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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम

खाद्य सुरक्षा योजना में बदलाव के चलते लाखों जरूरतमंद परिवार सरकारी राशन से वंचित हो सकते हैं। एक लाख रुपये की आय सीमा ने मजदूरों, रेहड़ी वालों और ऑटो चालकों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। जानिए, इस नियम का आप पर क्या असर होगा और कैसे बच सकते हैं इस मुश्किल से!

By info@newzoto.com
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₹300 रोज कमाने वाला अब नहीं ले सकेगा मुफ्त राशन, खाद्य सुरक्षा योजना से काटा जा रहा नाम

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने वार्षिक आय की सीमा एक लाख रुपये तय कर दी है, जिसके चलते लाखों जरूरतमंद परिवारों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राशन डीलरों और विभागीय अधिकारियों के दबाव में उपभोक्ताओं को जबरन ‘गिव अप’ फार्म भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस नई नीति का सीधा असर उन परिवारों पर पड़ रहा है, जो वास्तव में इस योजना के हकदार हैं, लेकिन सरकारी मापदंडों के कारण राशन से वंचित हो रहे हैं।

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आय सीमा के कारण योजना का लाभ नहीं

खाद्य सुरक्षा योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सस्ती दरों पर राशन उपलब्ध कराना था, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी के चलते अब यह सुविधा धीरे-धीरे सक्षम परिवारों तक सीमित होती जा रही है। बीते कुछ वर्षों में सरकार ने केंद्र और राज्य कर्मचारियों को योजना से बाहर करने की कोशिश की, लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हो पाई। अब आय की सीमा घटाने से छोटे व्यापारी, दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी संचालक और रिक्शा चालक भी योजना से बाहर हो सकते हैं।

300 रुपये कमाने वाला भी योजना से बाहर

नई नीति के तहत अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 300 रुपये कमाता है, तो वह योजना का लाभ नहीं उठा पाएगा। इसमें मजदूरों से लेकर ठेले-रेहड़ी वाले और ऑटो चालकों तक को शामिल किया गया है। इससे प्रदेश भर में लाखों गरीब परिवारों के सामने खाद्यान्न संकट खड़ा हो सकता है।

राज्यभर में 11 लाख यूनिट हुए कम

राज्य सरकार द्वारा अपात्र लाभार्थियों पर की गई कार्रवाई के कारण अब तक 11 लाख यूनिट (उपभोक्ता) खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर हो चुके हैं। अजमेर और ब्यावर जिले में ही 1200-1200 राशन कार्ड निरस्त किए गए, जिससे करीब 5,000 यूनिट प्रभावित हुए हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत नए प्रावधान

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार:

  • आयकरदाता,
  • एक लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले परिवार,
  • निजी चार पहिया वाहन मालिक,
  • सरकारी, अर्ध-सरकारी और स्वायत्तशासी संस्थानों के कर्मचारी राशन के पात्र नहीं होंगे।

इन्हें 31 जनवरी तक ‘गिव अप’ फॉर्म भरना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे कई जरूरतमंद परिवार सरकारी खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर हो जाएंगे।

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गरीब तबके को मिल रही है सबसे ज्यादा चोट

क्रांति सेना समिति के प्रमुख लोकेश सिंह चौहान के अनुसार, अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी 285 रुपये है, जिससे उनकी वार्षिक आय 1,26,000 रुपये तक पहुंच जाती है। इसी प्रकार, अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों की वार्षिक आय भी एक लाख से अधिक हो जाती है। ऐसे में उन्हें खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा, जो उनके लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है।

व्यक्तिगत मामले: योजना के असर की झलक

मामला 1: कोटड़ा निवासी विनोद की मुश्किलें

कोविड काल में खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े ऑटो रिक्शा चालक विनोद की वार्षिक आय 1,08,000 रुपये है। बावजूद इसके, राशन डीलर ने उसे ‘गिव अप’ फार्म भरने के लिए मजबूर किया। इसके चलते उसे जनवरी का राशन किसी अन्य दुकान से लेना पड़ा।

मामला 2: अलवरगेट निवासी रेवंती देवी का संघर्ष

दिहाड़ी मजदूर रेवंती देवी के परिवार की कुल वार्षिक आय 1,00,000 से 1,50,000 रुपये के बीच है। उनके 6 सदस्यीय परिवार की खाद्यान्न निर्भरता पूरी तरह सरकारी योजना पर है। लेकिन नई नीति के कारण उन्हें अनाज मिलना मुश्किल हो सकता है।

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आय सीमा बढ़ाने की मांग

‘गिव अप’ अभियान के कारण हजारों परिवार योजना से बाहर हो सकते हैं। इस संदर्भ में जयपुर मुख्यालय को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए पत्र भेजा गया है। जिला रसद अधिकारियों ने कहा है कि 1,00,000 रुपये की सीमा से कई जरूरतमंद प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए इस सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता है।

अंतिम निर्णय का इंतजार

अब तक करीब 1,200 राशन कार्डधारी ‘गिव अप’ कर चुके हैं। प्रशासन ने सक्षम लोगों से 30 जनवरी से पहले योजना छोड़ने की अपील की है। यदि यह बदलाव लागू हो गया, तो गरीब और जरूरतमंद तबके के लिए खाद्यान्न सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

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