छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में पति को तलाक दिलवा दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पत्नी द्वारा पति पर अपने माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाना मानसिक प्रताड़ना के समान है। न्यायालय ने यह भी कहा कि भारत में ऐसी कोई परंपरा नहीं है, जो पति को अपनी पत्नी के कहने पर माता-पिता को छोड़ने के लिए बाध्य करे।
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क्या है मामला
इस मामले की शुरुआत जून 2017 में हुई शादी से हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही पत्नी ने यह कहना शुरू कर दिया कि वह ग्रामीण जीवन से खुश नहीं है और अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए अलग रहना चाहती है। हालांकि, युवक अपने माता-पिता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। इस स्थिति को सुलझाने के लिए उसने रायपुर में एक अलग घर लेने का भी प्रयास किया, लेकिन इसके बावजूद पत्नी का व्यवहार अत्यधिक अपमानजनक और क्रूर बना रहा। कुछ समय बाद, बिना किसी पूर्व सूचना के, पत्नी ने घर छोड़ दिया। इस स्थिति को देखते हुए, युवक ने अदालत में तलाक की याचिका दायर की।
ट्रायल कोर्ट का फैसला और हाई कोर्ट में चुनौती
रायपुर ट्रायल कोर्ट ने युवक की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह क्रूरता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले से असंतुष्ट पति ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील की।
युवक ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी उसके परिवार के साथ रहना नहीं चाहती थी और उसका व्यवहार न केवल अपमानजनक था, बल्कि मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला भी था। उसने यह भी कहा कि उसने अपनी पत्नी को खुश रखने के लिए अलग घर लेकर रहने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह इससे भी संतुष्ट नहीं हुई।
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया और यह माना कि पत्नी का व्यवहार मानसिक प्रताड़ना के समान है। अदालत ने कहा कि भारत में बेटा अपने माता-पिता की देखभाल के लिए नैतिक और सामाजिक रूप से बाध्य होता है, विशेष रूप से तब जब उनके पास सीमित आय के साधन हों।
कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही पत्नी इस शादी को बचाने की इच्छुक हो, लेकिन उसके व्यवहार और बातचीत के तरीके से यह साफ है कि वह इस रिश्ते को गंभीरता से नहीं ले रही है। इसी कारण, इस शादी का आगे चल पाना संभव नहीं है।
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तलाक और एलुमनी का फैसला
अदालत ने पति और पत्नी के बीच तलाक का फैसला सुनाते हुए पत्नी को उसके पढ़ाई-लिखाई और भविष्य को ध्यान में रखते हुए ₹5 लाख की एलुमनी एकमुश्त देने का आदेश दिया। इस निर्णय के साथ ही हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पति पर माता-पिता को छोड़ने के लिए दबाव डालना मानसिक प्रताड़ना की श्रेणी में आता है और इस आधार पर तलाक दिया जा सकता है।