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‘लड़का हुआ तो गाय, लड़की हुई तो ₹50,000’ – इस राज्य में तीसरा बच्चा होने पर मिलेंगे खास तोहफे!

TDP सांसद की इस घोषणा से मचा बवाल! क्या यह जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने की योजना है या महिलाओं पर बढ़ता दबाव? जानें इस विवादित नीति की पूरी सच्चाई और सरकार का रुख!

By Saloni uniyal
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'लड़का हुआ तो गाय, लड़की हुई तो ₹50,000' – इस राज्य में तीसरा बच्चा होने पर मिलेंगे खास तोहफे!
‘लड़का हुआ तो गाय, लड़की हुई तो ₹50,000’ – इस राज्य में तीसरा बच्चा होने पर मिलेंगे खास तोहफे!

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में सरकार ने जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक अनोखी योजना की घोषणा की है। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के सांसद कालीसेट्टी अप्पाला नायडू (Kalis Etti Appala Naidu) ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर ऐलान किया कि तीसरा बच्चा होने पर महिलाओं को प्रोत्साहन स्वरूप उपहार दिए जाएंगे। इस घोषणा के अनुसार, अगर किसी महिला को लड़की होती है तो उसे 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जबकि लड़का होने पर एक गाय दी जाएगी।

TDP सांसद की घोषणा से राज्य में मचा हड़कंप

सांसद कालीसेट्टी अप्पाला नायडू ने इस पहल को राज्य में घटती युवा आबादी के समाधान के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के जनसंख्या वृद्धि को लेकर दिए गए आह्वान के बाद उठाया गया है। इस घोषणा के बाद पूरे राज्य में चर्चा शुरू हो गई है। जहां कुछ लोग इसे जनसंख्या वृद्धि की दिशा में एक अच्छा कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) और महिलाओं पर अधिक बच्चे पैदा करने का दबाव डालने वाला बता रहे हैं।

राज्य में युवाओं की घटती आबादी को लेकर चिंता

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पहले भी राज्य में घटती युवा आबादी को लेकर चिंता जता चुके हैं। उनका मानना है कि राज्य में आने वाले वर्षों में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए पर्याप्त युवा कार्यबल होना आवश्यक है। इसी के चलते उन्होंने सभी महिला कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश (Maternity Leave) देने की घोषणा की थी, भले ही उनके कितने भी बच्चे क्यों न हों। सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग परिवार बढ़ाने के लिए प्रेरित हों और राज्य में युवा आबादी में बढ़ोतरी हो।

योजना पर उठ रहे सवाल

हालांकि, इस घोषणा के बाद से ही कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस योजना की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे महिलाओं पर अधिक बच्चे पैदा करने का दबाव बढ़ेगा और यह एक प्रकार का लैंगिक भेदभाव है क्योंकि लड़के और लड़की के जन्म पर अलग-अलग इनाम दिए जा रहे हैं।

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि सरकार को ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए जो स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा दें, बजाय इसके कि वे सीधे तौर पर अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या यह योजना वास्तव में आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यावहारिक होगी और क्या इससे राज्य में जनसंख्या वृद्धि का उद्देश्य पूरा होगा।

क्या यह नीति सफल होगी?

राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य भले ही सकारात्मक हो, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस तरह लागू किया जाता है और इसके पीछे की मंशा क्या है। यदि सरकार महिलाओं और परिवारों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देती है, तो यह योजना एक प्रभावी कदम साबित हो सकती है।

हालांकि, अगर इसे केवल जनसंख्या वृद्धि के एक माध्यम के रूप में देखा जाएगा, तो यह विवादों में घिरी रह सकती है। सरकार को इस योजना के प्रभावों का आकलन करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि यह महिलाओं की भलाई के लिए काम करे, न कि उन पर दबाव डालने का साधन बने।

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