
SIP यानी Systematic Investment Plan के ज़रिए Mutual Funds में निवेश करने का ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। आज के समय में निवेशक अपने फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने के लिए SIP को एक प्रभावी साधन मानने लगे हैं। खास बात ये है कि SIP आपको छोटे-छोटे अमाउंट से भी बड़ा कॉर्पस बनाने की सुविधा देती है, वो भी महंगाई को मात देने वाली रफ्तार से। हालांकि, कई निवेशकों के मन में यह सवाल अक्सर उठता है कि लंबी अवधि के लिए छोटी SIP बेहतर है या फिर बड़ी SIP से कम समय में मोटा फंड बनाना फायदेमंद रहेगा?
इस लेख में हम इस सवाल का जवाब समझने की कोशिश करेंगे और जानेंगे कि कौन-सी रणनीति आपके लिए ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका दे सकती है।
5,000 रुपए की SIP को 30 साल तक चलाने पर कितना फंड बनेगा?
अगर कोई निवेशक हर महीने 5,000 रुपए की SIP करता है और उसे लगातार 30 वर्षों तक बनाए रखता है, तो वह कुल मिलाकर 18,00,000 रुपए का निवेश करेगा। आमतौर पर SIP पर औसतन 12% का वार्षिक रिटर्न माना जाता है। इस अनुमान के अनुसार, उसे 30 साल के अंत में 1,36,04,866 रुपए का रिटर्न मिलेगा। यानी कुल कॉर्पस होगा 1,54,04,866 रुपए। यह इस बात को दर्शाता है कि लंबे समय तक छोटी रकम से भी बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है।
15,000 रुपए की SIP को 10 साल तक चलाने पर कैसा रहेगा रिटर्न?
अब अगर वही निवेशक थोड़े समय में बड़ा अमाउंट लगाता है, जैसे कि हर महीने 15,000 रुपए की SIP करता है और इसे सिर्फ 10 वर्षों तक ही चलाता है, तो कुल निवेश फिर भी 18,00,000 रुपए ही रहेगा। लेकिन इस पर मिलने वाला ब्याज होगा केवल 15,60,538 रुपए। यानी कुल फंड तैयार होगा 33,60,538 रुपए का। यहाँ साफ देखा जा सकता है कि निवेश राशि समान होने के बावजूद छोटा समय और बड़ा अमाउंट मिलकर उतना अच्छा रिटर्न नहीं दे पाते, जितना लंबी अवधि का छोटा निवेश देता है।
जितनी लंबी SIP, उतना बड़ा मुनाफा
इन दोनों उदाहरणों को देखें तो यह बात सामने आती है कि SIP में समय का जितना अधिक महत्व है, उतना ही महत्वपूर्ण है कंपाउंडिंग का प्रभाव। 5,000 की SIP में 30 सालों में जो ब्याज मिलता है वो 1.36 करोड़ रुपए होता है, जबकि 15,000 की SIP में 10 वर्षों में सिर्फ 15.60 लाख रुपए का ही ब्याज मिलता है। दोनों में निवेश तो एक जैसा ही है, लेकिन समय के चलते रिटर्न का अंतर इतना अधिक हो जाता है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कंपाउंडिंग का जादू SIP को बनाता है दमदार
SIP को लंबे समय तक चलाने पर कंपाउंडिंग का असर बेहद प्रभावी होता है। कंपाउंडिंग का सिद्धांत कहता है कि “ब्याज पर भी ब्याज” मिलता है। यही कारण है कि जब आप अपनी SIP को 20-30 वर्षों तक जारी रखते हैं, तो आपका फंड केवल आपकी मूल रकम पर नहीं बल्कि उस पर मिलने वाले ब्याज पर भी बढ़ता रहता है। यह फाइनेंशियल ग्रोथ की वह शक्ति है जो धीरे-धीरे आपके निवेश को कई गुना तक बढ़ा सकती है।
जोखिम घटाता है लॉन्ग टर्म निवेश
SIP एक मार्केट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट है और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है। लेकिन अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करते हैं तो ये जोखिम अपने-आप कम हो जाता है। लॉन्ग टर्म निवेश में मार्केट के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव का असर औसत हो जाता है और आपको स्थिर और बेहतर रिटर्न की संभावना मिलती है। इसीलिए एक्सपर्ट्स हमेशा SIP को कम से कम 10-15 वर्षों तक चलाने की सलाह देते हैं।
SIP रिटर्न होते हैं अनुमान आधारित, मार्केट रिस्क का रखें ध्यान
यहां ये बात जरूर याद रखनी चाहिए कि Mutual Fund और SIP निवेश पूरी तरह से मार्केट पर आधारित होते हैं। यहां कोई भी रिटर्न फिक्स नहीं होता। 12% का जो औसतन रिटर्न यहां बताया गया है, वह एक अनुमान है और वास्तविक रिटर्न इससे कम या ज्यादा भी हो सकता है। इसलिए निवेश करने से पहले खुद जानकारी जरूर लें या किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह करें।
धैर्य और समय सबसे बड़ा निवेश
छोटे अमाउंट से शुरू की गई SIP अगर लंबे समय तक जारी रखी जाती है, तो वह धीरे-धीरे आपके लिए बड़ा फाइनेंशियल सेफ्टी नेट तैयार कर सकती है। इसके मुकाबले मोटा निवेश कम समय के लिए किया जाए तो वह उतना फायदेमंद साबित नहीं होता। निवेश की असली चाबी है “धैर्य” और “समय”।