
भारतीय रेलवे में महिला कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में भारतीय रेलवे में कुल वर्कफोर्स का 8.2% महिलाएं हैं। खास बात यह है कि महिला लोको पायलट (Female Loco Pilot) की संख्या में पिछले 10 वर्षों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। एक दशक पहले जहां यह संख्या केवल 371 थी, वहीं 2024 तक यह बढ़कर 1,828 हो गई है। इसी तरह, महिला स्टेशन मास्टर (Female Station Master) की संख्या भी पांच गुना बढ़ी है, जो रेलवे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और सामाजिक रूढ़ियों के टूटने को दर्शाती है।
रेलवे में बढ़ रही हैं महिलाएं, आंकड़े कर देंगे हैरान
भारतीय रेलवे में इस समय 1 लाख से अधिक महिला कर्मचारी कार्यरत हैं। ये महिलाएं सिर्फ लोको पायलट या स्टेशन मास्टर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ट्रैकमैन, सिग्नल मेंटेनेंस, गार्ड और गैंगमैन जैसे तकनीकी और जिम्मेदारी भरे पदों पर भी कार्यरत हैं। महिलाओं के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि कुछ समय पहले तक इन क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बेहद सीमित थी।
यूपी में सबसे ज्यादा महिला लोको पायलट, तेलंगाना और तमिलनाडु भी आगे
रेलवे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को राज्यों के हिसाब से देखें तो उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूपी से महिला लोको पायलट की संख्या 36 से बढ़कर 222 हो गई है। वहीं, तेलंगाना से यह संख्या 13 से बढ़कर 196 और तमिलनाडु से 39 से बढ़कर 180 हो गई है। यह साफ दिखाता है कि विभिन्न राज्यों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है और वे इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
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2025-26 तक 100% इलेक्ट्रिफिकेशन का लक्ष्य
भारतीय रेलवे ने खुद को ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन (Net Zero Carbon Emission) की ओर बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत वित्त वर्ष 2025-26 तक 100% इलेक्ट्रिफिकेशन (Electrification) का लक्ष्य तय किया गया है। वर्तमान में रेलवे ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 4,260 मेगावाट (स्थापित) सौर (Solar Energy) और 3,427 मेगावाट (स्थापित) पवन ऊर्जा (Wind Energy) के लिए समझौते किए हैं। साथ ही, रेलवे ने 1,500 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के लिए भी करार किया है।
भारतीय रेलवे की भविष्य की योजनाएं
रेलवे के मुताबिक, वह अपनी जरूरतों के लिए स्वयं सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने के साथ-साथ डेवलपर्स के साथ पीपीए (PPA) व्यवस्था के तहत भी सौर ऊर्जा हासिल कर रहा है। केंद्रीय रेल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, रेलवे 2030 तक अपनी ट्रैक्शन पावर की आवश्यकता को 10,000 मेगावाट तक पहुंचाने की योजना बना रहा है।
इस बदलाव से साफ जाहिर होता है कि भारतीय रेलवे केवल इंफ्रास्ट्रक्चर में ही नहीं, बल्कि जेंडर इक्विटी और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति कर रहा है। आने वाले समय में इसमें महिलाओं की भागीदारी और भी अधिक बढ़ने की उम्मीद है।