
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले (Terrorist Attack) के बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिसने देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रमुख नेता राकेश टिकैत अपने एक विवादास्पद बयान के चलते सुर्खियों में आ गए हैं। टिकैत ने अपने बयान में पाकिस्तान को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया और हमले के पीछे आंतरिक साजिश की आशंका जताई।
टिकैत के बयान से भड़की भावनाएं
राकेश टिकैत ने हरियाणा के करनाल में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “इस घटना से किसे फायदा हो रहा है? चोर आपके बीच में है, पाकिस्तान में नहीं। कौन हिंदू-मुस्लिम कर रहा है, जवाब उसी के पास है।” इस बयान को लोगों ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय देश के भीतर दरार पैदा करने वाला बताया।
उनके बयान में इस ओर इशारा किया गया कि हमले के पीछे विदेशी ताकतों से ज्यादा देश के अंदर ही कुछ लोग जिम्मेदार हो सकते हैं। इससे लोगों के बीच यह धारणा बन गई कि टिकैत पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश कर रहे हैं।
नरेश टिकैत ने भी दिया विवादास्पद बयान
इससे पहले राकेश टिकैत के भाई और किसान नेता नरेश टिकैत भी कह चुके हैं कि पूरे पाकिस्तान को आतंकी घटनाओं के लिए दोषी ठहराना सही नहीं है। उनका यह बयान भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोगों ने इसे शहीदों की शहादत का अपमान करार दिया।
मुजफ्फरनगर में हुआ भारी विरोध
2 मई को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पहलगाम हमले के विरोध में एक जन आक्रोश रैली निकाली गई थी, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इसी दौरान जब राकेश टिकैत वहां पहुंचे, तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया। “वापस जाओ”, “देशद्रोही मुर्दाबाद” जैसे नारों के बीच माहौल उग्र हो गया।
लोगों ने टिकैत पर धक्का-मुक्की की, उनके सिर से पगड़ी उतार दी गई और एक झंडा उनके सिर पर मारा गया। कुछ लोगों ने लाठी से हमला भी कर दिया। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने मोर्चा संभाला और किसी तरह टिकैत को सुरक्षित बाहर निकाला।
टिकैत का पलटवार: ‘यह साजिश है’
घटना के बाद राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। यह हमला मेरे खिलाफ सोची-समझी साजिश है, ताकि किसान आंदोलन और उसकी ताकत को कमजोर किया जा सके।”
टिकैत ने उन लोगों को ‘नए हिंदू’ कहा जो उनके खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इसका जवाब उचित समय पर मिलेगा। टिकैत का मानना है कि उनका बयान देश के हित में था, लेकिन कुछ तत्वों ने इसे गलत रूप में प्रस्तुत कर उन्हें देशद्रोही ठहराने की कोशिश की।
सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड में टिकैत
Pahalgam Attack को लेकर दिए गए बयान के बाद राकेश टिकैत ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर ट्रेंड करने लगे। #राकेश_टिकैत_माफी_मांगो और #PahalgamAttackTruth जैसे हैशटैग्स टॉप ट्रेंड में रहे।
जहां एक ओर कुछ लोगों ने टिकैत की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात की, वहीं बड़ी संख्या में यूजर्स ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कई पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिजनों ने भी टिकैत के बयान को अपमानजनक करार दिया।
आतंकी हमले की गंभीरता को हल्के में लेना गलत
राकेश टिकैत जैसे जननेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश आतंकवाद को लेकर संवेदनशील है। पहलगाम जैसे सुदूर क्षेत्र में जब निर्दोष लोग आतंकी हमले में मारे जाते हैं, तब ऐसी बातें राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाली प्रतीत होती हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकी घटनाओं पर सार्वजनिक बयानों में संयम बरतना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ देश की सुरक्षा एजेंसियों का मनोबल गिरा सकता है, बल्कि दुश्मन देशों को भी गलत संदेश देता है।
किसान राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच फंसे टिकैत
BKU के नेता के रूप में राकेश टिकैत किसानों की समस्याओं को लेकर लगातार मुखर रहे हैं, लेकिन अब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयान देने से उनकी राजनीतिक छवि को धक्का लग सकता है।
टिकैत का दावा है कि उनकी लड़ाई सिर्फ किसानों के लिए है, लेकिन उनका बयान इस दिशा से भटकाव का संकेत दे रहा है। विरोधियों को भी अब उन्हें राष्ट्रविरोधी करार देने का मौका मिल गया है।