
देश में टोल प्लाजा (Toll Plaza) से होने वाली कमाई लगातार चर्चा में रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) की ओर से लोकसभा में हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में टोल कलेक्शन (Toll Collection) का आंकड़ा 1.93 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 में अकेले 56,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की गई।
इन आंकड़ों में एक और दिलचस्प बात सामने आई है कि देश के कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा ऐसे हैं जो हर साल सरकार के लिए हजारों करोड़ रुपये का राजस्व जुटा रहे हैं। दिल्ली-मुंबई हाईवे (Delhi-Mumbai Highway), ऐतिहासिक ग्रांड ट्रंक रोड और भारत के सबसे लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग जैसे अहम रूट्स पर स्थित ये टोल प्लाजा देश के सबसे अधिक कमाई करने वाले प्लाजा बनकर उभरे हैं।
भरथना टोल प्लाजा बना देश का सबसे कमाऊ टोल
गुजरात के एनएच-48 (NH-48) पर वडोदरा-भरूच सेक्शन में स्थित भरथना टोल प्लाजा पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक राजस्व जुटाने वाला टोल प्लाजा बना है। इसने कुल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। सिर्फ 2023-24 में ही इस प्लाजा ने 472.65 करोड़ रुपये का टोल टैक्स इकट्ठा किया, जो किसी एक वर्ष में सबसे अधिक कलेक्शन का उदाहरण है।
इस प्लाजा की रणनीतिक स्थिति और भारी ट्रैफिक इसे कमाई के लिहाज से शीर्ष पर बनाए हुए है। यह सेक्शन गुजरात की औद्योगिक गतिविधियों और लॉजिस्टिक्स मूवमेंट के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है।
दिल्ली-मुंबई रूट पर शाहजहांपुर प्लाजा दूसरे स्थान पर
राजस्थान में एनएच-48 के गुड़गांव-कोटपुतली-जयपुर खंड पर स्थित शाहजहांपुर टोल प्लाजा टॉप-10 टोल प्लाजा में दूसरे स्थान पर है। यह प्लाजा भी दिल्ली-मुंबई हाईवे का हिस्सा है, जो देश की सबसे व्यस्त सड़क मानी जाती है। पिछले पांच सालों में इसने 1,884.46 करोड़ रुपये का टोल कलेक्शन किया है।
इस हाईवे पर लगातार बढ़ती ट्रैफिक और औद्योगिक ढुलाई इसे एक हाई रेवेन्यू जोन बनाती है। सरकार की नजरों में यह सेक्शन आर्थिक दृष्टि से बेहद लाभकारी साबित हो रहा है।
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पूर्वी भारत का जलाधुलागोरी टोल प्लाजा तीसरे स्थान पर
एनएच-16 के धनकुनी-खड़गपुर खंड पर स्थित पश्चिम बंगाल का जलाधुलागोरी टोल प्लाजा देश का तीसरा सबसे अधिक कमाई करने वाला प्लाजा है। इसने पांच वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की टोल टैक्स वसूली की है।
यह सड़क भारत के पूर्वी तट के साथ चलती है और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना (Golden Quadrilateral Scheme) का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कोलकाता और दक्षिण भारत को जोड़ती है।
एनएच-44 पर घरौंदा टोल प्लाजा बना चौथा सबसे कमाऊ टोल
भारत के सबसे लंबे हाईवे एनएच-44 पर पानीपत-जालंधर खंड में स्थित घरौंदा टोल प्लाजा चौथे नंबर पर आता है। इसने पांच वर्षों में 1,300 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व सरकार को दिया है।
यह हाईवे उत्तर भारत के प्रमुख शहरों को जोड़ता है और भारी ट्रैफिक के चलते यह टोल कलेक्शन के लिहाज से अत्यधिक प्रभावशाली साबित हुआ है।
अन्य हाई रेवेन्यू टोल प्लाजा जो बने सरकार की कमाई का जरिया
सरकार द्वारा दी गई जानकारी में बाकी छह टोल प्लाजा भी ऐसे हैं, जिन्होंने उल्लेखनीय टोल कलेक्शन किया है। इनमें गुजरात में भरूच-सूरत खंड का चोर्यासी टोल प्लाजा, राजस्थान में जयपुर-किशनगढ़ खंड का ठिकारिय प्लाजा, तमिलनाडु में एनएच-44 पर एलएंडटी कृष्णागिरी थोपुर प्लाजा, उत्तर प्रदेश में कानपुर-अयोध्या खंड का नवाबगंज टोल प्लाजा और बिहार में वाराणसी-औरंगाबाद खंड का सासाराम टोल प्लाजा शामिल हैं।
ये सभी प्लाजा विभिन्न हाईवे प्रोजेक्ट्स जैसे स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) और औद्योगिक कॉरिडोर जैसे महत्वाकांक्षी रोड नेटवर्क का हिस्सा हैं।
टोल कलेक्शन से सरकार को मिला 13,988.51 करोड़ रुपये का राजस्व
इन टॉप-10 टोल प्लाजा से पिछले पांच वर्षों में कुल मिलाकर 13,988.51 करोड़ रुपये का टोल टैक्स एकत्र किया गया है, जो पूरे देशभर से हुए टोल कलेक्शन का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा है। यह दर्शाता है कि देश के कुछ चुनिंदा टोल प्लाजा किस तरह राष्ट्रीय राजस्व में बड़ा योगदान दे रहे हैं।
इनमें से गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से दो-दो टोल प्लाजा हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार और हरियाणा से एक-एक प्लाजा शामिल है।
टोल वसूली में भविष्य की योजनाएं
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में जानकारी दी कि आने वाले समय में टोल पर लगने वाली लंबी लाइनों को खत्म करने के लिए सरकार “सालाना पास सिस्टम” (Annual Pass System) जैसे विकल्पों पर विचार कर रही है। इसके अलावा RFID और GPS आधारित Toll Collection System को और अधिक प्रभावशाली बनाने की योजना है, ताकि टोल वसूली डिजिटल हो और वाहनों को रुकना न पड़े।