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Income Tax Calculation: 10, 20, 30 या 50 हजार कमाते हैं? जानें कितना लगेगा टैक्स ऐसे करें कैलकुलेट

आपकी सैलरी पर कितना कटेगा टैक्स? नया और पुराना टैक्स रिजीम कौन सा बेहतर? टैक्स छूट और कटौती का पूरा फॉर्मूला जानें – इनकम टैक्स की पूरी गणना यहां!

By info@newzoto.com
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हर भारतीय नागरिक को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से टैक्स का भुगतान करना होता है। कोई व्यक्ति अधिक टैक्स देता है, तो कोई कम, लेकिन सभी पर किसी न किसी रूप में टैक्स लागू होता है। कई बार लोगों को यह समझना मुश्किल होता है कि उनकी आय पर कितना इनकम टैक्स (Income Tax) लगेगा और कौन-कौन सी इनकम टैक्स छूट (Tax Exemption) के दायरे में आती है। इसके अलावा, यदि आप टैक्स छूट का लाभ नहीं उठाते हैं, तो आपको रिफंड के रूप में मिलने वाली राशि भी नहीं मिलेगी। इसलिए टैक्स कैलकुलेशन (Tax Calculation) को समझना बेहद आवश्यक है।

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टैक्सेबल इनकम की गणना कैसे करें?

भारत में अपनी टैक्स योग्य आय (Taxable Income) की गणना करने के लिए कई महत्वपूर्ण चरण हैं, जिन्हें जानना आवश्यक है। सही प्रक्रिया अपनाकर आप अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं और साथ ही आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने में भी आसानी होगी।

ग्रॉस इनकम की गणना करें

सबसे पहले अपनी कुल आय (Gross Income) की गणना करें। यदि आपकी आय कई स्रोतों से आती है, तो सभी को जोड़कर कुल आय निकालें। यदि आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं, तो आपकी बेसिक सैलरी, विभिन्न भत्ते (Allowances), बोनस और अन्य टैक्स योग्य घटकों को जोड़कर ग्रॉस इनकम (Gross Income) निकाली जाती है।

टैक्स छूट (Tax Exemption) का लाभ उठाएं

टैक्स छूट (Tax Exemption) एक ऐसा कारक है, जो आपकी टैक्सेबल इनकम को कम करता है। सरकार ने वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए कुछ विशेष छूट निर्धारित की हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  • हाउस रेंट अलाउंस (HRA): यदि आप किराए के मकान में रहते हैं, तो आप HRA छूट का लाभ ले सकते हैं।
  • स्टैंडर्ड डिडक्शन: हर वेतनभोगी व्यक्ति को 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट मिलती है।
  • लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA): यदि आप यात्रा करते हैं और इसका खर्च आपके नियोक्ता द्वारा दिया जाता है, तो आप LTA छूट का लाभ ले सकते हैं।

कटौती (Tax Deduction) से टैक्सेबल इनकम करें कम

इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत टैक्स कटौती (Tax Deduction) का प्रावधान किया गया है। आप अपनी इनकम टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए निम्नलिखित कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं:

  • धारा 80C: जीवन बीमा, PPF, EPF, ट्यूशन फीस, होम लोन प्रिंसिपल आदि में निवेश करने पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।
  • धारा 80D: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करने पर 25,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) तक की छूट मिलती है।
  • होम लोन ब्याज: यदि आपने होम लोन लिया है, तो उसके ब्याज पर आपको 2 लाख रुपये तक की छूट धारा 24(b) के तहत मिल सकती है।

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टैक्सेबल इनकम की अंतिम गणना

जब आपने अपनी कुल आय से सभी छूट (Exemptions) और कटौतियां (Deductions) हटा दी हैं, तब जो राशि बचती है, वही आपकी टैक्सेबल इनकम होती है।

अब आपको अपनी टैक्सेबल इनकम पर लागू टैक्स स्लैब (Tax Slabs) के आधार पर टैक्स की गणना करनी होगी।

टैक्स स्लैब और नया टैक्स रिजीम

वर्तमान में भारत में दो प्रकार के टैक्स रिजीम उपलब्ध हैं:

  1. नया टैक्स रिजीम (New Tax Regime): इस प्रणाली में 7 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं है।
  2. पुराना टैक्स रिजीम (Old Tax Regime): इसमें 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट मिलती है। साथ ही, इसमें विभिन्न कटौतियों और छूट का लाभ भी दिया जाता है।

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) और टैक्स रिफंड

यदि आपके द्वारा पहले ही टैक्स कट चुका है और आपकी टैक्सेबल इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है, तो आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर सकते हैं और रिफंड के लिए दावा कर सकते हैं।

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