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UP में 48 हजार ई-रिक्शा पर एक्शन शुरू! बिना रजिस्ट्रेशन चलाने वालों की अब खैर नहीं — पुलिस करेगी दस्तावेजों की जांच

48 हजार अवैध ई-रिक्शा बन रहे हैं जाम और हादसों की वजह, अब RTO और पुलिस मिलकर चलाएंगे एक महीने का अभियान – जानिए किन दस्तावेजों की होगी जांच और क्या है चालकों के लिए चेतावनी!

By Saloni uniyal
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UP में 48 हजार ई-रिक्शा पर एक्शन शुरू! बिना रजिस्ट्रेशन चलाने वालों की अब खैर नहीं — पुलिस करेगी दस्तावेजों की जांच
UP में 48 हजार ई-रिक्शा पर एक्शन शुरू! बिना रजिस्ट्रेशन चलाने वालों की अब खैर नहीं — पुलिस करेगी दस्तावेजों की जांच

E-rickshaw Registered मुद्दा इन दिनों कानपुर समेत यूपी के कई शहरों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कानपुर शहर में बिना रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के करीब 48 हजार ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे ट्रैफिक अव्यवस्था और जाम की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। न तो इन वाहनों की मॉनिटरिंग हो रही है और न ही सुरक्षा मानकों का पालन। प्रशासनिक हलकों में इसे लेकर चिंता गहराती जा रही है, और अब इस पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है।

विशेष चेकिंग अभियान: 1 से 30 अप्रैल तक चलेगा एक्शन मोड

परिवहन आयुक्त के निर्देश पर 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक एक विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत बिना रजिस्ट्रेशन, बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और अवैध रूप से असेंबल किए गए ई-रिक्शा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस सख्ती का मुख्य उद्देश्य शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाना और आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

यह अभियान राज्य के विभिन्न जिलों में एक साथ चलाया जाएगा। इसका फोकस कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, औरैया, कन्नौज, और इटावा जैसे क्षेत्रों पर होगा जहां ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है।

आरटीओ विभाग की मुहिम और चुनौतियाँ

आरटीओ प्रवर्तन अधिकारी विदिशा सिंह ने इस अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अवैध ई-रिक्शा चालकों और उनके आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चालकों पर नहीं, बल्कि उन विक्रेताओं और कंपनियों पर भी लागू होगा जो बिना अनुमति के ई-रिक्शा बेच या असेंबल कर रहे हैं।

आरटीओ के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीज किए गए ई-रिक्शाओं को रखने की जगह है। शहर में पहले से ही पार्किंग की समस्या है और अब सीजिंग के बाद इन्हें कहां रखा जाएगा, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया है। प्रशासन इस मुद्दे को हल करने के लिए वैकल्पिक स्थानों की तलाश में जुटा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है।

दस्तावेजों की जांच होगी अनिवार्य

चेकिंग अभियान के दौरान ई-रिक्शा चालकों को अपने सभी ज़रूरी दस्तावेज अपने साथ रखने होंगे। इनमें रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र, फिटनेस प्रमाणपत्र और वैध ड्राइविंग लाइसेंस प्रमुख हैं। यदि कोई चालक दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और उसका ई-रिक्शा मौके पर ही सीज कर दिया जाएगा।

पुलिस और ट्रैफिक विभाग के अधिकारी चौराहों, प्रमुख बाजारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तैनात रहेंगे, जहां यह चेकिंग विशेष रूप से की जाएगी। यह अभियान जनता की भागीदारी के साथ पारदर्शी तरीके से चलाया जाएगा ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

शहर की सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सरकार गंभीर

बिना रजिस्ट्रेशन और असेंबल्ड ई-रिक्शा न केवल ट्रैफिक व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं बल्कि यह आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुके हैं। इन वाहनों की न तो तकनीकी जांच होती है और न ही चालकों की योग्यता सुनिश्चित की जाती है। परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

राज्य सरकार और परिवहन विभाग अब इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अब बिना रजिस्ट्रेशन या गलत ढंग से चल रहे ई-रिक्शा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम यूपी में शहरी ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कानूनी रूप से मान्य ई-रिक्शा संचालन की दिशा में कदम

इस अभियान के जरिए सरकार एक संदेश देना चाहती है कि E-rickshaw Registered होना अब केवल औपचारिकता नहीं बल्कि एक अनिवार्यता है। जिन ई-रिक्शा चालकों के पास उचित दस्तावेज हैं, उन्हें इस अभियान से डरने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि यह उनके हित में है कि सड़कों पर केवल वैध और सुरक्षित वाहन ही चलें।

आरटीओ विभाग चालकों को समय रहते अपने कागज़ात अपडेट कराने और आवश्यक जांच पूरी कराने की सलाह दे रहा है ताकि किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बचा जा सके। वहीं, असेंबलिंग और बिक्री करने वाले डीलरों को भी चेतावनी दी गई है कि वे केवल अधिकृत और रजिस्टर्ड ई-रिक्शा ही बेचें।

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