थापित किए जा सकें।
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सड़क सुरक्षा और सुविधा में सुधार
इन नए नियमों के माध्यम से, उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि सड़क सुरक्षा में सुधार हो और पेट्रोल पंपों की स्थापना प्रक्रिया सरल हो। ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नीति से उम्मीद है कि दोपहिया वाहन चालकों में हेलमेट पहनने की आदत बढ़ेगी, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। वहीं, भूमि मानकों में संशोधन से नए पंप स्थापित करने में आने वाली बाधाएं कम होंगी, जिससे ईंधन की उपलब्धता में सुधार होगा।