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अब व्रत-त्योहार की डेट को लेकर नहीं होगा कंफ्यूजन! इस राज्य ने शुरू की One Date One Festival स्कीम

उत्तर प्रदेश में 2026 से लागू होगा 'एक तिथि एक त्योहार' का नियम, योगी सरकार के निर्देश पर बनारस से प्रकाशित पंचांग को मिलेगा राज्य स्तरीय दर्जा, जानें किन-किन पर्वों की तिथियों में आएगा बदलाव और कैसे खत्म होगा सालों पुराना कंफ्यूजन।

By Saloni uniyal
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अब व्रत-त्योहार की डेट को लेकर नहीं होगा कंफ्यूजन! इस राज्य ने शुरू की One Date One Festival स्कीम
अब व्रत-त्योहार की डेट को लेकर नहीं होगा कंफ्यूजन! इस राज्य ने शुरू की One Date One Festival स्कीम

अक्सर देखा गया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में व्रत-त्योहारों (Vrat-Tyohar) की तिथियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। खासकर उत्तर भारत में एक ही त्योहार अलग-अलग जिलों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कंफ्यूजन को खत्म करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। साल 2026 से उत्तर प्रदेश में “एक तिथि एक त्योहार” (One Date One Festival) का नियम लागू होगा, जिससे पूरे प्रदेश में त्योहार एक ही दिन मनाए जाएंगे।

काशी विद्वत परिषद ने तैयार किया प्रस्ताव, 7 अप्रैल को सौंपा जाएगा मुख्यमंत्री को

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस नई प्रणाली का खाका तैयार कर लिया है। यह खाका 7 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। इस व्यवस्था के तहत प्रदेशभर के पंचांगों (Panchang) में एकरूपता लाई जाएगी और सभी व्रत, पर्व और छुट्टियां बनारस से प्रकाशित पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाएंगी।

2026 से पूरे प्रदेश में एक जैसा पंचांग

यह नई व्यवस्था वर्ष 2026 से लागू की जाएगी, जब विक्रम संवत 2083 (Hindu New Year Vikram Samvat 2083) की शुरुआत होगी। इस मौके पर एक और सरकारी मान्यता प्राप्त पंचांग पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा, जिससे ना केवल धार्मिक भ्रम खत्म होगा, बल्कि सरकारी छुट्टियों के निर्धारण में भी स्पष्टता आएगी।

धार्मिक समरसता और पंचांगों में एकरूपता की दिशा में बड़ा कदम

इससे पहले केवल काशी क्षेत्र के पंचांगों में समानता लाने की पहल की गई थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे पूरे प्रदेश के लिए लागू करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय ना केवल धार्मिक संगठनों के बीच मतभेद को कम करेगा, बल्कि इससे सरकारी स्तर पर त्योहारों की छुट्टियों का निर्धारण भी आसान होगा।

प्रमुख पंचांगकारों की बनी टीम, सटीक कालगणना की तैयारी

इस परियोजना को सफल बनाने के लिए प्रदेश के प्रमुख पंचांगकारों और विद्वानों की एक टीम बनाई गई है। यह टीम आगामी वर्ष की कालगणना, तिथि निर्धारण और पर्वों की सूची तैयार करेगी। इससे आने वाले वर्षों में एक पंचांग प्रणाली को मजबूत आधार मिलेगा।

किन-किन त्योहारों को मिलेगी जगह एक पंचांग में?

इस योजना के अंतर्गत हिंदू धर्म (Hindu Dharma) के प्रमुख त्योहारों को शामिल किया गया है, जिनमें शामिल हैं – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, चैत्र नवरात्रि, राम नवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, पितृपक्ष, महालया, विजयादशमी, दीपावली, अन्नकूट, नरक चतुर्दशी, भैया दूज, धनतेरस, कार्तिक एकादशी, देवदीपावली, शरद पूर्णिमा, सूर्य षष्ठी, मकर संक्रांति (खिचड़ी), और होली।

राज्य में धार्मिक और प्रशासनिक व्यवस्था को मिलेगा बल

“एक तिथि एक त्योहार” की इस पहल से राज्य की धार्मिक एकता और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों को बल मिलेगा। वर्षों से चली आ रही तिथियों की भिन्नता और उससे उत्पन्न विवाद अब समाप्त होंगे। साथ ही सरकारी छुट्टियों, स्कूल कॉलेजों की परीक्षाओं और अन्य आयोजनों के निर्धारण में एकरूपता आएगी।

भविष्य में दूसरे राज्यों के लिए भी बन सकता है उदाहरण

उत्तर प्रदेश की यह पहल आने वाले समय में दूसरे राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकती है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो अन्य राज्य सरकारें भी इसे अपनाने पर विचार कर सकती हैं, जिससे पूरे देश में एक統ित पंचांग की दिशा में अग्रसर हुआ जा सकेगा।

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