
तलाक के बाद शादी में मिला सोना दूल्हा या दुल्हन का होगा हाईकोर्ट ने सुनाया चौंकाने वाला फैसला
केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाह के समय दुल्हन को उपहार स्वरूप दिया गया सोना केवल उसी का व्यक्तिगत स्वामित्व है, और तलाक के बाद भी इस पर उसका अधिकार बरकरार रहता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पति या ससुराल पक्ष के अन्य सदस्य इस सोने (Gold) पर कोई दावा नहीं कर सकते। यह फैसला महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर भारतीय न्याय प्रणाली में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
दुल्हन को मिला सोना व्यक्तिगत संपत्ति: हाईकोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने यह दोहराया कि शादी के समय दुल्हन को जो सोना दिया जाता है, वह ‘स्त्रीधन’ की श्रेणी में आता है। भारतीय कानून के तहत स्त्रीधन उस संपत्ति को कहते हैं जो महिला को उपहार में, शादी में या उत्तराधिकार में प्राप्त होती है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि पति या उसके परिवार को इस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है, चाहे वे इसे शादी के बाद अपने पास क्यों न रखें।
तलाक के बाद लौटाना होगा सोना
कोर्ट ने तलाक के बाद दुल्हन को उसका सोना लौटाने का आदेश भी दिया। फैसले में कहा गया कि यह संपत्ति केवल महिला की है और यदि ससुराल पक्ष या पति इसे अपने पास रखता है, तो यह गैरकानूनी और आपराधिक कृत्य माना जाएगा। यह आदेश खासकर उन महिलाओं के लिए राहतभरा है जो शादी के टूटने के बाद अपनी संपत्ति को लेकर संघर्ष करती हैं।
अदालत ने किन प्रावधानों का हवाला दिया?
फैसले में अदालत ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 406 का उल्लेख किया, जिसके तहत किसी व्यक्ति द्वारा अमानत में दी गई संपत्ति को लौटाने से इनकार करना अपराध की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि पति और उसके परिजनों के पास यदि दुल्हन का सोना (Gold Jewellery) है और वे इसे वापस नहीं कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।
महिला अधिकारों के लिए एक बड़ा संदेश
इस फैसले को देश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। स्त्रीधन को लेकर कई बार विवाद खड़े होते हैं और कई महिलाएं यह साबित करने के लिए संघर्ष करती हैं कि उन्हें जो संपत्ति दी गई थी, उस पर उनका ही हक है। अब केरल हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे सभी मामलों में एक कानूनी मिसाल के तौर पर पेश किया जाएगा।
कानून में पहले से मौजूद है व्यवस्था, फिर भी होता है उल्लंघन
हालांकि भारतीय कानूनों में स्त्रीधन की व्यवस्था पहले से ही मौजूद है, लेकिन व्यवहार में इसका उल्लंघन आम बात है। कई बार परिवार या समाज के दबाव में महिलाएं अपनी संपत्ति से वंचित रह जाती हैं। इस संदर्भ में हाईकोर्ट का यह स्पष्ट और दोटूक निर्णय आने वाले समय में समाज में जागरूकता बढ़ाने और महिलाओं को उनका हक दिलाने में मदद करेगा।
तलाक के बाद संपत्ति विवादों में राहत
तलाक के मामलों में सबसे अधिक विवाद संपत्ति और वित्तीय बंटवारे को लेकर होते हैं। इस फैसले के जरिए न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि दुल्हन को मिले गहने या सोना उसका व्यक्तिगत अधिकार है और तलाक की स्थिति में उसे इसकी वापसी की मांग करने का पूरा हक है। यह निर्णय न केवल महिला की आर्थिक स्वतंत्रता को सुरक्षित करता है, बल्कि न्याय प्रणाली में महिलाओं के विश्वास को भी मजबूत करता है।
फैसला समाज में नया दृष्टिकोण लाएगा
इस फैसले का असर केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी व्यापक है। यह महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए लड़ने की हिम्मत देगा और पुरुष प्रधान समाज में एक संतुलित सोच को बढ़ावा देगा। शादी को अब केवल सामाजिक अनुबंध नहीं बल्कि एक संवैधानिक दायरे में रखने की कोशिश हो रही है, जहां दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा हो।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में न्यायपालिका की पहल
भारत में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) के लिए कई योजनाएं और कानून पहले से मौजूद हैं, लेकिन न्यायपालिका की सक्रियता से इन योजनाओं को बल मिलता है। यह फैसला न केवल संपत्ति अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कानून महिलाओं के साथ खड़ा है।