
भारत वर्ष में करोड़ों सालों से महापुरुषों का अवतरण होता रहा है, अलग-अलग समय के अनुसार भारत में कई महापुरुष आएं। हमारे देश की भूमि पर पुरातन काल से ही दिव्य ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने के लिए ऋषि तथा वेद शास्त्रों ने जन्म लिया है भारत में आत्म ज्ञान तथा भक्ति पहले से ही संत महापुरुष का उल्लेख रहा है।
ऐसी ही एक महापुरुष है जिनको प्रेमानंद जी महाराज जी के नाम से बुलाया जाता है आपने कभी ना कभी इनका नाम टीवी या सोशल मीडिया पर जरूर सुना होगा क्योंकि ये है ही इतने प्रसिद्ध की इनका नाम या इनको कौन ना जनता हो। देश में कई महापुरुष तथा महान व्यक्ति आये जिनके नामों का उल्लेख अभी तक किया जाता है। कुछ समय पहले प्रेमानंद जी महाराज जी विराट कोहली एवं उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा अपनी बेटी को लेकर उनके पास आशीर्वाद लेने आये तथा महाराज जी ने उनको पाठ भी सुनाया।
आज हम आपको इस आर्टिकल में प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय | Premanand Ji Biography in hindi के बारे में आपके साथ पूरी जानकारी साझा करेंगे।
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय
प्रेमानंद जी महाराज के जीवन परिचय के बारे में बताये तो वे बचपन से ही बहुत आध्यात्मिक थे और एक खाश बात बताये जिस उम्र में छोटे बच्चों को खेलने से फुरसत नहीं होती उतनी छोटी सी आयु में उन्होंने पूरी चालीसा को याद कर लिया था और उसका पाठ करना प्रारम्भ कर दिया था।
महाराज जी के बड़े भाई श्रीमद्भगवतम का पाठ सब को सुनाते थे और उनके माता- पिता दोनों ही भक्ति भाव में एवं संतों, ऋषियों की सेवा करते रहते थे।जब वे तीन साल के थे तो वे अपना घर छोड़ कर कहीं जाने लग गए थे वे मानव जीवन को कैसे जिया जाता है इसकी सच्चाई जानना चाहते थे। महाराज जी जब पाँचवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उनको गीता, श्री सुखसागर पूरा याद कर लिया था। जब कक्षा में पढ़ाई होती थी तो उस समय सभी बच्चों से अलग महाराज जी के मन में कई सवाल आते रहते थे।
वे किसी भी प्रश्न का हल सुलझाने के लिए एक जाप करते थे श्री कृष्ण गोविन्द हरी मुरारे बचपन से ही वह बहुत ज्ञानी थे। जैसे जैसे वे बड़ी कक्षा में जाने लग गए उनका आध्यात्मिक ज्ञान और बढ़ने लग गया।
जब वे 9वीं कक्षा में पढ़ रहे थे उन्होंने उसी समय सोच लिया था की वे भगवान की खोज करेंगे। उन्होंने अपने माता को इस बारे में बताया और कहा की वे सब कुछ त्यागने जा रहे है।
प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय के मुख्य तथ्य
असली नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडे |
धर्म | हिन्दू |
जन्म स्थान | कानपुर (उत्तर प्रदेश) |
आयु | 60 वर्ष |
जाति | ब्राह्मण |
अन्य नाम | प्रेमानंद जी महाराज |
वैवाहिक स्तिथि | अविवाहित |
माता का नाम | श्रीमती रमा देवी जी |
पिता का नाम | श्री शंभू पांडे जी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में उत्तर प्रदेश राज्य के आखरी गांव सरसोल ब्लॉक (कानपुर) में हुआ था। महाराज जी बहुत ही साधारण स्वाभाव के व्यक्ति है जिन्होंने अपना बचपन साधारण तरीके से बिताया है क्योंकि उनका परिवार साधारण रूप से रहता था।
महाराज जी को बचपन से भगवान के प्रति भक्ति भाव करना बहुत पसंद था उनको जो बौद्धिक स्तर है वो अन्य बालकों से कुछ विभिन्न था। उनको मंदिर जाकर भजन करना तथा चालीसा का पाठ पढ़ना अच्छा लगता था और उनको इससे ही शांति मिलती है।
प्रेमानंद महाराज जी का परिवार
प्रेमानंद महाराज जी के शंभू पांडे जी था जो की एक भक्त व्यक्ति थे एवं उनकी माता का नाम रमा देवी था। इनका परिवार पहले से ही भक्ति-भाव तथा जो साधु-संत होते थे उनकी सेवा करने पर ही लगे रहते थे। महाराज जी के जो दादा जी थे वे भी एक संस्यासी थे।
महाराज जी के जो बड़े भाई थे वे भी उनकी तरह अद्भुद थे उनको श्रीमद्भगवतम गीता का पूरा ज्ञान आध्यात्मिक रूप से प्राप्त था तथा उनका पूरा एक साथ बैठ कर ये सुना करते थे।
प्रेमानंद महाराज का ब्रह्मचारी जीवन
जब महाराज जी ने घर छोड़ दिया तब वे दीक्षित होने के लिए कही और चले गए उसके बाद वे नैष्ठिक ब्रह्मचर्य में दीक्षित हुए थे। महाराज जी का नाम भी बदलकर रख दिया गया उनको फिर आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी नाम से बुलाया गया और वे सन्यासी बन गए। फिर उसके बाद उनका नाम आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया क्योंकि उन्होंने महाकाव्य को स्वीकार किया था।
महाराज जी की कठिन तपस्या
महाराज जी बचपन से सन्यासी जीवन लेने के बारे में विचार करते थे भगवान् को पाने के लिए उन्होंने बहुत तपस्या की है वे अपना सारा जीवन भगवान् के चरणों में समर्पित करना चाहते थे। वे ज्यादातर अकेले रहते थे वे किसी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने में मग्न हो जाते थे वे। वे कई दिनों बिना खाएं रहते थे वे उपवास लेते रहते थे।
उन्होंने सन्यास ले लिया था उन्होंने अपनी माता से कहा की वे संन्यासी बनना चाहते है और दुनिया की इस मोह माया और सब कुछ त्यागना चाहते है। उनकी दिनचर्या भगवान की भक्ति से शुरू होती थी और हर दिन वे वृंदावन की प्रक्रिया करते थे।
महाराज जी ने जब संन्यासी बनकर सब कुछ त्याग कर लिया था इसलिए वे आश्रम में कभी भी सारा दिन नहीं रहते थे वे अपना ज्यादातर समय गंगा नदी के किनारे व्यतीत करते थे। वे नदी घाटों पर घूमने जाते थे। वे लोगो में भिक्षा मांगते जाते थे।
जब से वे वृन्दावन गए उन्होंने कभी भी अपनी दिनचर्या को नहीं बदला। वे सर्दियों के मौसम में भी गंगा में ठन्डे पानी से स्नान करते थे। वे महीने में कई दिनों तक लगातार उपवास रखते थे और उस बीच वे कुछ भी ग्रहण नहीं करते थे।
महाराज भक्ति में वृन्दावन में आगमन
महाराज जी शिवजी के बहुत बड़े भक्त थे जिससे कारण शिवजी का आशीर्वाद उन पर हमेशा से था। वे हमेशा से कहीं पर भी ध्यान मगन रहते थे जब वे बनारस में थे तो वे उस समय भी वे किसी पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान मगन में रहते थे। वे वृंदा वन की जो प्रतिष्ठा थी उससे बहुत अट्रेक्ट हुए थे क्योंकि वह हमेशा से ही श्यामाश्याम जी की कृपा रही है।
महाराज जी रास लीला के पाठ में हिस्सा लेते थे उनका पूरा दिनचर्या इसी में गुजरता था। वे कई बार इन लीलाओं में आनंदित हो जाते थे वे अपना जीवन भी भूल गए। उनका जीवन एक महीने में ही पूरा बदल गया।
महाराज को विश्व में चमत्कारी नाम से जाना जाने लगा उनके चमत्कार विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाराज जी के दर्शन करने के लिए देश विदेशों से भी लाखों लोग आते है जो इनका आशीर्वाद ले जाते है।
वृंदावन वाले महाराज जी
कुछ समय बाद महाराज जी वृंदावन चले गए थे उनको वहां जाने के लिए उनके स्वामी ने ही कहा था। श्री नारायण दास भक्तिमाली के एक शिष्य थे उनकी सहायता से महाराज वृन्दावन पहुँच गए।
महाराज जी को धीरे-धीरे कर वृंदावन से लगाव होने लग गया और वे वही रहने लग गए। जिस समय वह वृन्दावन पहुंचे तो वहां वो किसी को नहीं पहचानते थे उनके लिए सब अजनबी थे। वे सारा दिन वृंदावन की परिक्रमा करते थे तथा श्याम जी के दर्शन तो वह सुबह – श्याम करते थे।
महाराज जी हरिवशं की लीला में खो गए थे वे उन्होंने उनके नाम का जाप करना भी शुरू कर दिया था और रोजाना व वृंदावन की परिक्रमा करना अपना दिनचर्या का काम बना लिया था।
प्रेमानदं महाराज जी एक संगठन की स्थापना करने के बारे में सोच रहे थे उन्होंने बाद में यह सपना भी पूरा कर दिया। उन्होंने बाद में एक आध्यात्मिक संगठन की स्थापना की। महाराज जी समाज में लोगो को प्रेम तथा शांति के महत्व को समझाने के लिए वे वृंदावन में कई धार्मिक आयोजनों को शुरू करते थे।
महाराज जी का स्वास्थ्य
महाराज जी बचपन से भक्ति भाव में बहुत लीन रहते थे वे अभी 60 वर्ष के वृंदावन में रहते है। उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्याम की सेवा में बिता दिया है। आपको बता दे प्रेमानदं जी जो दोनों गुर्दे है वे कई साल पहले ख़राब हो गए थे जिसका उनको कोई भी दुःख नहीं है वे उस समय से अभी तक बहुत स्वस्थ है।
उन्होंने अपना सारा जीवन भगवान पर छोड़ दिया वे राधा जी की सेवा करते है वे पूरा दिन भक्ति में लगे रहते है। उनके पास लाखों भक्त आते है और अपनी समस्या को बताते है।
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Premanand Ji Biography से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर
अमहाराज जी का असली नाम निरुद्ध कुमार पांडे है।
प्रेमानंद जी महाराज के मन में सन्यासी जीवन लेने के लिए तब विचार आया था जब वे केवल 13 वर्ष के थे और वे उस समय 9वीं कक्षा में पड़ते थे।
प्रेमानंद महाराज जी के गुरु जी का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज है।
महाराज जी वर्तमान में अभी वृन्दावन में रह रहे है।
प्रेमानंद जी महाराज (2023) में 60 वर्ष के है।
प्रेमानंद जी महाराज की वैवाहिक स्तिथि के बारे में बातएं तो वे अविवाहित है।
प्रेमानंद जी महाराज जी की माता का नाम है रमा देवी जी था।