
EPFO Pension after retirement एक ऐसा विषय है जो हर नौकरीपेशा व्यक्ति के मन में कभी न कभी जरूर आता है। खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी सेवा अवधि के दौरान अपने पीएफ- PF अकाउंट से कुछ राशि निकाल चुके हैं। क्या उन्हें भी रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ मिलेगा? इस लेख में हम इसी महत्वपूर्ण सवाल का जवाब विस्तार से देंगे।
पीएफ निकालने वालों को भी मिलती है पेंशन
अगर आपने भी कभी यह सवाल किया है कि क्या EPFO से जुड़े वे कर्मचारी जिन्हें अपने पीएफ खाते से पैसों की जरूरत पड़ी और उन्होंने आंशिक या पूर्ण निकासी की, उन्हें पेंशन का लाभ मिलेगा या नहीं, तो इसका सीधा जवाब है—हां, मिलेगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation – EPFO) के नियमों के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 साल तक सेवा में रहा है और इस दौरान नियमित रूप से PF में योगदान करता रहा है, तो वह रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने का पात्र होता है, भले ही उसने बीच में पीएफ से पैसे निकाले हों।
EPS पेंशन स्कीम क्या है?
कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme – EPS) EPFO की एक अहम स्कीम है जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन प्रदान करती है। यह योजना विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए बनाई गई है जो लंबे समय तक संगठित क्षेत्र में काम करते हैं और EPF खाते में हर महीने योगदान करते हैं। EPS के तहत, हर महीने कर्मचारी की बेसिक सैलरी का एक हिस्सा पेंशन फंड में जमा होता है।
पीएफ से पेंशन का फॉर्मूला
EPFO के नियमों के अनुसार, पेंशन की गणना करने के लिए एक स्पष्ट फॉर्मूला है:
पेंशन = (औसत मासिक सैलरी × पेंशनेबल सर्विस) / 70
यहां “औसत मासिक सैलरी” का मतलब है, अंतिम 60 महीनों की औसत बेसिक सैलरी। “पेंशनेबल सर्विस” यानी कर्मचारी की सेवा की अवधि, जिसे सालों में मापा जाता है।
58 साल की उम्र से पहले क्लेम करने पर होती है कटौती
यदि कोई कर्मचारी 58 साल की उम्र से पहले यानी न्यूनतम आयु 50 वर्ष की उम्र में ही पेंशन क्लेम करता है, तो उसे मिलने वाली मासिक पेंशन में सालाना 4% की कटौती झेलनी पड़ती है। इसका मतलब है कि जितना जल्दी आप पेंशन क्लेम करेंगे, आपकी पेंशन राशि उतनी ही कम हो जाएगी।
EPF फंड का 75% हिस्सा एकमुश्त, 25% पेंशन में
रिटायरमेंट के समय EPF खाते में जमा कुल राशि का 75 फीसदी हिस्सा कर्मचारी को एकमुश्त (lump sum) मिल जाता है। वहीं, शेष 25 फीसदी हिस्सा मासिक पेंशन के रूप में मिलता है। यह योजना कर्मचारियों को एक निश्चित वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है ताकि वे रिटायरमेंट के बाद भी आत्मनिर्भर रह सकें।
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10 साल की सेवा के बाद ही मिलता है पेंशन का अधिकार
EPFO के अनुसार, कोई भी कर्मचारी तभी पेंशन का पात्र होता है जब उसने कम से कम 10 वर्षों तक EPF में योगदान दिया हो। यदि किसी कारणवश कर्मचारी ने 10 साल की सेवा पूरी नहीं की है, तो वह केवल पीएफ की एकमुश्त राशि के लिए पात्र होगा, पेंशन के लिए नहीं। इसलिए यह जरूरी है कि कर्मचारी लगातार कम से कम 10 साल तक EPF स्कीम का हिस्सा रहे।
नौकरी बदलने पर क्या होता है?
नौकरी बदलने की स्थिति में कई बार कर्मचारियों के कई PF अकाउंट हो जाते हैं, जिससे EPS पेंशन की सेवा अवधि की गणना में परेशानी हो सकती है। लेकिन अब EPFO की नई ऑनलाइन प्रणाली के तहत कर्मचारी अपने सभी PF अकाउंट को एक साथ मर्ज कर सकते हैं और सेवा की पूरी अवधि को जोड़ सकते हैं। यह सुविधा सुनिश्चित करती है कि कर्मचारी का EPS योगदान और सर्विस रिकॉर्ड लगातार बना रहे।
रिन्यूएबल एनर्जी और हेल्थ इंश्योरेंस के साथ EPFO के विकल्प
अब जबकि फाइनेंशियल प्लानिंग की अहमियत बढ़ती जा रही है, कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद सिर्फ EPFO पर निर्भर न रहते हुए अन्य विकल्पों की ओर भी देख रहे हैं जैसे कि रिन्यूएबल एनर्जी- Renewable Energy प्रोजेक्ट्स में निवेश, या फिर हेल्थ इंश्योरेंस जैसे HDFC ERGO की योजनाएं, जो ₹27 प्रतिदिन की दर पर कवरेज देती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद EPFO की पेंशन स्कीम आज भी देश के लाखों कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट का सबसे भरोसेमंद सहारा बनी हुई है।