
EMI भरने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ सकती है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर से ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक आर्थिक हालात और अमेरिका की व्यापार नीतियों में बदलाव की वजह से देश में एक बार फिर से मौद्रिक नीति में नरमी देखने को मिल सकती है। अगर ऐसा होता है, तो आम लोगों को होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसी ईएमआई में राहत मिल सकती है।
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक पर नजर
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) की आगामी बैठक बाजार और आम जनता दोनों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। पिछली बार RBI ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था, लेकिन अब बदलते वैश्विक हालात को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं जताई जा रही हैं। ट्रंप सरकार द्वारा टैरिफ बढ़ाने की संभावनाओं के चलते अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेज हो सकता है, जिसका असर वैश्विक मंदी के रूप में सामने आ सकता है।
ब्याज दर में कटौती क्यों है जरूरी?
अगर वैश्विक स्तर पर मंदी का खतरा गहराता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है। ऐसे में रेपो रेट में कटौती करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है ताकि बाजार में मांग बनी रहे और क्रेडिट ग्रोथ को प्रोत्साहन मिले। इसके अलावा, घरेलू उपभोग को बढ़ाने के लिए भी ब्याज दरों में नरमी की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर आपकी EMI पर
रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होता है जिन्होंने बैंक से लोन लिया हुआ है। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन ऑफर करेंगे। इससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की EMI में सीधी कटौती देखने को मिलती है। इससे न सिर्फ आम आदमी की जेब पर बोझ कम होता है बल्कि बाजार में खर्च करने की क्षमता भी बढ़ती है।
पिछली बार की गई थी स्थिरता बनाए रखने की कोशिश
पिछली MPC मीटिंग में RBI ने रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा था। उस समय महंगाई के आंकड़े और वैश्विक अनिश्चितताएं इसके पीछे प्रमुख कारण थे। हालांकि, अब आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए RBI एक बार फिर से दरों में बदलाव कर सकता है।
घरेलू बाजार की उम्मीदें और निवेशकों की नजर
घरेलू शेयर बाजार, रियल एस्टेट सेक्टर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडस्ट्री को RBI की अगली घोषणा का बेसब्री से इंतजार है। निवेशकों को उम्मीद है कि यदि ब्याज दरें घटती हैं तो यह बाजार के लिए सकारात्मक संकेत होगा और आर्थिक ग्रोथ को मजबूती मिलेगी।
वैश्विक मंदी की आहट से सतर्क हुआ भारत
अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ बढ़ाने की खबरों ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता ला दी है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक भी सतर्क हो गया है और वह इस परिस्थिति से निपटने के लिए समय से पहले कदम उठा सकता है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो आने वाले महीनों में ब्याज दरों में एक और कटौती संभव है।
क्या आपके लिए फायदेमंद साबित होगी यह कटौती?
अगर आप किसी बैंक से लोन ले चुके हैं या लेने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। EMI में राहत का सीधा असर आपकी मासिक आय पर होगा और आपकी वित्तीय योजना ज्यादा संतुलित हो सकती है। खासतौर पर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास के लिए यह कदम बड़ी राहत साबित हो सकता है।
सरकार की आर्थिक नीति के लिए भी बड़ा सहारा
कम ब्याज दरें न सिर्फ उपभोक्ताओं को राहत देती हैं, बल्कि सरकार की आर्थिक योजनाओं को भी बल देती हैं। इससे छोटे उद्योगों, स्टार्टअप्स और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है। रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy, इंफ्रास्ट्रक्चर और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों को गति देने में यह नीति मददगार हो सकती है।