
अमेरिका में पढ़ाई करने का सपना देखने वाले भारतीय और अन्य विदेशी छात्रों के लिए बुरी खबर है। अमेरिका सरकार ने घोषणा की है कि आने वाले दिनों में और भी स्टूडेंट वीजा (Student Visa) रद्द किए जाएंगे। यह निर्णय उस समय लिया गया है जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र महमूद खलील (Mahmood Khalil) को गिरफ्तार कर डिपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खलील अमेरिका का परमानेंट रेजिडेंट (Green Card Holder) है, फिर भी उसका ग्रीन कार्ड रद्द कर दिया गया है।
सरकार का बड़ा फैसला: बढ़ सकती हैं गिरफ्तारियां
G7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio) ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आने वाले दिनों में और भी स्टूडेंट वीजा रद्द किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हम ऐसे लोगों की पहचान कर रहे हैं, जिन्हें हमें कभी देश में आने ही नहीं देना चाहिए था।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की सरकार अब महमूद खलील को निर्वासित करने की प्रक्रिया में है। खलील हाल ही में कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Columbia University) से ग्रेजुएट हुआ है और उसने गाजा पट्टी (Gaza Strip) में इजरायल के खिलाफ चल रहे युद्ध के विरोध में प्रदर्शन किया था।
क्या ग्रीन कार्ड होल्डर्स को भी डरने की जरूरत है?
खलील के मामले के बाद अमेरिका में रहने वाले अन्य ग्रीन कार्ड होल्डर्स (Green Card Holders) और स्टूडेंट वीजा पर पढ़ाई कर रहे छात्रों के बीच भय का माहौल बन गया है। उन्हें लग रहा है कि सरकार किसी भी बहाने उन्हें डिपोर्ट कर सकती है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) ने भी इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने का असीमित अधिकार मिल गया है।
खलील के वकीलों के मुताबिक, अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (Department of Homeland Security) के अधिकारियों ने पहले उसके स्टूडेंट वीजा को रद्द करने का आदेश दिखाया, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि वह स्टूडेंट वीजा पर नहीं बल्कि ग्रीन कार्ड पर है, तो अधिकारियों ने कहा कि उसका ग्रीन कार्ड रद्द कर दिया गया है।
क्या अमेरिका में अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में?
हालांकि, अमेरिकी कानून अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Speech) की गारंटी देता है, लेकिन खलील के केस में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) और विदेश नीति (Foreign Policy) का हवाला देकर उसके अधिकारों को सीमित कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार जब चाहे, किसी भी अप्रवासी (Immigrant) को डिपोर्ट कर सकती है और इसके लिए वह कानून में मौजूद लूपहोल्स का इस्तेमाल कर सकती है।
कानूनी विशेषज्ञों की चेतावनी
कानूनी विशेषज्ञों ने इस फैसले को चिंताजनक बताया है। सैन फ्रांसिस्को यूनिवर्सिटी (San Francisco University) के कानून प्रोफेसर बिल हिंग (Bill Hing) ने चेतावनी दी कि सरकार द्वारा विदेश नीति प्रावधान का उपयोग करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार राजनीतिक सक्रियता को विदेश नीति के लिए खतरा मानने लगेगी, तो यह एक खतरनाक मिसाल होगी। इसका मतलब यह होगा कि कोई भी अप्रवासी या ग्रीन कार्ड होल्डर, जिसकी राय सरकारी नीति से मेल नहीं खाती, उसे डिपोर्ट किया जा सकता है।”
क्या भारतीय छात्रों पर भी पड़ेगा असर?
भारत से हर साल हजारों छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाते हैं। ऐसे में अमेरिका सरकार की इस नीति का सीधा असर भारतीय छात्रों (Indian Students) पर भी पड़ सकता है। अगर सरकार स्टूडेंट वीजा पर सख्ती बढ़ाती है, तो इससे भारतीय छात्रों का अमेरिका में पढ़ाई करने का सपना टूट सकता है।
इसके अलावा, जिन भारतीयों ने पहले से ही ग्रीन कार्ड हासिल कर लिया है, वे भी इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। अगर किसी ग्रीन कार्ड होल्डर की गतिविधियां सरकार को संदिग्ध लगती हैं, तो उसका ग्रीन कार्ड भी रद्द किया जा सकता है।
अमेरिका में स्टूडेंट वीजा के लिए क्या करें?
जो छात्र अमेरिका में पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें अब पहले से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। स्टूडेंट वीजा आवेदन (Student Visa Application) करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सभी शर्तों को पूरा कर रहे हैं और किसी भी प्रकार की कानूनी उलझन में न पड़ें। इसके अलावा, अमेरिका में रहते हुए किसी भी राजनीतिक या विवादास्पद गतिविधि से बचना बेहतर हो सकता है।