
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) पर 1.72 करोड़ रुपये का जुर्माना (RBI Penalty on SBI) लगाया है। यह जुर्माना बैंक द्वारा विभिन्न नियामकीय निर्देशों का सही ढंग से पालन न करने के चलते लगाया गया है। इसके साथ ही जन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Jana Small Finance Bank) पर भी नियामकीय चूक के लिए एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस कार्रवाई का उद्देश्य बैंकों में नियामकीय अनुपालन (Regulatory Compliance) को सुनिश्चित करना है और यह ग्राहकों की जमा राशि की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव नहीं डालता।
किन कारणों से SBI पर लगा जुर्माना?
RBI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, SBI ने विभिन्न निर्देशों का उल्लंघन किया है। इनमें खास तौर पर लोन और एडवांस (Loans and Advances) से जुड़े वैधानिक प्रतिबंधों का पालन न करना, अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजेक्शन (Unauthorized Electronic Banking Transactions) में ग्राहकों की जिम्मेदारी को सीमित करने के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन और बैंकों द्वारा चालू खाता (Current Account) खोलने की प्रक्रिया में अनियमितताएं शामिल हैं।
SBI की इन खामियों के चलते बैंक पर 1,72,80,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना Banking Regulation Act 1949 के तहत आरबीआई को प्राप्त शक्तियों के अंतर्गत लगाया गया है।
जन स्मॉल फाइनेंस बैंक को भी नहीं बख्शा
SBI के अलावा, जन स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड पर भी RBI ने सख्त रुख अपनाया है। बैंक पर बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के प्रावधानों का ठीक से पालन न करने के चलते 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आरबीआई के अनुसार, यह कदम बैंकों के संचालन में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
ग्राहकों को कोई सीधा नुकसान नहीं
यह जुर्माना ग्राहकों की जमा राशि या बैंकिंग सेवाओं पर कोई सीधा प्रभाव नहीं डालता है। RBI ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल बैंकों द्वारा नियामकीय निर्देशों का सही तरीके से पालन न करने के कारण की गई है।
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन जुर्मानों का यह मतलब नहीं है कि बैंकों और ग्राहकों के बीच हुए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल खड़ा किया जा रहा है।
नियामकीय सख्ती का संकेत
RBI का यह कदम संकेत देता है कि केंद्रीय बैंक Compliance और Governance के मुद्दों पर अब पहले से अधिक सतर्क है। यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि चाहे बैंक कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर वह नियमों की अनदेखी करता है, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह की सख्त कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि बैंकों में एक अनुशासित ढांचा विकसित हो, जिससे ग्राहकों का विश्वास बना रहे और वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी रहे।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी कार्रवाइयां
यह पहली बार नहीं है जब RBI ने बड़े बैंकों पर इस तरह का जुर्माना लगाया हो। इससे पहले भी विभिन्न बैंकों पर नियामकीय चूक के चलते जुर्माने लगाए जाते रहे हैं। इसका मकसद सिर्फ दंड देना नहीं बल्कि बैंकों को अपने आंतरिक नियंत्रण और संचालन में सुधार लाने के लिए प्रेरित करना भी है।