
गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्म हवाओं के बीच ठंडा पानी किसी राहत से कम नहीं लगता। इस जरूरत को पूरा करने के लिए लोग या तो फ्रिज का पानी पीते हैं या फिर मिट्टी के मटके का पानी। दोनों ही विकल्पों की अपनी-अपनी विशेषताएं और स्वास्थ्य पर असर होता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि इन दोनों में से सेहत के लिहाज से कौन सा पानी बेहतर है? इसी सवाल का जवाब हम आपको इस रिपोर्ट में विस्तार से देने जा रहे हैं।
फ्रिज का पानी: तीव्र ठंडक लेकिन शरीर के लिए चुनौती
फ्रिज का पानी आजकल हर घर की जरूरत बन चुका है। इसमें एक ही समय पर बड़ी मात्रा में पानी को जमा करके, बहुत कम समय में ठंडा किया जा सकता है। फ्रिज में पानी लगभग 4-8 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है, जो पीने में बेहद ठंडा लगता है और तुरंत राहत देता है। लेकिन यह राहत हमेशा स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद नहीं होती।
ज्यादा ठंडा पानी पीने से गले में खराश, सर्दी-जुकाम और गले की नसों में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कई बार ठंडा पानी पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है। शरीर का तापमान अचानक कम हो जाने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे अपच और एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है।
इसके अलावा, जब हम बहुत अधिक ठंडा पानी पीते हैं तो शरीर को उस पानी को अपने तापमान के अनुसार गर्म करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। यह ऊर्जा शरीर की दूसरी जरूरी प्रक्रियाओं में बाधा बन सकती है।
मटके का पानी: प्राकृतिक ठंडक और शरीर के अनुकूल
मटके का पानी यानी मिट्टी के पात्र में रखा पानी न सिर्फ परंपरागत है बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। मटका पानी को स्वाभाविक रूप से ठंडा करता है। यह ठंडक शरीर के लिए अधिक अनुकूल होती है क्योंकि इसमें तापमान लगभग 15-20 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है, जो न तो बहुत ठंडा होता है और न ही गर्म।
मिट्टी के मटके की विशेषता यह होती है कि वह पानी को प्राकृतिक रूप से फिल्टर करता है और उसमें मिट्टी की सौंधी महक मिलती है, जो प्राकृतिक आनंद देती है। इसके अलावा मटका पानी पीने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
आयुर्वेद में मटके के पानी को ‘त्रिदोष शामक’ कहा गया है यानी यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। यह पानी न तो अचानक शरीर को ठंडक देता है और न ही तापमान में झटका देता है, जिससे यह गले और शरीर के लिए सहज होता है।
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मटके और फ्रिज के पानी में क्या है मूलभूत अंतर?
फ्रिज में पानी ठंडा करने की प्रक्रिया कृत्रिम होती है, जहां बिजली का उपयोग कर पानी को तेजी से ठंडा किया जाता है। वहीं मटका एक प्राकृतिक कूलिंग सिस्टम की तरह काम करता है, जहां पानी धीरे-धीरे ठंडा होता है।
मटका जल को हवा और तापमान के साथ सामंजस्य बनाकर ठंडा करता है। यह प्रक्रिया न केवल अधिक प्राकृतिक होती है, बल्कि शरीर के जैविक ढांचे के अधिक अनुकूल भी होती है। वहीं फ्रिज का पानी तेजी से ठंडा होने के कारण कई बार शॉक की तरह शरीर पर असर डाल सकता है, खासकर जब शरीर गर्म हो और हम एकदम से बहुत ठंडा पानी पी लें।
किसे चुनना चाहिए?
यदि आप सिर्फ ठंडक की तलाश में हैं और शरीर की गर्मी को तुरंत शांत करना चाहते हैं तो फ्रिज का पानी तात्कालिक राहत जरूर देता है, लेकिन इसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है। दूसरी ओर, मटके का पानी धीमी लेकिन स्थायी राहत देता है, और यह शरीर के लिए अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है।
विशेषज्ञों का भी मानना है कि Earthen Pot Water यानी मटका पानी लंबे समय में शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। यह आपके इम्यून सिस्टम को प्रभावित नहीं करता, और गले व पाचन तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचाता।