
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दो साल पहले 2,000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा के बावजूद, अब तक 6,266 करोड़ रुपए मूल्य के ये नोट बाजार में मौजूद हैं। आरबीआई के ताजा आँकड़ों के अनुसार, 30 अप्रैल, 2025 की स्थिति में यह राशि अभी भी चलन में बनी हुई है। यह खुलासा एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से शुक्रवार को किया गया।
19 मई, 2023 को हुई थी नोट वापसी की घोषणा
RBI ने 19 मई, 2023 को 2,000 रुपए के बैंक नोट को चलन से हटाने की औपचारिक घोषणा की थी। उस समय देशभर में 2,000 रुपए के बैंक नोटों की कुल वैल्यू 3.56 लाख करोड़ रुपए थी। इसके बाद, एक तय समय सीमा के भीतर इन नोटों को बैंक में जमा कराने या बदलवाने की सुविधा दी गई थी।
नोट का चलन कम करने की रणनीति सफल
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि 19 मई, 2023 के बाद से अब तक कुल 98.24 प्रतिशत 2,000 रुपए के नोट वापस लिए जा चुके हैं। इसका सीधा अर्थ है कि केवल 1.76 प्रतिशत नोट ही अब तक चलन में हैं, जिनकी कुल कीमत 6,266 करोड़ रुपए बैठती है। इस आंकड़े से यह भी स्पष्ट होता है कि आरबीआई की नोट वापसी योजना काफी हद तक सफल रही है।
7 अक्टूबर, 2023 तक बैंकों में जमा की मिली सुविधा
RBI द्वारा 2,000 रुपए के नोटों को बदलने या बैंक खातों में जमा करने की सुविधा सभी बैंकों में 7 अक्टूबर, 2023 तक उपलब्ध कराई गई थी। इस अवधि के बाद, सिर्फ आरबीआई के 19 नामित Issue Offices पर यह सुविधा जारी रखी गई।
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अब भी नोट जमा कराना संभव
यदि किसी व्यक्ति या संस्था के पास अभी भी 2,000 रुपए के नोट हैं, तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। RBI के अनुसार, 9 अक्टूबर, 2023 से ये नोट RBI के 19 कार्यालयों में बैंक खातों में जमा कराने के लिए स्वीकार किए जा रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय डाक (India Post) के जरिए भी लोग ये नोट आरबीआई कार्यालयों में भेज सकते हैं, जिसके बाद राशि सीधे संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते में जमा कर दी जाती है।
2,000 रुपए के नोट अब भी वैध मुद्रा
महत्वपूर्ण बात यह है कि भले ही इन नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया है, लेकिन RBI ने स्पष्ट किया है कि ये अब भी लीगल टेंडर यानी वैध मुद्रा हैं। इसका मतलब यह है कि तकनीकी रूप से कोई भी इन नोटों को स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकता, हालांकि इनके लेनदेन का व्यवहारिक उपयोग बहुत सीमित हो गया है।
2,000 रुपए के नोट क्यों हटाए गए?
RBI ने 2,000 रुपए के नोट को 2016 में नोटबंदी के तुरंत बाद लाया था, ताकि मुद्रा आपूर्ति में तेजी लाई जा सके। लेकिन बाद में यह देखा गया कि इन नोटों का रोजमर्रा के लेनदेन में उपयोग बहुत कम था और इनका इस्तेमाल नकद संग्रह (cash hoarding) के लिए अधिक हो रहा था। साथ ही, इनकी छपाई भी 2018-19 के बाद बंद कर दी गई थी। इसलिए RBI ने यह निर्णय लिया कि इन्हें चरणबद्ध तरीके से वापस लिया जाए।
डिजिटल पेमेंट और छोटे नोटों को बढ़ावा
RBI की यह रणनीति भी देश को कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ाने की योजना का हिस्सा रही है। छोटे मूल्यवर्ग के नोटों और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के मकसद से 2,000 रुपए के नोट को हटाना एक बड़ी नीति-संशोधन पहल माना जा रहा है। देश में अब UPI, Net Banking, और अन्य Digital Payment Platforms का उपयोग रिकॉर्ड स्तर पर है, जिससे उच्च मूल्य के नकद लेनदेन की आवश्यकता में भारी गिरावट आई है।
नोट वापसी की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही
RBI ने इस पूरे अभियान को पारदर्शी और व्यवस्थित रूप से अंजाम दिया। आम नागरिकों को इस प्रक्रिया में कोई विशेष परेशानी न हो, इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई और कई विकल्प प्रदान किए गए। डाक द्वारा नोट भेजने की सुविधा भी इसी का हिस्सा थी।
अभी भी 6,266 करोड़ रुपए मूल्य के नोट क्यों बचे हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी चलन में मौजूद 6,266 करोड़ रुपए के नोटों का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों, अनौपचारिक लेनदेन और शायद कुछ Unreported Cash Holdings में फंसा हुआ हो सकता है। समय के साथ इनमें भी गिरावट की उम्मीद की जा रही है।