
बोकारो में निजी स्कूलों (Private Schools) की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों (Parents) ने जोरदार विरोध जताया है। हर साल बढ़ती फीस (Fees), अनिवार्य री-एडमिशन (Re-admision) चार्ज, किताबों और यूनिफॉर्म में बदलाव जैसे मुद्दों पर अभिभावकों ने प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। मंगलवार को बोकारो कैंप 2 स्थित समाहरणालय सभागार में आयोजित अहम बैठक में इस दिशा में कई सख्त निर्णय लिए गए। इसमें बोकारो अभिभावक संघ के प्रतिनिधि, विभिन्न स्कूलों के प्रतिनिधि और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में उठे गंभीर सवाल
अभिभावकों ने बैठक में खुलकर अपनी समस्याएं रखीं। बार-बार सिलेबस (Syllabus) बदलने, विशेष दुकानों से ही किताबें खरीदने की बाध्यता (Book Purchase Monopoly), और अनुपस्थिति पर जुर्माना जैसे मुद्दे खास तौर पर उठाए गए। बच्चों पर बेवजह आर्थिक बोझ डालने की इन नीतियों पर नाराजगी जताई गई। बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी (चास) प्रांजल ढ़ांडा, शिक्षा पदाधिकारी जगरनाथ लोहरा और जिला शिक्षा अधीक्षक अतुल चौबे मौजूद रहे।
स्कूलों को दिए गए सख्त निर्देश
बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी प्रांजल ढ़ांडा ने स्पष्ट कहा कि अब से कोई भी विद्यालय हर साल यूनिफॉर्म बदलने के लिए अभिभावकों पर दबाव नहीं बना सकता। साथ ही, यदि कोई छात्र किसी दिन अनुपस्थित रहता है, तो उस पर किसी भी तरह का एब्सेंट फाइन (Absent Fine) नहीं लगाया जाएगा। यह निर्णय उन अभिभावकों के लिए बड़ी राहत है जो हर साल किताबों और ड्रेस पर अतिरिक्त खर्च का सामना करते हैं।
फीस बढ़ोतरी को लेकर बनेगी कमेटी
फीस वृद्धि (Fee Hike) के मुद्दे पर एक नई व्यवस्था लागू की जाएगी। अब किसी भी निजी स्कूल में फीस बढ़ाने से पहले एक नौ सदस्यीय कमेटी (9-Member Committee) गठित होगी। इस कमेटी में स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बिना दोनों पक्षों की सहमति के कोई भी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकेगा। यह कदम स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में मददगार साबित हो सकता है।
किताबों की खरीद में मिली छूट
स्कूल अब अभिभावकों को केवल एक दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। अब सभी स्कूलों को अपनी बुक लिस्ट (Book List) वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी, जिससे अभिभावक स्वतंत्र रूप से किताबें खरीद सकें। सुविधा के लिए 10 से 15 दुकानों में स्कूल की किताबें उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, सभी स्कूलों को एनसीईआरटी (NCERT) की किताबों को प्राथमिकता देने का निर्देश भी दिया गया है।
अनिवार्य होगी अभिभावक-शिक्षक बैठक
हर स्कूल को अब मासिक पीटीएम (Monthly PTM) आयोजित करनी होगी। इसके साथ ही, सभी शिक्षकों के नाम और संपर्क नंबर सार्वजनिक किए जाएंगे ताकि अभिभावक अपनी समस्याएं सीधे संबंधित शिक्षक तक पहुंचा सकें। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और शिक्षक-अभिभावक संवाद को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है।
सभी पक्षों ने रखे अपने विचार
अभिभावक संघ के सदस्य हरि ओम ने बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सभी समस्याएं प्रशासन के सामने रख दी हैं और आशा है कि आगे की बैठक में इस पर ठोस कदम उठाए जाएंगे। वहीं डीपीएस स्कूल के प्रतिनिधि अंजनी भूषण ने कहा कि सभी स्कूलों ने अपनी आवश्यकताएं और चुनौतियां सामने रखीं। उन्होंने बताया कि हर स्कूल की अपनी नीतियां होती हैं लेकिन सभी का मकसद छात्रों को बेहतर शिक्षा (Education) देना है।
अब खत्म होगी निजी स्कूलों की मनमानी?
इस बैठक और नए निर्देशों के बाद यह साफ है कि बोकारो जिला प्रशासन निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। यदि इन आदेशों का सख्ती से पालन हुआ, तो अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।