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अगर सरकार आपकी संपत्ति का अधिग्रहण करना चाहे तो जान लें ये संवैधानिक अधिकार

सरकार जब चाहे आपकी संपत्ति ले सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिए नए सख्त निर्देश – जानिए अपने अधिकार और इस फैसले के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

By Saloni uniyal
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अगर सरकार आपकी संपत्ति का अधिग्रहण करना चाहे तो जान लें ये संवैधानिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें भूमि अधिग्रहण से संबंधित नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। इस फैसले के तहत, सरकारें लोगों की संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें संविधान में निर्धारित कुछ आवश्यक शर्तों का पालन करना होगा। यह आदेश भूस्वामियों के हितों को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है, ताकि उनका अधिकार सुरक्षित रहे और सरकार मनमाने ढंग से संपत्तियों का अधिग्रहण न कर सके।

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संपत्ति अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे, ने अनुच्छेद 300 (A) पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी भी व्यक्ति की संपत्ति का अधिग्रहण असंवैधानिक होगा। यह फैसला 16 मई को सुनाया गया और इसमें स्पष्ट किया गया कि सरकार को भूमि अधिग्रहण के दौरान कुछ मूलभूत नियमों का पालन करना आवश्यक होगा।

अनुच्छेद 300 (A) के तहत नागरिकों के अधिकार

अनुच्छेद 300 (A) यह कहता है कि बिना कानूनी अधिकार के किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। इसके तहत सरकार को भूमि अधिग्रहण से संबंधित सात प्रमुख शर्तों का पालन करना होगा:

  1. सूचना का अधिकार – सरकार को संपत्ति अधिग्रहण के इच्छुक व्यक्ति को पहले सूचित करना आवश्यक होगा।
  2. सुनवाई का अधिकार – भूमि स्वामी को अपनी आपत्तियां रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा।
  3. तर्कसंगत निर्णय का अधिकार – सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि संपत्ति का अधिग्रहण किन कारणों से किया जा रहा है।
  4. सार्वजनिक हित का उद्देश्य – भूमि अधिग्रहण केवल सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए ही किया जा सकता है।
  5. उचित मुआवजा या पुनर्वास – सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रभावित व्यक्ति को उचित मुआवजा मिले या उसका पुनर्वास किया जाए।
  6. समयबद्ध प्रक्रिया – भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को एक निश्चित समयसीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
  7. पूर्ण निष्कर्ष की आवश्यकता – सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ निष्कर्ष तक पहुंचे।

भूमि अधिग्रहण कानून और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

यह पहला अवसर नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के संपत्ति अधिकारों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। वर्ष 1978 में हुए 44वें संविधान संशोधन के बाद, संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार की श्रेणी से हटा दिया गया था। पहले यह अनुच्छेद 31 के तहत आता था, लेकिन इसे हटा दिया गया और अब यह अनुच्छेद 300 (A) के तहत कानूनी अधिकार बन चुका है। इसके बावजूद, यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि भूमि अधिग्रहण को न्यायसंगत तरीके से किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव

इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारें मनमाने ढंग से भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकतीं। उन्हें कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य होगा और भूस्वामियों को मुआवजा या पुनर्वास देने की बाध्यता होगी। इस फैसले से हजारों भूस्वामियों को राहत मिलेगी और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों को कम करने में मदद मिलेगी।

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