
सड़क हादसों पर काबू पाने और यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार अब बड़े पैसेंजर वाहनों में उन्नत सेफ्टी फीचर्स को अनिवार्य करने जा रही है। इन फीचर्स में नींद आने पर अलर्ट (Drowsiness Alert System) और इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (Emergency Braking System) जैसे स्मार्ट सेफ्टी टेक्नोलॉजी शामिल होंगे। सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करना और दुर्घटनाओं की दर में उल्लेखनीय कमी लाना है।
बड़े पैमाने पर लागू होंगे सेफ्टी फीचर्स
सरकार की ओर से प्रस्तावित यह सेफ्टी पॉलिसी शुरुआत में सभी बड़े पैसेंजर व्हीकल्स, जैसे कि बसें और कोच, पर लागू की जाएगी। इन वाहनों में अक्सर लंबी दूरी की यात्रा होती है, और चालक के थक जाने या झपकी आने की स्थिति में गंभीर हादसे होने की आशंका बनी रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए अब वाहन निर्माता कंपनियों को अपने उत्पादों में ये तकनीकें जोड़ना अनिवार्य किया जाएगा।
Drowsiness Alert सिस्टम: झपकी से पहले मिलेगा चेतावनी संकेत
Drowsiness Alert System एक स्मार्ट सेफ्टी फीचर है जो ड्राइवर की आंखों की गतिविधियों, सिर की हलचल और गाड़ी की रफ्तार पर नजर रखते हुए यह अनुमान लगाता है कि ड्राइवर थका हुआ है या नींद में जा रहा है। जैसे ही यह सिस्टम नींद के लक्षणों को पहचानता है, वाहन में अलार्म या वाइब्रेशन के ज़रिए ड्राइवर को तुरंत सचेत कर देता है। इससे हादसे की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
Emergency Braking System: टक्कर से पहले खुद लगाएगा ब्रेक
सरकार द्वारा प्रस्तावित दूसरा अहम फीचर है Advanced Emergency Braking System (AEBS), जो किसी वस्तु या वाहन के अचानक सामने आने की स्थिति में अपने आप ब्रेक लगाता है। यह सिस्टम रडार और कैमरा सेंसर की मदद से वाहन के सामने की स्थिति का निरंतर विश्लेषण करता है और जैसे ही किसी अवरोध की आशंका बनती है, तुरंत प्रतिक्रिया करता है। यह फीचर खासकर तेज रफ्तार और हाईवे ड्राइविंग के दौरान बेहद कारगर साबित होता है।
सरकार की मंशा: दुर्घटनाओं में हो कमी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, हर साल भारत में लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में हादसे ड्राइवर की गलती, थकान या झपकी की वजह से होते हैं। सरकार अब इन हादसों पर लगाम लगाने के लिए तकनीक का सहारा ले रही है। इस योजना के तहत यह भी देखा जा रहा है कि कैसे Renewable Energy से संचालित इलेक्ट्रिक बसों में भी ये सेफ्टी फीचर्स जोड़े जा सकें।
वाहन निर्माताओं के लिए होगी अनिवार्यता
इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए सरकार वाहन निर्माताओं के साथ सक्रिय संवाद कर रही है। नए AIS (Automotive Industry Standards) मानकों में इन फीचर्स को शामिल किया जाएगा, जिससे कोई भी बड़ा पैसेंजर वाहन बिना इन फीचर्स के सड़क पर नहीं उतर सकेगा। मौजूदा वाहनों में इन फीचर्स को रेट्रोफिट कराने पर भी विचार हो रहा है, जिससे पुराने वाहनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
वैश्विक मानकों की ओर बढ़ता भारत
इस कदम से भारत अब उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जहां वाहन सुरक्षा मानकों को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में पहले से ही AEBS और Driver Monitoring Systems को अनिवार्य किया जा चुका है। भारत में भी इसी दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
तकनीक की मदद से बचाई जाएंगी जानें
सरकार का मानना है कि तकनीकी नवाचारों को अपनाकर सड़क सुरक्षा में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। Artificial Intelligence (AI) आधारित इन सेफ्टी फीचर्स से ड्राइवरों को समय रहते सचेत किया जा सकता है और हजारों जानें बचाई जा सकती हैं। सड़क सुरक्षा के लिए यह एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।
भविष्य की राह: और भी सेफ्टी फीचर्स की तैयारी
सरकार भविष्य में और भी एडवांस फीचर्स लाने की योजना बना रही है, जैसे कि लेन डिपार्चर वार्निंग, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन और ऑटोमैटिक स्पीड कंट्रोल सिस्टम। यह सभी तकनीकें धीरे-धीरे सभी वाहनों में अनिवार्य की जा सकती हैं, खासकर जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट में उपयोग हो रहे हैं।