
राजस्थान में शराब महंगी होने की खबर ने उपभोक्ताओं को चौंका दिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही राजस्थान सरकार ने शराब की नई रेट लिस्ट जारी कर दी है। आबकारी विभाग द्वारा जारी इस नई दर सूची के अनुसार, अंग्रेजी शराब और बीयर की कीमतों में औसतन 5% की बढ़ोतरी की गई है। यह दरें 1 अप्रैल 2025 से पूरे राज्य में लागू कर दी गई हैं। सभी लाइसेंसी दुकानों को इन नई दरों को अपनी दुकानों में स्पष्ट रूप से चस्पा करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख अंग्रेजी शराब ब्रांड्स की नई कीमतें
नई रेट लिस्ट के अनुसार, कुछ प्रमुख और लोकप्रिय ब्रांड्स की कीमतों में साफ़ तौर पर बढ़ोतरी देखी गई है। ब्लेंडर प्राइड की कीमत ₹1000 से बढ़कर ₹1165 हो गई है। इसी तरह, मैकडॉवेल नंबर 1 ₹585 से बढ़कर ₹605 में मिल रही है। रॉयल स्टैग और रॉयल चैलेंज, दोनों की कीमत ₹695 से बढ़कर ₹730 हो गई है। वहीं, प्रीमियम श्रेणी की ब्लैक डॉग अब ₹2365 के बजाय ₹2555 में उपलब्ध होगी। यह वृद्धि उन उपभोक्ताओं के लिए एक अतिरिक्त बोझ लेकर आई है जो इन ब्रांड्स को नियमित रूप से खरीदते हैं।
बीयर प्रेमियों को भी झेलनी पड़ेगी जेब पर मार
बीयर ब्रांड्स की बात करें तो यहां भी कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। किंगफिशर प्रीमियम अब ₹150 के बजाय ₹165 में, किंगफिशर स्ट्रॉन्ग ₹160 से बढ़कर ₹175 में मिल रही है। इसी तरह, लोकप्रिय ब्रांड टूबर्ग भी ₹160 से बढ़कर ₹175 हो गया है। बडवाइजर मैग्नम की कीमत ₹265 से बढ़कर ₹280 और अल्ट्रा मैक्स की कीमत ₹225 से बढ़कर ₹240 कर दी गई है। अल्ट्रा (रेगुलर) अब ₹220 के बजाय ₹250 में उपलब्ध है।
इन सभी ब्रांड्स की बढ़ी हुई कीमतें उन उपभोक्ताओं के लिए परेशानी बन सकती हैं जो बीयर को एक किफायती और हल्की ड्रिंक के तौर पर देखते हैं।
आबकारी विभाग की सख्ती और उपभोक्ताओं को राहत
राजस्थान सरकार के आबकारी विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि कोई भी शराब विक्रेता एमआरपी से अधिक मूल्य वसूल नहीं कर सकता। इस संदर्भ में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि किसी उपभोक्ता से ओवरचार्जिंग की शिकायत प्राप्त होती है, तो उस दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग का यह कदम उपभोक्ता संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकार को राजस्व बढ़ोतरी की उम्मीद, आम जनता पर आर्थिक बोझ
सरकार की इस मूल्य वृद्धि के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी है। बीते वर्षों में आबकारी राजस्व सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है, और इस बार भी यह कदम उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर, महंगाई के मौजूदा दौर में यह बढ़ी हुई कीमतें आम जनता के लिए एक अतिरिक्त आर्थिक दबाव बनकर सामने आई हैं। खासकर वे वर्ग जो मिड-सेगमेंट ब्रांड्स को प्राथमिकता देते हैं, उन्हें अब अपनी आदतों या बजट में बदलाव करना पड़ सकता है।
उपभोक्ताओं में मिली-जुली प्रतिक्रिया
नई दरों के लागू होने के बाद उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया भी मिली-जुली रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मूल्य वृद्धि अपेक्षित थी, जबकि कई उपभोक्ताओं ने इसे अनुचित और आर्थिक रूप से नुकसानदायक बताया है। बीयर जैसे हल्के मादक पेय की कीमतों में वृद्धि उन युवाओं के लिए चिंता का विषय है जो सप्ताहांत पर इसे सामाजिक या निजी रूप से उपभोग करते हैं।