
केरल के एर्नाकुलम जिले के मुनंबम गांव में वक्फ संपत्ति-Waqf Property को लेकर गहराते विवाद ने स्थानीय 600 परिवारों के सामने बेदखली का खतरा खड़ा कर दिया है। ये परिवार पीढ़ियों से इस भूमि पर रह रहे हैं, लेकिन अब केरल वक्फ बोर्ड-Kerala Waqf Board ने इस भूमि पर दावा करते हुए इसे अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है। यह मामला अब कानूनी प्रक्रिया-Legal Proceedings में है और प्रभावित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
विवाद के पीछे की जड़: वक्फ बोर्ड का दावा और नागरिकों की आपत्ति
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब वक्फ बोर्ड ने यह दावा किया कि मुनंबम की यह जमीन वक्फ एक्ट-Waqf Act के तहत आने वाली संपत्ति है। वहीं, यहां रहने वाले परिवारों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने यह जमीन कानूनी रूप से खरीदी थी और वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें अचानक बेदखली का नोटिस दिया जाना न सिर्फ अन्यायपूर्ण है, बल्कि उनके मौलिक अधिकारों-Fundamental Rights का भी उल्लंघन है।
राजनीतिक तूल पकड़ता मामला: भाजपा ने साधा निशाना
यह विवाद अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। भारतीय जनता पार्टी-BJP ने वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक मुद्दा-Political Issue बना दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि वक्फ बोर्ड को मिली अनियंत्रित शक्तियां-Unchecked Powers निर्दोष नागरिकों की जमीन छीनने का माध्यम बन चुकी हैं। इसी मुद्दे को लेकर वक्फ (संशोधन) बिल 2025-Waqf (Amendment) Bill 2025 को पेश किया गया है, जिसे लेकर संसद और सड़कों पर बहस छिड़ चुकी है।
वक्फ संशोधन बिल 2025: पारदर्शिता या अधिकारों का हनन?
सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए वक्फ संशोधन बिल 2025 के समर्थकों का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही-Transparency and Accountability in Waqf Properties Management लाने के लिए जरूरी है। वहीं विरोधी दलों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों-Religious and Property Rights पर हमला है।
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया का समर्थन
दिलचस्प बात यह है कि वक्फ संशोधन बिल को केवल भाजपा का ही नहीं बल्कि कुछ ईसाई संगठनों-Christian Organizations का भी समर्थन मिला है। कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया-Catholic Bishops’ Conference of India ने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ कानून के मौजूदा प्रावधान भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता-Secularism के मूल्यों के विरुद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार का एकतरफा नियंत्रण किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
राहुल गांधी और विपक्ष का विरोध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बिल को संविधान पर हमला-Attack on Constitution बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार यह बिल लाकर एक खास समुदाय के अधिकारों का हनन करना चाहती है। इसके जवाब में सरकार का कहना है कि यह कदम केवल वक्फ संपत्तियों के भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन-Corruption and Mismanagement को रोकने के लिए उठाया गया है।
मुनंबम के परिवार: न्याय की प्रतीक्षा में
इन सभी राजनीतिक और कानूनी बहसों के बीच मुनंबम के 600 परिवारों की ज़िंदगी अनिश्चितता-Uncertainty में फंसी हुई है। कई परिवारों ने कहा है कि वे अब अपने ही घरों में अजनबी बनकर रह गए हैं, क्योंकि किसी भी दिन उन्हें बाहर निकाले जाने का खतरा है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की देखभाल और रोज़मर्रा की ज़िंदगी सब कुछ इस विवाद से प्रभावित हुआ है।
कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का केंद्र
मुनंबम भूमि विवाद अब केवल एक स्थानीय विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह देश में वक्फ संपत्तियों के अधिकार, कानून की पारदर्शिता और धार्मिक स्वतंत्रता पर व्यापक बहस का विषय बन गया है। यह विवाद यह भी दिखाता है कि भारत जैसे विविधता वाले देश में कैसे एक कानूनी विषय सामाजिक और राजनीतिक हलचल का कारण बन सकता है।