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87 स्कूलों पर लगा ताला, मान्यता हुई रद्द, मापदंडों पर खरे नहीं उतरे विद्यालय!

देवास जिले में शिक्षा का बड़ा झटका, 87 स्कूलों की मान्यता रद्द, फायर सेफ्टी से लेकर आधार अपडेट तक में भारी खामियां, अब कलेक्टर के फैसले पर टिकी उम्मीदें! पढ़िए पूरी इनसाइड रिपोर्ट!

By Saloni uniyal
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87 स्कूलों पर लगा ताला, मान्यता हुई रद्द, मापदंडों पर खरे नहीं उतरे विद्यालय!
87 स्कूलों पर लगा ताला, मान्यता हुई रद्द, मापदंडों पर खरे नहीं उतरे विद्यालय!

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा निर्णय लिया गया है। 87 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता (Recognition Cancelled) रद्द कर दी गई है, क्योंकि ये स्कूल सरकार द्वारा निर्धारित मान्यता के आवश्यक मापदंडों को पूरा नहीं कर पाए। जिन स्कूलों ने निर्धारित दस्तावेज, अधोसंरचना, योग्य शिक्षकों की नियुक्ति, फायर सेफ्टी और अन्य मापदंड पूरे नहीं किए, उनकी मान्यता बीआरसी (BRC) और डीपीसी (DPC) स्तर की समीक्षा के बाद रद्द कर दी गई है। अब इन स्कूलों को दोबारा मान्यता प्राप्त करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन करना होगा।

584 स्कूलों को मिली मान्यता, 87 की रद्द

देवास जिले के कुल 671 निजी स्कूलों ने 2025 में मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। इन सभी आवेदनों की जांच बीआरसी स्तर पर 31 मार्च तक पूरी कर ली गई थी। निरीक्षण के दौरान जिन स्कूलों में आवश्यक मापदंडों की कमी पाई गई, उनके संबंध में डीपीसी स्तर पर पुनः परीक्षण किया गया। नतीजतन, 584 स्कूलों को मान्यता मिल गई, जबकि 87 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई।

मान्यता रद्द होने के प्रमुख कारण

मान्यता रद्द किए गए स्कूलों में कई खामियां सामने आईं। इनमें सबसे बड़ी समस्या थी – दस्तावेजों की कमी, भवन और खेल मैदान का अभाव, शिक्षकों की संख्या और योग्यता में कमी, छात्रों की जानकारी का ऑनलाइन अपडेट न होना और फायर सेफ्टी जैसे मानकों का अनुपालन न करना। इसके अतिरिक्त, कई स्कूलों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय तक नहीं थे, जो कि मान्यता के लिए आवश्यक है।

अपील का अंतिम मौका – कलेक्टर के पास

मान्यता रद्द होने के बाद स्कूलों को अब जिला कलेक्टर के पास अपील करने का अंतिम अवसर मिलेगा। यदि स्कूल अपने दस्तावेज और अधोसंरचना में आवश्यक सुधार कर कलेक्टर को संतुष्ट कर पाते हैं, तो उन्हें दोबारा मान्यता मिल सकती है। अन्यथा, इन स्कूलों पर ताला लगना तय है।

अपार आइडी (APAAR ID) की प्रक्रिया में भी बाधाएं

राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी की जानकारी डिजिटलीकरण करने के लिए अपार आइडी (APAAR ID) की प्रक्रिया चलाई जा रही है। लेकिन आधार अपडेट सेंटरों की कमी और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई है। जिले में कुल 3,27,421 विद्यार्थियों के अपार आइडी बनने थे, लेकिन अब तक केवल 2,06,734 आईडी ही बन पाई हैं। 2,000 से अधिक आईडी तकनीकी वजहों से रिजेक्ट भी हो चुकी हैं।

स्कूलों की मान्यता प्रक्रिया कैसे होती है?

स्कूलों को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया डिजिटल पोर्टल पर आवेदन से शुरू होती है। इसके बाद बीआरसी निरीक्षण करता है, जिसमें भवन, शिक्षक, खेल मैदान, सुरक्षा उपाय, लाइब्रेरी आदि की स्थिति परखा जाता है। बीआरसी की रिपोर्ट डीपीसी को भेजी जाती है, जो अंतिम निर्णय करता है। यदि किसी भी स्तर पर कमियां मिलती हैं, तो मान्यता रद्द कर दी जाती है।

आधार अपडेशन में भी आ रही दिक्कतें

अपार आइडी बनाने में सबसे बड़ी अड़चन है – आधार डाटा में त्रुटियाँ। जैसे – नाम में स्पेलिंग का फर्क, जन्म तिथि का मेल न होना, माता-पिता के नाम में अंतर, सरनेम में बिंदियों का अंतर आदि। इसके चलते आईडी जनरेट नहीं हो पा रही। वहीं, शहर में आधार सेंटरों की संख्या भी सीमित है, जिससे छात्रों और अभिभावकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

आरटीई और अधोसंरचना नियमों की अवहेलना

रद्द किए गए स्कूलों में आरटीई (Right to Education) एक्ट के अनुपालन की भी भारी कमी पाई गई। न तो प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्त किए गए थे, न ही प्राथमिक स्तर के लिए 7 कमरे और 7 शिक्षक जैसे आवश्यक मापदंडों का पालन हुआ। कुछ स्कूलों में पीने के पानी की भी सुविधा नहीं थी, जिससे बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को खतरा हो सकता था।

तकनीकी समस्याएं बनीं बड़ी बाधा

यू-डाइस प्लस (U-DISE Plus) पोर्टल पर डेटा अपलोड करना स्कूलों की जिम्मेदारी है, लेकिन दो दिन से पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी के चलते काम नहीं हो पा रहा है। इससे अपार आईडी का कार्य भी बाधित हुआ है। विभागीय अधिकारियों का रवैया भी सुस्त रहा है, जिससे लक्ष्य पूरे नहीं हो पा रहे।

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