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महिलाओं पर टूटा मुस्लिम देश का कहर! रातोंरात छीनी नागरिकता, बैंक अकाउंट भी किए सीज

कुवैत की सरकार ने हाल ही में चौंकाने वाला कदम उठाया है: हजारों महिलाओं की नागरिकता रातोंरात छीनी और उनके बैंक खाते सीज कर दिए गए। जानिए इस फैसले की वजह, इसके पीछे की कहानी और महिलाओं के जीवन पर इसके प्रभाव

By Saloni uniyal
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महिलाओं पर टूटा मुस्लिम देश का कहर! रातोंरात छीनी नागरिकता, बैंक अकाउंट भी किए सीज
महिलाओं पर टूटा मुस्लिम देश का कहर! रातोंरात छीनी नागरिकता, बैंक अकाउंट भी किए सीज

कुवैत में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सरकार ने अचानक 42,000 से अधिक नागरिकों की नागरिकता रद्द कर दी है। इसमें अधिकांश महिलाएं शामिल हैं, जिन्हें पहले कुवैती पुरुषों से विवाह के आधार पर नागरिकता दी गई थी। इस निर्णय के बाद, इन महिलाओं के बैंक खातों को भी सीज कर दिया गया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी जटिल हो गई।

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नागरिकता रद्दीकरण का कारण और प्रक्रिया

कुवैत की सरकार ने मार्च 2024 से नागरिकता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें उन्होंने 1959 के नागरिकता कानून के अनुच्छेद 8 को निरस्त कर दिया। इस अनुच्छेद के तहत, कुवैती पुरुषों से विवाह करने वाली महिलाओं को नागरिकता दी जाती थी। सरकार ने दावा किया कि यह कदम भ्रष्टाचार से निपटने के लिए उठाया गया है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने इसे राजनीतिक नियंत्रण का साधन बताया है।

इस प्रक्रिया में, नागरिकता रद्द करने के लिए किसी न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, और प्रभावित व्यक्तियों को अपील का कोई अवसर नहीं दिया गया। यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन माना जा रहा है, जो किसी की नागरिकता को मनमाने तरीके से रद्द करने की अनुमति नहीं देते।

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बैंक खातों का सीज होना और आर्थिक प्रभाव

नागरिकता रद्द होने के बाद, प्रभावित महिलाओं के बैंक खातों को भी सीज कर दिया गया। इससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ा, और वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हो गईं। हालांकि, दिसंबर 2024 में सरकार ने घोषणा की कि इन खातों को फिर से सक्रिय किया जाएगा, और जनवरी 2025 में यह प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन तब तक, कई महिलाएं गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर चुकी थीं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार चिंताएं

कुवैत के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई है। मानवाधिकार संगठनों ने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन और उन्हें “स्टेटलेस” बनाने की प्रक्रिया बताया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी चिंता व्यक्त की है कि यह निर्णय महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर वर्गों को प्रभावित कर रहा है।

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महिलाओं की स्थिति और भविष्य की चुनौतियां

नागरिकता रद्द होने के बाद, प्रभावित महिलाएं कई समस्याओं का सामना कर रही हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और रोजगार तक पहुंच में बाधाएं। इसके अलावा, उनके बच्चों की नागरिकता और भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। कई महिलाएं अब “बिदून” (stateless) की श्रेणी में आ गई हैं, जिनके पास कोई कानूनी पहचान नहीं है।

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