
बिहार में भूमि विवाद एक आम समस्या बन गई है, जिससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। Paperless Land Registry in Bihar अब हकीकत बनने जा रही है। सरकार ने जमीन की खरीद-बिक्री प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल करने का फैसला लिया है, जिससे लोगों को रजिस्ट्री कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह नई व्यवस्था अप्रैल से पूरे बिहार में लागू हो जाएगी।
सरकार का उद्देश्य इस नई प्रणाली के माध्यम से भ्रष्टाचार खत्म करना, पारदर्शिता लाना और फर्जीवाड़े पर रोक लगाना है। यह व्यवस्था पहले कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई थी, जिसके सफल परिणामों के बाद इसे पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है।
Paperless Land Registry in Bihar एक क्रांतिकारी कदम है, जिससे जमीन की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया सरल, तेज और पारदर्शी बनेगी। इस डिजिटल परिवर्तन से बिहार के लोगों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी और भूमि विवादों में कमी आएगी। सरकार का यह कदम भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
पेपरलेस रजिस्ट्री से क्या बदलेगा?
बिहार में अब तक जमीन की रजिस्ट्री के लिए लोगों को कई दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होती थी। प्रक्रिया जटिल होने के कारण भ्रष्टाचार की संभावना अधिक रहती थी। लेकिन अब, Paperless Land Registry in Bihar लागू होने से सारी प्रक्रिया डिजिटल हो जाएगी, जिससे लोग घर बैठे ही अपनी जमीन की रजिस्ट्री करा सकेंगे।
इस बदलाव के प्रमुख लाभ:
- ऑनलाइन आवेदन: अब जमीन की रजिस्ट्री के लिए लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। आवेदन ऑनलाइन ही किए जा सकेंगे।
- पारदर्शिता: यह प्रणाली भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करेगी और दलालों की भूमिका को खत्म करेगी।
- समय की बचत: पहले जहां रजिस्ट्री प्रक्रिया में कई हफ्ते लग जाते थे, अब यह काम कुछ ही दिनों में पूरा हो सकेगा।
- फर्जीवाड़े पर रोक: डिजिटल रिकॉर्ड रखने से किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े और दस्तावेजों में हेरफेर की संभावना कम हो जाएगी।
- ऑनलाइन भुगतान: अब रजिस्ट्री के शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जा सकेगा, जिससे भुगतान में पारदर्शिता बनी रहेगी।
कैसे होगी पेपरलेस रजिस्ट्री?
बिहार सरकार की पेपरलेस रजिस्ट्री प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कई तकनीकी सुधार किए गए हैं।
प्रक्रिया इस प्रकार होगी:
- ऑनलाइन आवेदन: इच्छुक खरीदार को सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और जमीन रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
- दस्तावेज़ अपलोड: आवश्यक दस्तावेजों को ऑनलाइन स्कैन करके अपलोड करना होगा।
- डिजिटल सत्यापन: आवेदन के बाद दस्तावेजों का सत्यापन ऑनलाइन किया जाएगा।
- ई-स्टांपिंग: स्टांप ड्यूटी का भुगतान ऑनलाइन किया जाएगा।
- डिजिटल हस्ताक्षर: खरीदार और विक्रेता दोनों को अपने डिजिटल हस्ताक्षर से दस्तावेजों को प्रमाणित करना होगा।
- स्वीकृति और प्रमाण पत्र: सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद रजिस्ट्री का डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, जिसे आवेदक डाउनलोड कर सकते हैं।
किन जिलों में पहले लागू हुई थी यह प्रणाली?
इस प्रक्रिया को लागू करने से पहले इसे बिहार के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था। पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में इसे सफलतापूर्वक लागू किया गया था। अब पूरे राज्य में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।
सरकार का उद्देश्य और भविष्य की योजनाएं
बिहार सरकार का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार को खत्म करना और रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाना है। इस नई व्यवस्था से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि यह भूमि विवादों को भी कम करने में मदद करेगी। सरकार भविष्य में इस प्रणाली को और अधिक उन्नत बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ब्लॉकचेन तकनीक का भी उपयोग कर सकती है, जिससे भूमि रजिस्ट्री के डेटा को पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।
क्या होंगे मुख्य फायदे?
- सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार कम होगा।
- लोगों को बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- फर्जी दस्तावेजों से जमीन की हेराफेरी रुकेगी।
- समय और पैसे की बचत होगी।
- प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी।
नागरिकों को क्या करना होगा?
नागरिकों को इस प्रक्रिया से लाभ उठाने के लिए सरकार की ऑनलाइन रजिस्ट्री पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। इसके लिए उन्हें आधार कार्ड, पैन कार्ड और जमीन से जुड़े दस्तावेजों की डिजिटल कॉपी अपलोड करनी होगी।