सोनीपत जिले के गांव सलीमपुर ट्राली में अवैध निर्माणों को गिराने की तैयारी जोरों पर है। जिला प्रशासन ने 177 अवैध मकानों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए हैं, जिससे गांव में हड़कंप मच गया है। यह कार्रवाई सोनीपत एसडीएम अमित कुमार की कोर्ट के आदेश पर की जा रही है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पंचायती जमीन पर बने ये मकान अवैध हैं और इन्हें हटाना अनिवार्य है। प्रशासन ने 7 फरवरी से इन मकानों को गिराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं।
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मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला काफी समय से लंबित था और इसका संबंध गांव के पूर्व सरपंच रघुवीर पुत्र दिलबाग सिंह और अन्य ग्रामीणों के बीच विवाद से है। पहले यह गांव जुआ-2 पंचायत के अंतर्गत आता था, लेकिन समय के साथ यहां कुछ लोगों ने पंचायती जमीन पर अवैध रूप से मकान बना लिए। प्रशासन का कहना है कि ये सभी मकान नियमों के विरुद्ध हैं और इन्हें हटाना आवश्यक है। तहसीलदार कार्यालय ने गांव के सरपंच और चौकीदार को इस कार्रवाई की सूचना दे दी है, जिससे पूरे गांव में तनाव की स्थिति बन गई है।
ग्रामीणों की अपील और प्रशासन का रुख
इस फैसले के बाद गांव के लोग परेशान हैं। वे अपने घरों के उजड़ने की आशंका से चिंतित हैं और प्रशासन से इस कार्रवाई को रोकने की अपील कर रहे हैं। वहीं, कुछ ग्रामीणों पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने जानबूझकर पंचायती जमीन पर अवैध कब्जा किया। एसडीएम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून के अनुसार यह जमीन पंचायती संपत्ति है और उस पर किसी का भी व्यक्तिगत अधिकार नहीं हो सकता।
2010 की पैमाइश और विवाद की शुरुआत
साल 2010 में गांव सलीमपुर ट्राली में सरकारी अधिकारियों द्वारा पैमाइश की गई थी, लेकिन तब यह स्पष्ट नहीं था कि गांव का लाल डोरा कहां तक फैला हुआ है। इस दौरान कई ग्रामीणों ने पंचायती जमीन पर मकान बना लिए थे। शिकायतकर्ता रघुवीर, जो पहले इस गांव के सरपंच रह चुके हैं, ने बताया कि जब वे सरपंच थे, तब उन्होंने पाया कि गांव में अधिकतर लोगों ने अवैध रूप से पंचायती जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद उन्होंने प्रशासन से इस बारे में शिकायत की और कोर्ट में मामला दर्ज कर दिया। हालांकि, शुरू में इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन अब प्रशासन ने इसे संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई का निर्णय लिया है।
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राजनीतिक रंजिश या कानूनी कार्रवाई?
इस पूरे मामले में राजनीति भी अहम भूमिका निभा रही है। रघुवीर दो बार सरपंच रहे, लेकिन तीसरी बार चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने गांव के लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पंचायती जमीन पर बने अवैध मकानों के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू कर दी। अब जब प्रशासन ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है, तो गांव के लोग इसे राजनीतिक रंजिश का हिस्सा बता रहे हैं।
क्या होगा आगे?
अब जब प्रशासन ने 7 फरवरी से कार्रवाई करने का फैसला किया है, तो गांव के लोगों की चिंता बढ़ गई है। कुछ लोग कानूनी रास्ते अपनाने की सोच रहे हैं, जबकि कुछ प्रशासन से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। प्रशासन का कहना है कि वे किसी भी हालत में अवैध निर्माणों को रहने नहीं देंगे और कानून के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी।