बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, और 2025 में यह शुभ दिन 2 फरवरी को पड़ रहा है। यह पर्व ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती के पूजन का विशेष अवसर होता है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना से विद्या, बुद्धि और कला के क्षेत्र में विशेष लाभ मिलता है। हिंदू धर्म में इस दिन का अत्यंत पवित्र महत्व है और शिक्षण संस्थानों, विद्यालयों, तथा मंदिरों में सरस्वती वंदना श्लोक और सरस्वती स्तोत्र का पाठ किया जाता है।
सरस्वती वंदना का महत्व
माना जाता है कि सरस्वती वंदना श्लोक का पाठ करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है, अध्ययन में मन लगता है और वाणी में मधुरता आती है। यह न केवल विद्यार्थियों बल्कि उन सभी लोगों के लिए लाभकारी है जो किसी भी क्षेत्र में बुद्धि, ज्ञान और कला के विकास की इच्छा रखते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि बसंत पंचमी के दिन सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने से मां सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
सरस्वती वंदना श्लोक संस्कृत में अर्थ सहित
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवलाया शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकराया श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत-शङ्कर-प्रभृतिभिर्देवैःसदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवतीनिःशेषजाड्यापहा॥
इस मंत्र का अर्थ यह है कि जो देवी कुंद फूल, चंद्रमा और हिम की तरह शुभ्र आभा वाली हैं, जो सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो अपने हाथों में वीणा और वरद मुद्रा धारण किए हुए हैं, और जो ब्रह्मा, विष्णु और महादेव सहित सभी देवताओं द्वारा पूजनीय हैं – वे मां सरस्वती हमारी बुद्धि के अज्ञान को दूर करें।
सरस्वती स्तोत्र (Saraswati Stotram Lyrics in Sanskrit)
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकराया श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत-शङ्कर-प्रभृतिभिर्देवैःसदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वती भगवतीनिःशेषजाड्यापहा॥1॥
दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिःस्फटिकमणिमयीमक्षमालां दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण।
भासा कुन्देन्दु-शंखस्फटिकमणिनिभाभासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतुवदने सर्वदा सुप्रसन्ना॥2॥
आशासु राशी भवदंगवल्लि भासैवदासीकृत-दुग्धसिन्धुम्।
मन्दस्मितैर्निन्दित-शारदेन्दुंवन्देऽरविन्दासन-सुन्दरि त्वाम्॥3॥
शारदा शारदाम्बोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥4॥
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृ-देवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जनाः॥5॥
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्नः सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या॥6॥
शुद्धां ब्रह्मविचारसारपरमा-माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्पाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥7॥
वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरिंचिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥8॥
श्वेताब्जपूर्ण-विमलासन-संस्थिते हे
श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे।
उद्यन्मनोज्ञ-सितपंकजमंजुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्॥9॥
मातस्त्वदीय-पदपंकज-भक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण
भूवह्नि-वायु-गगनाम्बु-विनिर्मितेन॥10॥
मोहान्धकार-भरिते हृदये मदीये
मातः सदैव कुरु वासमुदारभावे।
स्वीयाखिलावयव-निर्मलसुप्रभाभिः
शीघ्रं विनाशय मनोगतमन्धकारम्॥11॥
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेशः
शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावैः।
न स्यात्कृपा यदि तव प्रकटप्रभावे
न स्युः कथंचिदपि ते निजकार्यदक्षाः॥12॥
लक्ष्मिर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तृष्टिः प्रभा धृतिः।
एताभिः पाहि तनुभिरष्टभिर्मां सरस्वती॥13॥
सरसवत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।
वेद-वेदान्त-वेदांग-विद्यास्थानेभ्य एव च॥14॥
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तु ते॥15॥
यदक्षर-पदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥16॥
यह स्तोत्र मां सरस्वती के अद्वितीय स्वरूप की स्तुति करता है, जो समस्त ब्रह्मांड में व्यापक हैं, जो अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं।
सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने के लाभ (Saraswati Stotram Benefits)
- विद्या और ज्ञान में वृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है और पढ़ाई में रुचि बढ़ती है।
- वाणी में मधुरता: इसका नियमित जाप करने से व्यक्ति की वाणी में मिठास आती है और वाणी दोष दूर होते हैं।
- बौद्धिक विकास: विद्यार्थी, लेखक, कवि, कलाकार, और संगीतकार यदि नियमित रूप से इसका पाठ करें तो उनकी रचनात्मकता और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
- सकारात्मकता और सफलता: यह स्तोत्र मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है और व्यक्ति की सफलता के मार्ग खोलता है।
विद्यार्थी इस मंत्र का जाप करें
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणीविद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा॥
बसंत पंचमी 2025: सही तिथि और शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी 2025 की तिथि: 2 फरवरी, रविवार
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
सरस्वती पूजन का अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 9:45 से 11:15 तक
इस दिन माता सरस्वती की मूर्ति के सामने दीप जलाकर, पीले फूल चढ़ाकर और सरस्वती वंदना श्लोक का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
बसंत पंचमी का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ज्ञान और कला के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का भी प्रतीक है। इस दिन सरस्वती वंदना श्लोक और सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे विद्या, बुद्धि और वाणी में विशेष सुधार होता है। 2025 में यह पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा, जो विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए विशेष महत्व रखता है।