
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) टीम की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अंत तक दुनिया भर में 60 शिक्षा प्रणालियों ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2024 के अंत तक, 19 और देशों ने इस प्रतिबंध को लागू किया, जिससे कुल संख्या बढ़कर 79 हो गई। यह संख्या वैश्विक स्तर पर शिक्षा प्रणालियों का 40 प्रतिशत है, जो बताता है कि कई देश स्मार्टफोन के प्रभाव को लेकर गंभीर हैं।
भारत ने अब तक स्कूलों में मोबाइल फोन पर कोई विशेष नीति या कानून नहीं बनाया है, हालांकि कुछ राज्यों में प्रशासनिक आदेशों के माध्यम से इसे नियंत्रित करने की कोशिश की गई है। कई शिक्षाविदों का मानना है कि मोबाइल फोन छात्रों के ध्यान को भटका सकते हैं और उनकी शैक्षणिक प्रगति को बाधित कर सकते हैं।
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अन्य देशों की सख्त नीतियां
पिछले कुछ वर्षों में, कई देशों ने स्मार्टफोन के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। उदाहरण के लिए, चीन के झेंग्झौ शहर में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में फोन उपयोग को सीमित कर दिया गया है और अभिभावकों से लिखित सहमति ली जाती है कि क्या उनके बच्चे के लिए फोन आवश्यक है। फ्रांस में, निम्न माध्यमिक स्तर के स्कूलों में ‘‘डिजिटल ब्रेक’’ को प्रोत्साहित किया गया है, जबकि उच्च शिक्षा स्तरों पर पहले से ही स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लागू है।
हालांकि, सऊदी अरब ने चिकित्सा उद्देश्यों के मद्देनजर दिव्यांग समूहों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अपने प्रतिबंध को वापस ले लिया। यह दिखाता है कि कुछ देश इस विषय पर संतुलित दृष्टिकोण अपना रहे हैं, जहां जरूरत के अनुसार प्रतिबंधों को समायोजित किया जा रहा है।
अमेरिका में भी सख्त नियम
अमेरिका के 50 में से 20 राज्यों में स्कूलों में स्मार्टफोन उपयोग पर प्रतिबंध लागू किया गया है। इनमें कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, इंडियाना और ओहायो जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं, जहां छात्रों के लिए फोन-मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया में “फोन-मुक्त स्कूल अधिनियम” लागू किया गया है, जबकि फ्लोरिडा में “के-12” कक्षाओं में स्मार्टफोन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है।
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डिजिटल उपकरणों और एप्लिकेशन पर रोक
कुछ देशों ने न केवल स्मार्टफोन बल्कि विशिष्ट एप्लिकेशन और डिजिटल टूल्स पर भी प्रतिबंध लगाया है। डेनमार्क और फ्रांस ने ‘गूगल वर्कस्पेस’ को शिक्षा प्रणाली से हटा दिया है, जबकि जर्मनी के कुछ राज्यों ने माइक्रोसॉफ्ट उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पता चलता है कि न केवल स्मार्टफोन बल्कि तकनीकी प्लेटफार्म भी नीति निर्माताओं के रडार पर हैं।
शिक्षा स्तर के अनुसार भिन्न प्रतिबंध
अधिकतर देशों में प्राथमिक स्कूलों में स्मार्टफोन प्रतिबंध को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जबकि कुछ देशों ने इसे माध्यमिक स्तर तक विस्तारित किया है। इजराइल में यह प्रतिबंध किंडरगार्टन स्तर पर भी लागू किया गया है, जबकि तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों ने इसे माध्यमिक विद्यालय तक विस्तारित किया है।
महामारी के बाद स्मार्टफोन उपयोग पर बढ़ती चिंता
कोविड-19 महामारी के दौरान, ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्मार्टफोन का व्यापक रूप से उपयोग किया गया। उस समय, 42 में से 39 सरकारों ने डिजिटल शिक्षा के माध्यम से स्मार्टफोन को एक आवश्यक उपकरण के रूप में देखा। हालांकि, महामारी के बाद, कई अध्ययनों ने दिखाया कि स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से छात्र ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कक्षा में स्मार्टफोन होने मात्र से भी छात्रों का ध्यान पढ़ाई से हट सकता है।’’ एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, एक बार ध्यान भटकने के बाद छात्रों को पुनः ध्यान केंद्रित करने में लगभग 20 मिनट का समय लग सकता है। बेल्जियम, स्पेन और ब्रिटेन के स्कूलों में स्मार्टफोन प्रतिबंध के बाद शैक्षणिक परिणामों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जो पहले संघर्ष कर रहे थे।
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क्या भारत को भी अपनाना चाहिए यह प्रतिबंध?
भारत में स्कूलों में स्मार्टफोन प्रतिबंध लागू करने को लेकर लगातार बहस हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उचित दिशानिर्देशों और सीमाओं के साथ स्मार्टफोन का उपयोग किया जाए तो यह एक शैक्षिक उपकरण के रूप में फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इसकी वजह से बढ़ती व्याकुलता और साइबर खतरों को देखते हुए, कई स्कूल प्रशासन मोबाइल प्रतिबंध की नीति पर विचार कर रहे हैं।
भारत सरकार और शिक्षा संस्थानों के लिए यह सही समय हो सकता है कि वे अन्य देशों के अनुभवों से सीखें और एक संतुलित नीति अपनाएं जिससे छात्रों की शिक्षा बाधित न हो और वे तकनीक का सही तरीके से उपयोग कर सकें।