
हाई कोर्ट (HC) ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) में दर्ज नॉमिनी (Nominee) पूरे बीमा धनराशि का हकदार नहीं होगा। इस फैसले के अनुसार, कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs) भी बीमा राशि पर दावा कर सकते हैं। इस निर्णय का सीधा प्रभाव लाखों बीमा धारकों और उनके परिवारों पर पड़ेगा।
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इंश्योरेंस पॉलिसी क्लेम को लेकर कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट में प्रस्तुत एक मामले में बेटे ने शादी से पहले एक इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी, जिसमें उसने अपनी मां को नॉमिनी बनाया था। व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी मां और पत्नी के बीच इंश्योरेंस क्लेम को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। मां का दावा था कि वह नामांकित व्यक्ति (Nominee) हैं और उन्हें पूरी बीमा राशि मिलनी चाहिए। वहीं, पत्नी ने इस पर कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा किया।
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बीमा राशि केवल नॉमिनी को ही नहीं दी जा सकती, बल्कि कानूनी उत्तराधिकारी भी इस राशि पर दावा कर सकते हैं। यह फैसला बीमा अधिनियम और उत्तराधिकार कानून के तहत लिया गया है।
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क्या है इंश्योरेंस पॉलिसी में नॉमिनी की भूमिका?
इंश्योरेंस कंपनियां नॉमिनी को पॉलिसीधारक के देहांत के बाद क्लेम देने के लिए नामित करती हैं। हालांकि, यह नामांकन (Nomination) केवल एक सुविधा मात्र है और इसका मतलब यह नहीं है कि नॉमिनी को पूरी राशि का हकदार माना जाएगा। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद, अब कानूनी उत्तराधिकारियों को भी बीमा राशि में हिस्सेदारी का अधिकार मिल गया है।
बीमा पॉलिसी धारकों को क्या करना चाहिए?
इस नए फैसले के बाद बीमा पॉलिसी धारकों को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए:
- उत्तराधिकार योजना बनाएं – इंश्योरेंस पॉलिसी में नामांकन करने के अलावा, वसीयत (Will) बनाना जरूरी हो गया है, जिससे कानूनी उत्तराधिकारियों के अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
- कानूनी सलाह लें – अपने परिवार की स्थिति को देखते हुए किसी लीगल एक्सपर्ट से सलाह लेना उचित रहेगा।
- पॉलिसी दस्तावेजों की समीक्षा करें – बीमा पॉलिसी के दस्तावेजों को समय-समय पर अपडेट करना आवश्यक है।
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कोर्ट के इस फैसले का प्रभाव
- परिवारों में संभावित विवाद – यदि बीमाधारक ने नामांकन के बावजूद वसीयत नहीं बनाई, तो उत्तराधिकारियों के बीच विवाद की संभावना बढ़ सकती है।
- बीमा कंपनियों पर असर – बीमा कंपनियों को अब केवल नॉमिनी को राशि देने के बजाय कानूनी उत्तराधिकारियों के दावों की भी जांच करनी होगी।
- न्यायिक प्रणाली में बदलाव – इस फैसले के बाद अन्य मामलों में भी कानूनी व्याख्या की आवश्यकता होगी, जिससे अन्य पॉलिसी धारकों को भी प्रभावित किया जा सकता है।
क्या यह फैसला सभी बीमा पॉलिसियों पर लागू होगा?
यह फैसला उन मामलों में लागू होगा जहां कानूनी उत्तराधिकारी और नॉमिनी के बीच विवाद उत्पन्न होता है। यदि कोई स्पष्ट वसीयत उपलब्ध हो, तो स्थिति स्पष्ट हो सकती है।