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क्या स्मार्टफोन नशे से कम है? सिर्फ 3 दिन दूर रहने से बदल जाता है दिमाग, चौंकाने वाला खुलासा!

क्या आपका फोन की लत आपके दिमाग को नशे की तरह प्रभावित कर रही है? रिसर्च में पता चला है कि स्मार्टफोन से सिर्फ 72 घंटे दूर रहने पर ब्रेन में वही बदलाव होते हैं, जैसे नशे की आदत छोड़ने पर! जानिए पूरी स्टडी के हैरान करने वाले नतीजे!

By Saloni uniyal
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क्या स्मार्टफोन नशे से कम है? सिर्फ 3 दिन दूर रहने से बदल जाता है दिमाग, चौंकाने वाला खुलासा!
क्या स्मार्टफोन नशे से कम है? सिर्फ 3 दिन दूर रहने से बदल जाता है दिमाग, चौंकाने वाला खुलासा!

एक नई स्टडी से यह सामने आया है कि स्मार्टफोन से दूरी बनाने पर दिमाग के उन हिस्सों में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं, जो डोपामाइन और सेरोटोनिन से जुड़े होते हैं। ये दोनों न्यूरोट्रांसमीटर हमारे मूड, भावनाओं और लत (Addiction) को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। शोध के नतीजे यह संकेत देते हैं कि स्मार्टफोन का अधिक उपयोग एक नशे की लत की तरह दिमाग को प्रभावित कर सकता है।

72 घंटों की रिसर्च में क्या सामने आया?

इस स्टडी को “Computers in Human Behavior” मैगजीन में प्रकाशित किया गया है। रिसर्च के दौरान 18 से 30 साल की उम्र के 25 युवाओं पर अध्ययन किया गया। इन सभी प्रतिभागियों को 72 घंटों यानी तीन दिनों तक पूरी तरह स्मार्टफोन से दूर रखा गया। इसके बाद उनके दिमाग की स्कैनिंग की गई, जिसमें यह पाया गया कि उनके ब्रेन के उन हिस्सों में बदलाव हुआ, जो डोपामाइन और सेरोटोनिन के स्तर को नियंत्रित करते हैं।

स्मार्टफोन की लत पर बढ़ रही है बहस

स्मार्टफोन की लत (Smartphone Addiction) पर लंबे समय से चर्चा हो रही है। कई मनोवैज्ञानिक परीक्षणों में “Smartphone Addiction Disorder” जैसी टर्म्स का उपयोग किया जाने लगा है। अब इस नई स्टडी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि स्मार्टफोन से दूरी बनाने पर दिमाग में उसी प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जैसे नशे की लत से दूर रहने पर होते हैं। यह स्टडी इस बात की पुष्टि करती है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

स्टडी की प्रक्रिया: कैसे की गई रिसर्च?

रिसर्च के दौरान सभी प्रतिभागियों की शारीरिक और मानसिक जांच पहले ही की गई थी ताकि किसी अन्य बाहरी कारक का प्रभाव न पड़े। इसके अलावा, प्रतिभागियों से उनके मूड और स्मार्टफोन के उपयोग से जुड़े सवाल पूछे गए।

इसके बाद उन्हें तीन दिनों तक स्मार्टफोन से पूरी तरह अलग रखा गया। इस अवधि में उन्होंने अपने रोजमर्रा के काम किए, परिवार और दोस्तों से बातचीत की, लेकिन किसी भी प्रकार की डिजिटल गतिविधियों में भाग नहीं लिया। इस दौरान उनके मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychological Tests) किए गए और उनके दिमाग की fMRI स्कैनिंग की गई।

दिमाग में कैसे हुए बदलाव?

स्टडी के नतीजों में यह सामने आया कि जब प्रतिभागियों ने स्मार्टफोन से दूरी बनाई, तो उनके दिमाग के उन हिस्सों में बदलाव दिखे जो डोपामाइन और सेरोटोनिन से जुड़े होते हैं। यह ठीक वैसा ही था जैसा कि कोई व्यक्ति नशीली चीजों (Drugs) की लत छोड़ने पर अनुभव करता है।

डोपामाइन और सेरोटोनिन ऐसे न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं, जो हमारे मूड, भावनाओं और एडिक्शन को नियंत्रित करते हैं। इस रिसर्च से यह स्पष्ट हुआ कि स्मार्टफोन का अनियंत्रित उपयोग भी एक लत की तरह कार्य कर सकता है और इससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

स्मार्टफोन की लत से बचने के उपाय

स्मार्टफोन का सीमित उपयोग करने से न केवल मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है, बल्कि इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ आदतें अपनाकर स्मार्टफोन एडिक्शन को कम किया जा सकता है:

  • स्मार्टफोन का उपयोग सीमित समय तक करें।
  • सोने से पहले स्मार्टफोन का उपयोग बंद करें।
  • रोजाना कुछ घंटे डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox) करने की आदत डालें।
  • सोशल मीडिया का कम से कम उपयोग करें।

क्या स्मार्टफोन एक नई लत बन चुका है?

इस स्टडी ने यह साबित कर दिया है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। स्मार्टफोन से तीन दिन की दूरी भी हमारे ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर पर असर डालती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह भी एक प्रकार की लत बन सकता है।

अगर हम अपने स्मार्टफोन उपयोग की आदतों को नियंत्रित नहीं करेंगे, तो यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य और दिमागी कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, अब समय आ गया है कि हम स्मार्टफोन के अनावश्यक उपयोग को कम करें और डिजिटल डिटॉक्स को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

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